चीन की विदेश नीति में धोखेबाजी और धूर्तपने का कितना अहम किरदार है, यह एक बार फिर से दिख रहा है। गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों पर धोखे से हमले के बाद अब चीन के विदेश मंत्री वांग यी आगे का रास्ता बातचीत के जरिए निकालने पर जोर दे रहे हैं। हालांकि, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने स्पष्ट कर दिया कि भारत इसे स्थानीय स्तर पर अचानक पैदा हुई परिस्थिति नहीं मानता है, बल्कि इसके पीछे चीन की सोची-समझी साजिश साफ झलक रही है।
भारत की दो टूक- चीन ने पूर्वनियोजित रणनीति से किया हमला
विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, ‘विवाद निपटने के रास्ते पर था कि चीनी सैनिकों ने गलवान घाटी में हमारे हिस्से की एलएसी पर ढांचा खड़ा करना चाहा। यह विवाद की जड़ बना और चीन ने पूरी तरह सोची-समझी और योजना बनाकर कार्रवाई की जिससे हिंसा हुई और दोनों ओर के सैनिक शहीद हुए।’ विदेश मंत्री ने अपने समकक्ष से साफ कहा, ‘इससे स्पष्ट होता है कि चीन यथास्थिति में परिवर्तन नहीं करने को लेकर हमारे बीच बनी सभी सहमतियों का उल्लंघन कर जमीनी हकीकत बदलने का इरादा रखता है।’
द्विपक्षीय संबंधों पर होगा गंभीर असर: भारत
बयान में कहा गया है, ‘विदेश मंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि इस अनचाही गतिविधि का द्विपक्षीय संबंध पर गंभीर असर पड़ेगा। वक्त का तकाजा है कि चीन अपनी कार्रवाइयों पर फिर से विचार करे और सुधार की दिशा में कदम उठाए।’ बयान में कहा गया, ‘विदेश मंत्री ने गलवान घाटी में 15 जून को हुई खूनी झड़प के खिलाफ चीन के सामने बेहद कड़े शब्दों में प्रतिरोध दर्ज कराया है।’ इसमें कहा गया है कि वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के साथ मीटिंग में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर डी-एस्केलेशन के अजेंडे तय हुए थे जिन्हें लागू करने के लिए पिछले हफ्ते ग्राउंड कमांडरों के बीच लगातार बातचीत हुई। लेकिन, चीन ने इससे हटते हुए साजिश रच दी।
चीन की चाल:
उकसावे के बाद शांति की अपील
आज दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की हुई बातचीत में चीन ने बातचीत के मौजूदा तंत्रों के इस्तेमाल पर जोर दिया और कहा कि मतभेदों को बातचीत के जरिए ही हल करना चाहिए। पूर्वी लद्दाख के पैट्रोलिंग पॉइंट- 14 पर हुए खूनी झड़प के दो दिन बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच बातचीत हुई। इस बातचीत में वांग ने इस बात पर जोर दिया कि मतभेदों से उबरने के लिए दोनों पक्षों को मौजूदा तंत्रों के जरिए बातचीत और समन्वय का रास्ता और दुरुस्त करना चाहिए।
चीनी सैनिकों ने धोखे से किया वार
इस बातचीत में दोनों पक्षों ने खूनी संघर्ष से पैदा हुई गंभीर परिस्थिति से पार पाने के लिए मिलट्री कमांडरों के बीच हुई बातचीत में बनी सहमति के मुताबिक आगे का रास्ता तय करने पर हामी भरी। ध्यान रहे कि सोमवार को हुई खूनी झड़प में कर्नल संतोष बाबू समेत भारतीय सेना के 20 सैनिक शहीद हो गए। वहीं, चीन के 43 सैनिकों को मारे जाने की खबर आ रही है। यह हालत तब रही जब भारतीय सैनिकों के मुकाबले चीनी सैनिकों की संख्या पांच गुना थी।
चीन की कथनी और करनी में अंतर
दरअसल, चीनी विदेश मंत्री बातचतीत के जिस मौजूदा तंत्र की बात कर रहे हैं, उसी के तहत 5 मई की पहली झड़प के बाद दोनों पक्षों के बीच करीब 15 दौर की बातचीत हुई। 6 जून को लेफ्टिनेंट जनरल लेवल की बातचीत में दोनों देश अपने-अपने सैनिकों को पीछे बुलाकर डी-एस्केलेशन की प्रक्रिया शुरू करने को राजी हुए थे। भारतीय सेना के कर्नल संतोष बाबू सोमवार को गलवान वैली में वही देखने गए थे कि क्या चीन वादे के मुताबिक अपने सैनिकों को वापस बुला रहा है या नहीं, तभी पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने उन पर हमला कर दिया।