अमेरिका की स्पेस एजेंसी (नैशनल ऐरोनॉटिक्स ऐंड स्पेस ऐडमिनिस्ट्रेशन) 2035 तक पहली बार इंसानों को मंगल मिशन पर भेजने पर काम कर रही है। इसे लेकर वैज्ञानिकों की राय है कि मंगल पर जाने से पहले वीनस (शुक्र) पर जाना चाहिए। टीम को लगता है कि वीनस की ग्रैविटी को ‘स्लिंगशॉट’ की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है जिससे कम समय और ईंधन खर्च करके मंगल तक पहुंचा जा सकता है। वीनस पर जाने से ऐस्ट्रोनॉट्स को एक ही ट्रिप में दो अलग-अलग खोजें करने का मौका मिल सकता है।
स्पेस ट्रैवल ट्रांसपोर्ट का टेस्ट
इंसानों को मंगल पर भेजने के लक्ष्य पर 1950 से नजर है जब एयरोस्पेस इंजिनियर वेरनर वॉन ब्रॉन ने पहली बार मिशन के लिए टेक्निकल स्टडी लिखी थी। अब इसे सच्चा में बदलने में NASA जुटी है। जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी अप्लाइड फिजिक्स लैब, नॉर्थ कैरोलाइना स्टेट यूनिवर्सिटी और NASA इस सफर में बदलाव की राय दे रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि शुक्र पर एक साल के मिशन से मंगल पर जाने के लिए इस्तेमाल होने वाले डीप-स्पेस ट्रांसपोर्ट सिस्टम का टेस्ट भी हो जाएगा।
शुक्र पर जाने के ये फायदे
इसके अलावा ऐस्ट्रोनॉट्स शुक्र की ग्रैविटी को मंगल पर जाने के लिए इस्तेमाल कर सकेंगे जिससे उनका समय और ईंधन यानी पैसे भी बचेंगे। अगर ट्रिप पर कोई दिक्कत होती है तो वीनस को सेफ्टी-स्पॉट के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकेगा जो पृथ्वी के करीब है और वहां से जल्दी वापसी की जा सकेगी। सबसे अहम बात यह है कि पृथ्वी और मंगल दोनों के बीच में ट्रैवल करने लायक स्थिति में सिर्फ 26 महीनों में एक बार पहुंचते हैं। ऐसे में वहां जाने वाले ऐस्ट्रोनॉट्स को सालभर से ज्यादा इंतजार करना पड़ेगा। बीच में एक साल के लिए शुक्र को लाने से यह समय 19 महीने का रह जाएगा।