मुंबई भागे दुबे के गुर्गे ने कानपुर में छोड़ा सबूत!

मुंबई
महाराष्ट्र एटीएस ने शनिवार को जिस अरविंद उर्फ गुड्डन त्रिवेदी नामक आरोपी को गिरफ्तार किया है, वह अपना मोबाइल कानपुर ही छोड़कर आया था। एटीएस से जुड़े एक अधिकारी ने शनिवार रात
एनबीटी को यह जानकारी दी। इस अधिकारी के अनुसार, गुड्डन ने यह ऐहतियात इसलिए बरता, ताकि यूपी एसटीएफ जब उसकी मोबाइल लोकेशन ढूंढे, तो वह गुमराह रहे। उसे अंदाज ही नहीं रहे कि हम लोग असल में कहां भागे हुए हैं। गुड्डन को उसके ड्राइवर सर्वेश तिवारी के साथ एटीएस चीफ देवेन भारती और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट दया नायक ने ठाणे से गिरफ्तार किया।

एटीएस सूत्रों के अनुसार, गुड्डन और उसका साथी कानपुर से भाग कर मध्य प्रदेश में दतिया तक अपने दोस्त की गाड़ी से आए। वहां से वे अलग-अलग ट्रकों से मुंबई तक आए। हकीकत यह है कि महाराष्ट्र एटीएस और मुंबई क्राइम ब्रांच ने कानपुर की 3 जुलाई की वारदात के बाद अपना समानांतर इनवेस्टिगशन शुरू कर दिया था। दोनों ही जांच एजेंसियों ने अपने अतीत के अनुभव के आधार पर यह अंदाज लगाया था कि देश में जब भी कोई बड़ी वारदात होती है, उसके आरोपी मुंबई छिपने के लिए जरूर आते हैं।

पुलिस की टीमें कर रही थीं ट्रैक
दोनों जांच एजेंसियों के अधिकारी मानकर चल रहे थे कि और उसके साथी भी मुंबई आ सकते हैं। इसी वजह से जब विकास की पृष्ठभूमि निकाली गई, तो पता चला कि उसकी ससुराल मध्य प्रदेश में हैं। लगा, कि वह और उसके साथी कानपुर से मध्य प्रदेश और फिर वहां से महाराष्ट्र आ सकते हैं, इसलिए महाराष्ट्र की दोनों जांच एजेंसियों एटीएस व क्राइम ब्रांच ने इसी के बाद विकास के गैंग के लोगों को मध्य प्रदेश से ही ट्रैक करने की कोशिश की।

पोस्टर में थी गुड्डन त्रिवेदी की फोटो
उसमें विकास तो नहीं मिला, लेकिन गुड्डन त्रिवेदी के इनपुट्स मध्य प्रदेश के दतिया से मिलने शुरू हो गए। विकास त्रिवेदी के कई साथियों के पोस्टर सोशल मीडिया में पिछले एक सप्ताह से घूम रहे थे। उन पोस्टर में एक फोटो गुड्डन त्रिवेदी का भी था। उसी में किसी खबरी ने उसके ठाणे में छिपे होने की टिप दी। उसी में वह और उसका साथी डिटेन किया गया।

गुड्डन से मुंबई पुलिस ने किए कई सवाल
हालांकि यूपी एसटीएफ का कहना है कि विकास के जिन वॉन्टेड साथियों के पोस्टर मीडिया में आए, वह बहुत पुराने केसों के थे। लेकिन महाराष्ट्र एटीएस के एक अधिकारी के अनुसार, हमने शनिवार को जब गुड्डन को डिटेन किया, तो उससे सबसे पहला सवाल यही किया कि तुम कानपुर से भागकर मुंबई क्यों आए, तो उसने जवाब दिया कि हम कानपुर केस में वॉन्टेड हैं। इस अधिकारी के अनुसार, हमने फौरन इसकी सूचना यूपी पुलिस को दे दी। इस अधिकारी का दावा है कि हमने गुड्डन व सर्वेश तिवारी को गिरफ्तार नहीं किया, बल्कि सीआरपीसी के सेक्शन 41 के तहत डिटेन किया। सेक्शन 41 में पुलिस अधिकारी को किसी सस्पेक्ट को जांच के लिए डिटेन करने का अधिकार होता है।

यूपी एसटीएफ और उज्जैन पुलिस में हुआ था विवाद
एनबीटी को जो जानकारी मिली है, उसमें पता चला है कि यूपी एसटीएफ और उज्जैन पुलिस के बीच गुरुवार को सीआरपीसी के इसी सेक्शन 41 को लेकर विवाद भी हुआ था। उज्जैन पुलिस भी इस सेक्शन के तहत विकास दुबे को डिटेन करके उसे किसी अज्ञात जगह पर ले गई और उससे कई घंटे पूछताछ की, जबकि यूपी पुलिस उसकी टीम के वहां पहुंचते ही उसे यूपी एसटीएफ को सौंपने का दबाव डाल रही थी। एनबीटी को एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह भी सूचना दी है कि उनकी जानकारी में उज्जैन पुलिस यूपी बॉर्डर तक विकास की गाड़ी के पीछे-पीछे ही चल रही थी। उज्जैन पुलिस ने ऐसा क्यों किया, यह सस्पेंस ही है।

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