हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे शुक्रवार सुबह एनकाउंटर (Vikas Dubey encounter) में मार गिराया गया। इस मामले को लेकर दिनभर गहमागहमी रही। दुबे को यूपी एसटीएफ की टीम एक वाहन से उज्जैन से कानपुर ला रही थी। अब एसटीएफ ने इस मुठभेड़ मामले में एक प्रेस नोट जारी कर बताया है कि पुलिस ने विकास दुबे को जिंदा पकड़ने के लिए उसके करीब जाने की कोशिश की, लेकिन वह गोलियां चलाता रहा। पुलिस ने आत्मरक्षा में पलटवार किया जिसमें दुबे मारा गया। एसटीएफ का यह भी कहना है कि जिस वाहन से दुबे को कानपुर लाया जा रहा था, उसके सामने अचानक से मवेशियों का एक झुंड आ गया था, जिसकी वजह से चालक वाहन पर काबू नहीं रख पाया और गाड़ी पलट गई। इस दुर्घटना में पांच पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं।
इस प्रेस नोट में बताया गया है, ‘कानपुर के सचेंडी थाना क्षेत्र में सुबह अचानक गाय और भैंसों का झुंड भागता हुआ रास्ते में आया। पुलिस वाहन का चालक लंबी यात्रा से थका हुआ था, ऐसे में इन जानवरों को दुर्घटना से बचाने की कोशिश में उसने वाहन को अचानक से मोड़ा जिससे वाहन अनियंत्रित होकर पलट गया। अचानक हुई इस घटना से गाड़ी में सवार इंस्पेक्टर रमाकांत चौधरी, सबइंस्पेक्टर पंकज सिंह, उपनिरीक्षक अनूप सिंह, सिपाही सत्यवीर और प्रदीप कुमार को गंभीर चोटें आईं। इस बीच मौके का फायदा उठाकर विकास दुबे ने रमाकांच पचौरी की सरकारी पिस्टल को झटके से खींच लिया। इसके बाद गाड़ी से उतरकर कच्चे रास्ते पर भागने लगा। पीछे से आ रही दूसरी गाड़ी में बैठे एसटीएफ के सीओ तेजबहादुर सिंह ने दुबे का पीछा किया। इस पर विकास दुबे ने पुलिस टीम पर गोलियां बरसाईं।’
दुबे की फायरिंग में एसटीएफ के दो जवान जख्मी
एसटीएफ के मुताबिक, ‘पुलिस ने विकास दुबे को जिंदा पकड़ने का पूरा प्रयास किया पर दुबे ने लगातार फायरिंग जारी रखी। अन्य कोई विकल्प ना होने की स्थिति में पुलिसकर्मियों ने भी अपनी जान बचाने के लिए काउंटर फायरिंग की। गोली लगने से दुबे जमीन पर घायल होकर गिर गया, जिसे तत्काल इलाज के लिए सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों से उसे मृत घोषित कर दिया। विकास दुबे की फायरिंग में एसटीएफ के मुख्य आरक्षी शिवेंद्र सिंह सेंगर और आरक्षी विमल यादव घायल हो गए। इनका उपचार चल रहा है। इसके अलावा वाहन पलटने से घायल पुलिसकर्मियों का भी इलाज जारी है। ‘
12 वॉन्टेड अभी फरार
आपको बता दें कि एसटीएफ ने प्रेस नोट जारी कर जो बातें बताई हैं, उसे पुलिस के कई अधिकारी पहले भी बता चुके हैं। इससे पहले यूपी के एडीजी लॉ ऐंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने बताया था कि शूटआउट मामले में नामजद अपराधियों में से छह मारे जा चुके हैं। तीन गिरफ्तार किए जा चुके हैं। सात लोगों को पुलिस ने षडयंत्र की धाराओं में जेल भेजा है। अभी 12 वॉन्टेड अपराधी फरार हैं।