मिट गईं दूरियां, साथ-साथ हैं 'महाराज' और केपी, दोनों ने दिल खोलकर की एक-दूसरे की तारीफ

भोपाल
एमपी की राजनीति में एक बार फिर से एक्टिव हो गए हैं। उपचुनाव वाले क्षेत्रों में वह लगातार वर्चुअल रैली कर रहे हैं। रैली के जरिए कांग्रेस पर प्रहार कर रहे हैं। इस बीच बीजेपी के लिए एक अच्छी खबर सामने आई है। ज्योतिरादित्य सिंधिया और गुना से के बीच की दूरियां ढाई साल बाद मिट गई हैं। वर्जुअल रैली के दौरान दोनों ने एक-दूसरे की खुल कर मंगलवार को तारीफ की है।

दरअसल, ज्योतिरादित्य सिंधिया और केपी यादव में करीब ढाई सालों से एक-दूसरे के साथ नहीं आए थे। 2019 के लोकसभा में ज्योतिरादित्य सिंधिया की हार के बाद बीजेपी सांसद केपी यादव से अदावत और बढ़ गई थी। केपी यादव कभी ज्योतिरादित्य सिंधिया के सहयोगी थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में महाराज को पटखनी देकर देश भर में चर्चा में आ गए। ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद से वह असहज महसूस कर रहे थे। मंगलवार से पहले दोनों कभी किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में नजर भी नहीं आए थे। कभी किसी ने एक-दूसरे का नाम तक नहीं लिया था।

मैं और केपी एक साथ
दरअसल, अशोकनगर विधानसभा उपचुनाव के लिए वर्जुअल रैली को संबोधित करते हुए राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि मैं और केपी आज भी एक हूं। उनका मेरे साथ काम करने का अच्छा अनुभव रहा है। केपी मुस्कुरा भी रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया की बात सुन रैली के दौरान केपी यादव हाथ जोड़ कर मुस्कुरा रहे थे। इस बीच सिंधिया ने कहा कि हम पहले भी एक साथ थे। बीच में भले भी कुछ हुआ हो। हम साथ में लड़ेंगे और हर संकट का सामना करेंगे।

केपी ने भी की तारीफ
बीच में खबरें आ रही थीं कि केपी पार्टी से नाराज चल रहे हैं। लेकिन दोनों नेताओं ने मंगलवार को साथ आकर इन खबरों पर विराम लगा दिया है। केपी यादव ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि महाराज के साथ फिर से काम करने का मौका मिला। उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करूंगा। साथ ही उपचुनाव में बीजेपी सभी 24 सीटें जीतेगी।

गुना से पहली बार हारे थे सिंधिया
दरअसल, अपने पिता के निधन के बाद से ही ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना-शिवपुरी से लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे। गुना-शिवपुरी सिंधिया परिवार का परंपरागत सीट रहा है। पहली बार ऐसा हुआ कि ज्योतिरादित्य सिंधिया 2019 में यहां से लोकसभा चुनाव हार गए। चुनाव हार के बाद बहुत दिन तक ज्योतिरादित्य सिंधिया शांत रहे थे। हार दर्द कई बार सार्वजनिक मंचों से भी छलका था।

2018 में खराब हुए थे रिश्ते
गुना-शिवपुरी से सांसद केपी यादव पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी थे। 2018 में मुंगावली विधानसभा उपचुनाव के दौरान उन्होंने टिकट मांगा था। लेकिन कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर केपी यादव ने बीजेपी का दामन थाम लिया था। केपी यादव चुनाव लड़े लेकिन कांग्रेस उम्मीदवार से चुनाव हार गए। लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें फिर से गुना-शिवपुरी से टिकट दे दिया। इस बार केपी यादव ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को चुनाव हरा दिया।

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