उन्होंने आगे लिखा- यह धारणा देखिए-अगर आप किसी के साथ अच्छे से पेश आते हैं तो आप कमजोर हैं। जब तक आप प्रतिद्वंद्वियों के मुंह पर नहीं चढ़ जाते, तब तक आप मजबूत नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘क्या वह यह सलाह देना चाह रहे हैं कि सचिन तेंडुलकर, राहुल द्रविड़, वीरेंदर सहवाग, वीवीएस लक्ष्मण, अनिल कुंबले और हरभजन सिंह जैसे नाम मजबूत नहीं थे?’
पूर्व कप्तान ने कड़े लहजे में आगे लिखा- सिर्फ इसीलिए कि वह किसी से मतलब रखे बिना सिर्फ अपने काम पर ध्यान देते थे? छातियां नहीं पीटते थे, मैदान पर चीखते-चिल्लाते नहीं थे, क्या इसीलिए वे कमजोर थे?। गावसकर ने हुसैन की इस टिप्पणी के लिए उनकी आलोचना करते हुए कहा कि वह वर्ष 2000 में गांगुली को कप्तान नियुक्त करने से पहले भारतीय टीम के बारे में जानते ही क्या हैं।
उन्होंने कहा, ‘क्या वह 70 और 80 के दशक की टीमों के बारे में अच्छे से जानते हैं, जिन्होंने घर और विदेश दोनों जगह जीत हासिल की थी। हां, गांगुली टॉप कप्तान थे, उन्होंने भारतीय क्रिकेट में सबसे नाजुक समय में बागडोर संभाली। लेकिन यह कहना कि उनसे पहले की टीम मजबूत (टफ) नहीं थी, बकवास है।’
गावसकर ने कहा कि यह बहुत ही दुखद बात है कि किसी ने उन्हें शो पर नहीं रोका। अब यह समय है कि जब भी कोई विशेषज्ञ अपनी राय देता है तो टीवी पर लोग सिर्फ सिर हिलाते हैं। ऐसे में इस बात का विरोध नहीं करना, इस धारणा को मजबूत करता है कि हम बहुत विनम्र हैं और इस वजह से मजबूत नहीं हैं।