भोपाल, 13 जुलाई (भाषा) मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भाजपा के केन्द्रीय एवं राज्य स्तर के नेताओं के साथ विचार-विमर्श करने के बाद मंत्रिपरिषद में शामिल किये गये नए मंत्रियों को अखिरकार सोमवार सुबह विभागों का आवंटन कर दिया। पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों को अहम विभाग दिये गये हैं। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि 28 नये मंत्रियों ने दो जुलाई को शपथ ग्रहण की थी। मुख्यमंत्री सहित मंत्रिपरिषद में कुल 34 सदस्य हैं। इनमें 14 मंत्री फिलहाल विधायक नहीं हैं, जिनमें से 11 सिंधिया के कट्टर समर्थक हैं। मार्च में कांग्रेस के 22 विधायक विधानसभा से त्यागपत्र देने के बाद भाजपा में शामिल हो गये थे। इसके चलते प्रदेश में 15 माह पुरानी कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिर गयी थी। सिंधिया के प्रबल समर्थक तुलसीराम सिलावट को मत्स्य विभाग दिया गया है, जबकि उनके पास पहले से ही जल संसाधन विभाग है। गोविंद सिंह राजपूत को राजस्व और परिवहन विभाग दिया गया है। सिलावट और राजपूत को मंत्रिपरिषद के अप्रैल माह में हुए पहले विस्तार में शामिल किया गया था। सिधिंया के साथ कांग्रेस छोड़ने वाले 22 नेताओं में से 14 को मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया है। ये सभी फिलहाल विधायक नहीं है और इन्हें आगामी उपचुनाव में उतरना होगा। इसके साथ ही कांग्रेस के एक और विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधी ने रविवार को भाजपा में शामिल होने के लिये विधानसभा से त्यागपत्र दे दिया। इस प्रकार कांग्रेस के 23 विधायकों ने भाजपा में शामिल होने के लिये विधानसभा से त्यागपत्र दे दिया है और दो विधायकों का निधन हो गया है। यानी विधानसभा में इस वक्त कुल 25 सीटें रिक्त हैं। इनके लिये जल्द ही उपचुनाव कराये जाएंगे। सिंधिया के अन्य समर्थकों में डॉ. प्रभुराम चौधरी को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, प्रद्युम्न सिंह तोमर को ऊर्जा, महेन्द्र सिंह सिसोदिया को पंचायत एवं ग्रामीण विकास और इमरती देवी को महिला एवं बाल विकास विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। वहीं, मुख्यमंत्री चौहान ने अपने पास सामान्य प्रशासन, जनसंपर्क, नर्मदा घाटी विकास, विमानन और अन्य विभागों को रखा है, जो किसी को आवंटित नहीं किये गये हैं। भाजपा के वरिष्ठ विधायक डॉ. नरोत्तम मिश्रा के पास गृह विभाग है, लेकिन मिश्रा को सिंधिया समर्थक डॉ. प्रभुराम चौधरी के लिये स्वास्थ्य विभाग छोड़ना पड़ा है। डॉ. चौधरी भी एक चिकित्सक हैं। मिश्रा को संसदीय कार्य और विधि विभाग भी सौंपे गये हैं। भाजपा के वरिष्ठ विधायक गोपाल भार्गव को लोक निर्माण विभाग और कुटीर एवं ग्रामोद्योग, विजय शाह को वन, जगदीश देवड़ा को वित्त एवं वाणिज्य कर, भूपेन्द्र सिंह को नगरीय विकास और यशोधरा राजे सिंधिया को खेल एवं युवा कल्याण विभाग दिया गया है, जबकि कमल पटेल के पास किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग बरकरार है। सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने वाले अन्य मंत्रियों में बिसाहूलाल सिंह को खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, ऐंदल सिंह कंसाना को लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, हरदीप सिंह डंग को नवीकरणीय ऊर्जा और राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव को औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग सौंपा गया है। इसके अलावा, राज्य मंत्री के तौर पर ब्रजेन्द्र सिंह यादव को लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, गिर्राज दंडोतिया को किसान कल्याण एवं कृषि विकास, सुरेश धाकड़ को लोक निर्माण विभाग और ओपीएस भदौरियो को नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग दिया गया है। यादव, दंडोदिया, धाकड़ और भदौरिया को सिंधिया खेमे से राज्यमंत्री के तौर पर मंत्रि परिषद में शामिल किया गया। भाजपा के अन्य मंत्रियों में डॉ. मोहन यादव को उच्च शिक्षा, मीना सिंह मंडवे को अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण, ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह को खनिज संसाधन और श्रम, विश्वास सारंग को चिकित्सा शिक्षा और भोपाल गैस राहत, प्रेम सिंह को पशुपालन, सामाजिक न्याय और दिव्यांग कल्याण, ओम प्रकाश सकलेचा को सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्योग तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, उषा ठाकुर को पर्यटन और संस्कृति तथा अरविंद भदौरिया को सहकारिता एवं लोक सेवा प्रबंधन का दायित्व दिया गया है। भाजपा के खेमे से स्वतंत्र प्रभार पाने वाले राज्यमंत्री इंदर सिंह परमार को स्कूली शिक्षा, रामखेलावन पटेल को पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण, राम किशोर कांवरे को आयुष और जल संसाधन तथा भारत सिंह कुशवाह को खाद्य प्रसंस्करण एवं बागवानी विभाग दिये गये हैं। गौरतलब है कि मार्च में कांग्रेस के 22 विधायकों के कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने से कांग्रेस की सरकार गिर गयी थी। चौहान ने 23 मार्च को चौथी दफा मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी।