अमिताभ-शाहरुख नहीं हूं, इसका मतलब यह नहीं है कि मैं ऐक्टर नहीं हूंएक मीडिया पोर्टल से बात करते हुए अविनाश तिवारी ने कहा, ‘मुझे फिल्म में अपने पहले लीड रोल को पाने के लिए 15 साल लग गए। इंडस्ट्री में 15 साल ऐक्टिंग करने के बाद मुझे लैला मजनू में लीड रोल मिला। अगर मैं बैट्समैन हूं और सचिन और विराट जैसा नहीं खेलता हूं तो इसका मतलब यह नहीं कि मैं बैट्समैन नहीं हूं। इसी तरह अगर मैं ऐक्टर हूं और अमिताभ बच्चन और शाहरुख खान नहीं हूं, इसका मतलब यह नहीं है कि मैं ऐक्टर नहीं हूं।’
इंडस्ट्री में सबको मौका मिलता है
अविनाश तिवारी ने ने आगे कहा, ‘इंडस्ट्री में 95 फीसदी आउटसाइडर हैं और 5 फीसदी इनसाइडर हैं और यहां सबको मौका मिलता है। आपको यहां पर खुद को साबित करना होता है। सबसे खास बात धैर्य और दृढ़ संकल्प की बहुत जरूरत होती है। यह इंडस्ट्री आसान नहीं है, यहां कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। ‘
सबको अपनी प्रतिभा साबित करनी पड़ती है
बताते चलें कि बीते दिनों अविनाश तिवारी ने कहा था कि यह दर्शकों का फैसला होता है कि वह किसे फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा मानते है और किसे नहीं। उन्होंने यह भी कहा था कि शुरुआती अवसर के बावजूद अंदरूनी लोगों को अभी भी अपनी प्रतिभा साबित करनी पड़ती है।