आज ही के दिन ठीक एक साल पहले भारतीय टीम वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के हाथों हार गई थी। कीवी टीम ने पहले खेलते हुए 240 रन का लक्ष्य दिया था लेकिन भारतीय टीम 18 रन से यह मैच हार गई थी।
भारतीय टीम एक वक्त बहुत मुश्किल में थी जब 92 रन पर 6 बल्लेबाज पविलियन लौट चुके थे। रविंद्र जडेजा (77) और एमएस धोनी (50) ने भारतीय पारी को पटरी पर लाने की शानदार कोशिश की थी लेकिन यह प्रयास भी भारत को जीत नहीं दिला सका था।
दोनों ने 7वें विकेट के लिए 116 रन की साझेदारी निभाई। लेकिन दोनों ही बल्लेबाज अंतिम पलों में अपने विकेट गंवा बैठे और भारत को यहां 18 रन से हार का सामना करना पड़ा। इस जीत के साथ न्यू जीलैंड ने फाइनल में एंट्री कर की थी जहां उसे इंग्लैंड के हाथों बाउंड्री काउंट पर हार का सामना करना पड़ा था।
गेंद घूमी, बल्लेबाज लड़खड़ाए
न्यूजीलैंड की स्विंग लेती हुई गेंदों के सामने भारतीय बल्लेबाजी के फ्लॉप शो नजर आया था। 240 रन के लक्ष्य का पीछा करने उतरी टीम इंडिया की शुरुआत यहां बेहद खराब रही। पारी के दूसरे ही ओवर में शानदार फॉर्म में चल रहे रोहित शर्मा (1) मैट हैनरी की स्विंग को संभाल नहीं पाए और गेंद उनके बैट को चूमती हुई सीधे विकेटकीपर टॉम लेथम के हाथ में पहुंची।
विराट भी सस्ते में लौटे
इसके बाद अगले ही ओवर में कप्तान विराट कोहली को ट्रेंट बोल्ट का शिकार बने थे। इस लेफ्टआर्म बोलर की अंदर आती हुई गेंद पर विराट बल्ले से छूने से चूक गए और गेंद सीधे पैड पर टकरा गई। वह LBW आउट हुए। विराट ने DRS लिया लेकिन गेंद स्टंप की चूमते हुए जा रही थी। अंपायर्स कॉल के आधार पर कोहली को आउट दिया गया।
अगले ओवर में दूसरे ओपनर केएल राहुल भी मैट हैनरी की स्विंग लेती बोलिंग के सामने टिक नहीं पाए। 3.1 ओवर में भारत ने अपने टॉप 3 बल्लेबाज गंवा दिए और स्कोरबोर्ड पर अभी सिर्फ 5 रन ही थे।
कार्तिक से थी आस
दिनेश कार्तिक ने युवा बल्लेबाज ऋषभ पंत के साथ मिलकर लड़खड़ा चुकी पारी को संभालने की कोशिश की। लेकिन कार्तिक-पंत ने अभी 19 रन ही और जोड़े थे कि 10वें ओवर की अंतिम बॉल पर दिनेश कार्तिक पॉइंट पर खड़े जिम्मी नीशम के उम्दा कैच का शिकर हो गए। मैट हैनरी के खाते में यह तीसरी सफलता आई।
पंत ने मौका गंवाया
जल्दी-जल्दी 4 विकेट गंवाने के बाद हार्दिक पंड्या को धोनी से पहले क्रीज पर भेजा गया। पंड्या और पंत ने पारी को जिम्मेदारी से संभालने की कोशिश की। इस समय जरूरत विकेट बचाने की थी, तो दोनों ही अपने स्वभाव के विपरीत और परिस्थितियों के अनुरूप खेलते दिख रहे थे। लेकिन सेंटनर की बॉल पर पंत संयम खो बैठे। 32 रन के निजी स्कोर पर खेल रहे पंत मिड विकेट पर बड़ा शॉट खेलने के चक्कर में बाउंड्री के पास खड़े कोलिन डि ग्रैंडहोम को थमा गए। यह भारत को 5वां झटका था।
पंड्या ने दोहरायी गलती
अब पंत के बाद पंड्या का साथ निभाने सीनियर बल्लेबाज एमएस धोनी क्रीज पर आए। 30 ओवर के बाद टीम इंडिया का स्कोर 92 ही था और अब नेट रन रेट भी ऊपर जा रहा था। यहां से भारत को अंतिम 20 ओवर में जीत के लिए 148 रन चाहिए थे। पंड्या ने सोचा कि अब रफ्तार बढ़ाने की सोची। यह दांव भी उल्टा पड़ा। केन विलियमसन ने सैंटनर की गेंद उम्दा कैच लपका।
जडेजा धोनी से थी आस
अब तक टीम इंडिया घोर मुश्किलों में घिर चुकी थी। यहां से ने रविंद्र जडेजा के साथ मिलकर पारी को बखूबी संभाल लिया। दोनों ने मिलकर 116 रन की साझेदारी की। रविंद्र जडेजा एक अलग ही अंदाज में बैटिंग कर रहे थे। उन्होंने 39 बॉल में अपनी फिफ्टी पूरी की और आउट होने से पहले 59 बॉल में 77 रन की पारी खेली। इस पारी में जडेजा ने 4 छक्के और 4 चौके जड़े।
अंतिम पलों में टूटा भारत का सपना
48वें ओवर में जब जडेजा आउट हुए भारत को जीत के लिए 32 रन और चाहिए थे। धोनी ने अभी चार्ज लिया ही था कि वह एक रन दो रन में बदलने के प्रयास में रन आउट हो गए। गप्टिल का शानदार थ्रो सीधे विकेट पर जा लगा। अगर ऐसा नहीं होता तो धोनी को यूं निराश होकर नहीं लौटना पड़ता। धोनी के साथ ही भारत की सभी आस धूमिल हो गईं और अंत में भुवनेश्वर कुमार और युजवेंद्र चहल भी पविलियन लौट गए।