भारत और अमेरिका की चौतरफा घेराबंदी से टेंशन में आए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अब रूस की शरण में पहुंच गए हैं। शी जिनपिंग ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को फोन कर उनसे रणनीतिक सहयोग और संपर्क बढ़ाने का अनुरोध किया है। चीनी राष्ट्रपति ने दावा किया कि मास्को और पेइचिंग दोनों ही एकाधिकारवाद और आधिपत्य के खिलाफ हैं।
शी जिनपिंग ने बुधवार को पुतिन से कहा कि यह जरूरी है कि तेजी से बदलती वैश्विक स्थिति में चीन और रूस दोनों ही अपने रणनीतिक सहयोग और संपर्क को और तेज करें। शी जिनपिंग और पुतिन के बीच यह बातचीत ऐसे समय पर हुई जब अमेरिका-चीन के बीच संबंध बहुत तेजी से खराब रहे हैं और उधर भारत से भी चीन का सीमा पर भारी तनाव चल रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुतिन को फोनकर बधाई दी
यह बातचीत ऐसे समय पर हुई है जब पांच दिन पहले ही भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुतिन को फोनकर उन्हें जनमत संग्रह में जीत के लिए बधाई दी थी और एक बड़े सैन्य समझौते को मंजूरी दी थी। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी पहले ऐसे वैश्विक नेता थे जिन्होंने पुतिन को जीत की बधाई दी थी। इस दौरान पुतिन ने पीएम मोदी से कहा था कि वह चाहते हैं कि दोनों देशों के बीच ‘विशेष और विशेष अधिकारों वाले’ रिश्ते को और ज्यादा बढ़ाना चाहते हैं।
पुतिन के साथ बातचीत के दौरान शी जिनपिंग ने कहा कि चीन रूस के साथ सहयोग जारी रखना चाहता है और दृढ़तापूर्वक विदेशी हस्तक्षेप और तोड़फोड़ का विरोध करता है। साथ ही दोनों देशों की संप्रभुता को, सुरक्षा और विकास के हितों को बनाए रखना चाहता है। शी ने कहा कि चीन ने हमेशा से ही रूस के विकास के रास्ते का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि चीन अंतरराष्ट्रीय स्तर खासतौर पर संयुक्त राष्ट्र में सहयोग को और ज्यादा तेज करेगा।
रूस के शहर पर चीन ने किया था दावा
बता दें कि चीन एक शीर्ष राजनयिक और सरकारी समाचार चैनल सीजीटीएन के संपादक शेन सिवई ने अब रूस के शहर व्लादिवोस्तोक पर चीन का दावा बताया था। इसके बाद विवाद शुरू हो गया था। चीन के दावा किया कि रूस का व्लादिवोस्तोक शहर 1860 से पहले चीन का हिस्सा था। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि इस शहर को पहले हैशेनवाई के नाम से जाना जाता था जिसे रूस से एकतरफा संधि के तहत चीन से छीन लिया था। रूस ने कुछ दिन पहले ही चीन के खुफिया एजेंसी के ऊपर पनडुब्बी से जुड़ी टॉप सीक्रेट फाइल चुराने का आरोप लगाया था। इस मामल में रूस ने अपने एक नागरिक को गिरफ्तार भी किया था जिसपर देश द्रोह का आरोप लगाया गया है। आरोपी रूस की सरकार में बड़े ओहदे पर था जिसने इस फाइल को चीन को सौंपा था।