के कहर से जूझ रही दुनिया को बचाने के लिए वैज्ञानिक दिन-रात इस वैश्विक महामारी की वैक्सीन बनाने में जुटे हुए हैं। कई देशों के वैज्ञानिकों ने दावा भी किया है कि उन्होंने बना ली है। लेकिन, विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, अभी तक कोई भी ऐसी वैक्सीन नहीं बनी है जिसे का नाम दिया जा सके।
मौसमी बुखार के टीकों जैसे होगी कोरोना की वैक्सीन
इस बीच अमेरिका के एक विशेषज्ञ ने दावा किया है कि कोरोना वायरस की पहली वैक्सीन मौसमी बुखार के टीकों से अधिक प्रभावी नहीं होगी। अमेरिका में पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल के दौरान मेडिकेयर एंड मेडिकिड सर्विसेज के केंद्रों के पूर्व कार्यवाहक प्रशासक एंडी स्लाविट ने कहा कि जो भी वैक्सीन पहली बार बनेगी वह इसके जोखिम को केवल 40 से 60 फीसदी ही कम कर पाएगी।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन सबसे आगे
स्लाविट ने दावा किया कि उन्होंने अन्य दो वैज्ञानिकों के साथ मिलकर कोरोना वायरस वैक्सीन के डेटा का अध्ययन किया है। ये सभी वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल के फेज में हैं। जिसके अनुसार, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन सबसे आगे है। इस वैक्सीन से लोगों के शरीर में एंटीबॉडी का निर्माण हो रहा है और अभी तक किसी भी प्रकार के दुष्परिणाम की जानकारी नहीं है।
वैक्सीन से 40 से 60 फीसदी कम होगा खतरा
स्लाविट ने वैज्ञानिकों से बातचीत के बाद दावा किया कि यह स्पष्ट नहीं है कि ये वैक्सीन कब तक आएंगे और किसके लिए प्रभावी साबित होंगे। लेकिन, इस बात की संभावना ज्यादा है कि कोरोना वायरस की पहली वैक्सीन मौसमी बुखार के वैक्सीन की तरह ही होगी। जो यूएस सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, बीमारी के जोखिम को 40 से 60 फीसदी तक कम कर पाते हैं।
दुनिया भर में 13 वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल फेज में
बता दें कि दुनिया में वर्तमान समय में कोरोना वायरस वैक्सीन को लेकर 120 से ज्यादा प्रतिभागी काम कर रहे हैं। जबकि, इनमें से 13 वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल के फेज में पहुंच चुकी हैं। इनमें से सबसे ज्यादा चीन की वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल में है। बता दें कि चीन में 5, ब्रिटेन में 2, अमेरिका में 3, रूस ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी में 1-1 वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल फेज में हैं।