इसी तरह रविवार को एसआईटी को बयान देने के बाद 65 साल के विजय कुमार दुबे ने बताया कि विकास बहुत परेशान करता था। अकसर गालीगलौज करने के बाद राशन लेने जाने पर भगा देता था। उसके डर से भतीजों ने चार महीने पहले गांव छोड़ दिया था। वह अब मजदूरी कर पेट भर रहे हैं।
विजय ने बताया कि इंदिरा आवास योजना में मिले सरकारी घर का उसे फायदा नहीं मिला, जबकि लिस्ट में उसका नाम भी था। अधिकारियों से शिकायत करने पर वह तुरंत विकास को बता देते थे। उसने एसआईटी से पक्के घर और राशन की मांग की। बुजुर्ग ने बताया कि 2001 में हुए संतोष शुक्ला हत्याकांड के बाद पुलिस मारती और सताती थी, लेकिन इस बार पुलिस परेशान नहीं कर रही है।
जांच कर रही एसआईटी
अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में टीम गठित की गई है। एसआईटी टीम में एडीजी हरिराम शर्मा ओर डीआईजी जे रविंद्र गौड़ शामिल हैं। एसआईटी की टीम 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कैसे हुई और हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे इतना बड़ा अपराधी होने के बाद भी चौबेपुर थाने की टॉप टेन अपराधियों की लिस्ट में क्यों नहीं था इसकी जांच करेगी। उसने बेशुमार दौलत कैसे कमाई, इस पूरी वारदात में किसकी मिलीभगत रही, इन बातों की भी जांच की जाएगी।
शिवली थाने पहुंची एसआईटी
एसआईटी की टीम बिकरू गांव में जांच करने के बाद कानपुर देहात के शिवली थाने पहुंची। शिवली थाने में हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे से जुड़े आपराधिक इतिहास से जुड़ी फाइलों को खंगाला। दरअसल विकास दुबे ने 2001 में शिवली थाने में घुसकर तत्कालीन दर्जा प्राप्त मंत्री संतोष शुक्ला की हत्या की थी। इसके साथ ही दर्जनों लूट, रंगदारी और जान से मारने के मुकदमे दर्ज हैं।