अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन की किताब ने राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले अमेरिकी राजनीति में तूफान ला दिया है। बोल्टन ने अपनी किताब में दावा किया है कि डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति पद के चुनाव में दोबारा जीतने के लिए जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान चीनी राष्ट्रपति से मदद मांगी थी। बोल्टन के इस दावे के बाद अब ट्रंप भड़क गए हैं और पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को ‘अक्षम’ करार दिया है।
पोम्पियो की चीनी अधिकारी के साथ सीक्रेट बातचीत
राष्ट्रपति और चीन के बीच संबंधों को लेकर नए खुलासों के बीच विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ हवाई में चीन के एक वरिष्ठ अधिकारी के साथ बैठक कर रहे हैं। विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक पोम्पिओ और उनके सहायक स्टीफन बेगुन बंद कमरे में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष राजनयिक के साथ होनूलुलू के वायुसेना अड्डे में बैठक कर रहे हैं। बता दें कि यांग जियाची भारत के साथ भी चीन के प्रमुख वार्ताकार हैं।
किसी को जाने की इजाजत नही
पोम्पिओ और बेगुन के साथ किसी भी संवाददाता को जाने की मंजूरी नहीं दी गई और इस बैठक की कवरेज भी सीमित रहने की संभावना है। ट्रंप के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार द्वारा लिखी गई नई किताब के कुछ विवादित अंशों के खबरों में प्रकाशित होने के शीघ्र बाद ही बैठक शुरू हुई। इस बैठक में कई तरह के विवादस्पद विषयों पर चर्चा होने की संभावना है क्योंकि किताब के इन विवादित अंशों ने दोनों देशों के बीच संबंधों को हिलाकर रख दिया है।
ट्रंप पर आरोप- मांगी थी चीन की मदद
किताब में बोल्टन ने ट्रंप पर आरोप लगाया है कि उन्होंने राष्ट्रपति पद के चुनाव में दोबारा जीतने के लिए चीन के अपने समकक्ष शी चिनफिंग से मदद मांगते हुए कारोबार युद्ध को खत्म करने के लिए कहा था। इसके अलावा उन्होंने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग को पश्चिमी चीन में उइगर मुस्लिमों के लिए यातना शिविर बनाने के लिए उत्साहित किया।
चीन के खिलाफ US में एक विधेयक मंजूर
बुधवार को ट्रंप ने एक ऐसे विधेयक पर हस्ताक्षर किए हैं जिसमें उइगर मुसलमानों और जातीय अल्पसंख्यकों के खिलाफ की गई कार्रवाई के लिए चीन को दंडित करने की मांग की गई है। इस विधेयक को संसद में बेहद कम विरोध के साथ पारित कर दिया गया। पोम्पिओ और बेगुन की यांग के साथ बातचीत में मुख्य मुद्दा हांगकांग को लेकर चीन की नीति और कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर उसकी प्रतिक्रिया को जगह दिए जाने की संभावना है।
बोल्टन का दावा- चीनी राष्ट्रपति से ट्रंप ने मांगी थी मदद
बोल्टन ने अपनी किताब में लिखा है कि ट्रंप ने जी-20 शिखर सम्मेलन के इतर ओसाका में एक बैठक के दौरान अपने दोबारा चुनाव में चीनी राष्ट्रपति से मदद की अपील की थी। इसी बीच न्यूयॉर्क टाइम्स में आई खबर के अनुसार बोल्टन ने यह भी लिखा है कि उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन से ट्रंप के पहले संपर्क में अहम भूमिका निभाने वाले पोम्पिओ को इस मिशन पर कोई भरोसा नहीं था। बाद में उन्होंने इस मामले को बेगुन को दिया था। पोम्पिओ को इस प्रयास पर बेहद संदेह था और उन्होंने कभी यह नहीं माना था कि समझौता हो भी सकता है।
कई मुद्दों पर बातचीत संभव
वहीं हवाई में बेगुन की मौजूदगी इस ओर इशारा करती है कि इस दौरान अमेरिका-उत्तर कोरिया भी बातचीत का विषय हो सकता है। विदेश मंत्रालय ने बोल्टन की किताब के किसी भी पहलू पर टिप्पणी नहीं की है। ट्रंप और शी को लेकर बोल्टन के खुलासे के बाद भी चीन 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप के चुनाव प्रचार में अहम मुद्दा बना रहेगा क्योंकि ट्रंप के समर्थक बीजिंग को लेकर प्रशासन का कड़ा रुख चाहते हैं और चुनाव में बीजिंग के साथ विदेश नीति को प्रमुखता से उठाना चाहते हैं। ट्रंप के समर्थक, डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवार जो बाइडेन को चीन को लेकर नरम रुख रखने वाले नेता के रूप में चित्रित कर रहे हैं।