वकील का दिमाग..दुबे ने किए थे बड़े खुलासे

कानपुर
कानपुर शूटआउट के मुख्य आरोपी और दुर्दांत क्रिमिनल विकास दुबे को एनकाउंटर में ढेर करने के बाद अब उसके मददगारों और अन्य आरोपियों की तलाश में जुट गई है। विकास के गुर्गों को शरण देने के आरोप में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार भी किया है। पुलिस अब उन लोगों को दबोचने में जुट गई है, जिन्होंने एनकाउंटर से पहले कानपुर के बिकरू गांव से विकास के भागने और पनाह देने में मदद की थी।

कई पुलिसवालों को दे रखे थे प्लॉट
एनकाउंटर से पहले उज्जैन से कानपुर लाने के दौरान विकास ने पूछताछ में कई अहम खुलासे किए थे। एसटीएफ की पूछताछ में सामने आया कि विकास दुबे ने अपनी आवासीय योजना में कई पुलिसवालों को सस्ते दामों में प्लॉट दे रखे थे। उसने यह भी बताया कि कुछ पुलिसकर्मियों को हर महीने रकम भी पहुंचवाता था। एसटीएफ इन पुलिसकर्मियों के बारे में जानकारी जुटा रही है।

शराब कारोबारी ने की सरेंडर में मदद
सूत्रों के मुताबिक उज्जैन के एक शराब कारोबारी की मदद से विकास ने वहां (उज्जैन) कथित सरेंडर किया था। इस शराब कारोबारी के मध्य प्रदेश में काफी करीबी राजनीतिक संपर्क हैं। शराब कारोबारी का यह संपर्क विकास से भी जुड़ा रहा है। यह भी बताया जा रहा है कि विकास दुबे को उज्जैन में एक बुलेटप्रूफ जैकेट भी मुहैया कराई गई थी। हालांकि अधिकारियों ने इसकी पुष्टि नहीं की है।

फरारी के दौरान तीन बार नोएडा गया था
पूछताछ में यह बात भी सामने आई कि वह तीन बार नोएडा गया था। विकास दुबे फरारी काटने के दौरान तीन बार नोएडा से दिल्ली और फरीदाबाद गया लेकिन यूपी पुलिस को इसकी भनक भी नहीं लगी। जबकि दावे हर नाके, चौराहे और बॉर्डर एरिया में सघन चेकिंग के हो रहे थे। उज्जैन से कानपुर लाने के दौरान विकास से हुई पूछताछ में यह बात सामने आई है कि वह तीन बार नोएडा गया था।

हाई अलर्ट…फिर कहां चूकी पुलिस?
दो जुलाई की घटना के बाद पूरे राज्य में हाई अलर्ट कर दिया गया था। खासतौर से दूसरे राज्यों के सीमावर्ती जिलों में अतिरिक्त सतर्कता बरतने को कहा गया था। बावजूद इसके विकास दुबे तीन बार नोएडा गया और पुलिस उसे पकड़ नहीं पाई। विकास ने रास्ते में हुई पूछताछ के दौरान बताया कि दो जुलाई के बाद वह दो दिन तक कानपुर देहात के शिवली में अपने करीबी के घर रुका था। फिर वहां से फरीदाबाद जाना तय किया। उसने एक निजी गाड़ी का इंतजाम किया और नोएडा के रास्ते फरीदाबाद गया।

अदालत में सरेंडर का प्लान
इस दौरान उसकी कार की कहीं चेकिंग नहीं की गई। 7 जुलाई को उसकी फरीदाबाद से जुड़े वीडियो फुटेज वायरल होने के बाद उसे लगा कि पकड़ा जा सकता है तो वह वहां नोएडा गया और एक वकील से मुलाकात की। वकील ने उससे अदालत में सरेंडर की एप्लिकेशन लगाने के लिए 50 हजार रुपये मांगे। उसके पास कैश नहीं था इसलिए उसने परिचित के जरिए ऑनलाइन फीस का भुगतान करवाने की बात कही। बाद में वह फिर नोएडा से फरीदाबाद आ गया था। बाद में उसका नोएडा का भी एक वीडियो फुटेज वायरल हुआ था। लेकिन तमाम नाकेबंदी के बाद भी पुलिस उसे पकड़ नहीं पाई थी।

पुलिस की दलील
इधर, यूपी एसटीएफ और कानपुर पुलिस विकास को उज्जैन से ट्रांजिंट रिमांड पर नहीं, बल्कि सुपुर्दगी में लेकर आए थे। उज्जैन पुलिस ने विकास की गिरफ्तारी नहीं दिखाई थी। इसलिए उसे कोर्ट में नहीं पेश किया गया। उज्जैन पुलिस की तरफ से यह जानकारी दी गई है कि विकास जब महाकाल मंदिर के बाहर से हिरासत में लिया गया तो उससे पूछताछ की गई।

इसके साथ ही यूपी पुलिस को उसके पकड़े जाने की सूचना दे दी गई। जब यूपी पुलिस की टीम वहां पहुंची तो विकास को उनके सुपुर्द कर दिया गया। सूत्रों के मुताबिक बड़े स्तर पर हुई बातचीत के बाद यह तय हुआ था कि उज्जैन पुलिस द्वारा विकास की गिरफ्तारी नहीं दिखाई जाएगी। हालांकि इससे पहले एमपी के सीएम और गृह मंत्री ने अपने बयान में विकास की गिरफ्तारी के लिए उज्जैन पुलिस को बधाई दी थी।

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