इटली मरींस केस: नाव पर 11वां शख्स भी था!

माहिर हनीफ, नई दिल्ली
करीब 8 साल पहले इटली के दो मरीन्स ने दो भारतीय मछुआरों की गोली मारकर ( Shooting Case) हत्या कर दी थी। अब यह बात सामने आई है कि मछुआरों की नाव पर उस समय एक 14 साल का बच्चा भी मौजूद था। उस घटना से उसे ऐसा सदमा लगा था कि वह करीब 7 सालों तक ट्रॉमा से जूझता रहा और आखिरकार पिछले साल उसने आत्महत्या कर ली। उसके परिवार को कोई मुआवजा भी नहीं मिला।

15 फरवरी 2012 को तेल के टैंकर एनरिका लेक्सी पर सवार इटली के 2 मरींस ने केरल के दक्षिणी तट के नजदीक भारतीय मछुआरों की नौका पर फायरिंग की थी। नाव पर 10 मछुआरे सवार थे और इटैलियन मरींस ने कथित तौर पर उन्हें समुद्री लुटेरे समझकर फायरिंग की थी। इसमें 2 भारतीय मछुआरों की मौत हुई थी।

आधिकारिक तौर पर तो नाव पर 10 लोग सवार थे लेकिन अब यह जानकारी सामने आ रही है कि उस पर एक ग्यारहवां शख्स भी सवार था और वह था एक 14 साल का लड़का प्रिजिन ए। उस नाबालिग ने अपनी आंखों के सामने 2 मछुआरों को तड़प-तड़पकर मरते देखा था और उसे इसका ऐसा सदमा लगा कि कभी उससे उबर ही नहीं पाया। ट्रिजिन के परिवार का दावा है कि ट्रॉमा से जूझते हुए आखिरकार 2 जुलाई 2019 को उसने खुदकुशी कर ली।

तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले स्थित कंजामपुरम के रहने वाले प्रिजिन ने घटना वाले दिन अपने पड़ोसी और अजीज दोस्त अजीश पिंकू को मरते हुए देखा था। एनरिका लेक्सी कांड ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरी थी और उसकी वजह से कुछ समय के लिए भारत और इटली के बीच कूटनीतिक गतिरोध भी बना था। इस मामले में पिछले हफ्ते ही 2 जुलाई को हेग स्थित पर्मानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन ने अपने फैसले में इटैलियन मरींस को बड़ी राहत दी है। पंचाट ने इस केस को भारत के न्यायिक अधिकार क्षेत्र से बाहर करने और भारतीय मछुआरों के परिवारों को इटली द्वारा पर्याप्त मुआवजा देने का आदेश दिया है।

प्रिजिन अपने परिवार का इकलौता कमाऊ सदस्य था। 6 जुलाई को उसकी मां और 7 बहनों ने केंद्र सरकार से लिखित गुहार लगाई है कि प्रिंजन को इंसाफ मिले और इटली से उसके लिए 100 करोड़ रुपये मुआवजा वसूला जाए।

15 फरवरी 2012 की शाम साढ़े 4 बजे एनरिका लेक्सी पर तैनात इटली के 2 मरींस ने भारतीय मछुआरों की नाव सैंट एंटोनी पर फायरिंग की थी। इस नाव के कैप्टन फ्रेडी जॉन बॉस्को थे जो प्रिजिन के ही गांव के रहने वाले थे। घटना के बाद उन्होंने प्रिजिन को एक दूसरी नाव पर शिफ्ट कर दिया क्योंकि उन्हें डर था कि उनके खिलाफ बाल श्रम कानून के उल्लंघन के आरोप में कार्रवाई हो सकती है।

मामला जब अदालतों में पहुंचा तो फ्रेडी अक्सर प्रिजिन के घर जाते थे और उनके परिवार को इस बात के मनाते थे कि वे नाव पर नाबालिग की मौजूदगी की बात को गुप्त रखे। उन्होंने परिवार को भरोसा दिलाया था कि उन्हें इंसाफ दिलाने और उचित मुआवजा दिलाने की हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं।

हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया के पास प्रिजिन के परिवार की तरफ से केंद्र से लगाई गई गुहार की कॉपी है। नाबालिग के परिवार ने ऐडवोकेट यश थॉमस मुन्नली के जरिए यह गुहार लगाई है। इसमें कहा गया है कि फायरिंग की घटना से लगे सदमे की वजह से प्रिजिन समुद्र में जाने से डरने लगा। रात-रात भर वह जागा करता था और बुरे सपने देखा करता था। घटना से वह डिप्रेशन में चला गया और उसकी मानसिक स्थिति लगातार बिगड़ती चली गई। आखिरकार 2 जुलाई 2019 को उसने आत्महत्या कर ली।

उसकी मां और बहनों का आरोप है कि मामले में निष्पक्ष जांच नहीं हुई और प्रिजिन को इंसाफ नहीं मिला। परिवार वालों ने 100 करोड़ रुपये मुआवजे की मांग की है। इनमें से 70 करोड़ रुपये मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक यातना के लिए और 30 करोड़ रुपये हिंसा, रोजी-रोटी के खत्म होने और चाइल्ड राइट्स के उल्लंघन के लिए मांगे गए हैं।

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