सलीम खान ने हमारे सहयोग बॉम्बे टाइम्स से बात करते हुए कहा, ‘आपके पास अच्छा सेंस ऑफ ह्यूमर हो सकता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप स्क्रीन पर अच्छी कॉमिडी कर सकते हैं। सिर्फ चिल्लाने से आप लोगों को हंसा नहीं सकते। कॉमिडी के लिए टाइमिंग बहुत जरूरी है वह जयदीप के पास थी। वह वह बेहद बहुमुखी और पेशेवर थे। टाइम पे आना, टाइम पे जाना, कोई हैंग अप नहीं।’
सलीम खान ने आगे कहा, ‘जयदीप को अलग-अलग किरदार निभाना पंसद था। वह भोपाल की बोली से परिचित थे और शोले (सूरमा भोपाली) में उनके किरदार को उस सहजता की आवश्यकता थी इसलिए हमने उनके लिए किरदार के बारे में सोचा। साल 1971 में आई फिल्म अधिकार में प्राण साहब ने इसी तरह की भूमिका (बन्ने खां भोपाली) निभाई थी। तब से मेरे मन में था हम शोले में सूरमा भोपाली के किरदार को लिखें।’
जगदीप का असली नाम सैयद इश्तियाक अहमद जाफरी था। उन्होंने अपने करियर में 400 से अधिक फिल्में कीं। उन्होंने करियर की शुरुआत चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर बीआर चोपड़ा की फिल्म ‘अफसाना’ से की थी। जगदीप ने ‘लैला मजनू’, ‘खिलौना’, ‘आइना’, ‘सुरक्षा’, ‘फिर वही रात’, ‘पुराना मंदिर’, ‘शहंशाह’, ‘अंदाज अपना अपना’, ‘चाइना गेट’, ‘कहीं प्यार ना हो जाए’, ‘बॉम्बे टू गोवा’ जैसी फिल्मों में काम किया।