दक्षिण चीन सागर और ताइवान को लेकर चल रही तनातनी के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक ऐसे बिल पर हस्ताक्षर किए हैं जिससे चीनी ड्रैगन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन को उइगर और अन्य जातीय अल्पसंख्यकों के खिलाफ चलाए उसके अभियान के लिए दंडित करने के लिए एक विधेयक पर हस्ताक्षर किए हैं।
इस अमेरिकी विधेयक में पश्चिमी शिनजियांग क्षेत्र में उइगरों और अन्य जातीय समूह के लोगों की बड़े पैमाने पर निगरानी और उन्हें हिरासत में लेने वाले चीन के अधिकारियों पर प्रतिबंध की बात भी शामिल हैं। चीन में एक लाख से अधिक लोगों को बदतर हालात में शिविरों में हिरासत में रखने के खिलाफ और उसे दंडित करने के लिए किसी भी देश द्वारा उठाया गया यह एक बड़ा कदम है।
अमेरिका के इस कदम के बाद चीन के साथ पहले से खराब चल रहे उसके संबंधों के और तनावपूर्ण होने की आशंका है। कांग्रेस ने विधेयक पारित कर दिया और बुधवार को ट्रंप ने भी इस पर हस्ताक्षर कर दिए। ट्रंप ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि 2020 उइगर मानवाधिकार नीति अधिनियम ‘मानवाधिकारों के उल्लंघन के अपराधियों’ को जवाबदेह ठहराएगा।
उइगरों के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे वकील नुरी टर्केल ने सोशल मीडिया पर राष्ट्रपति का शुक्रिया अदा करते हुए लिखा, ‘यह अमेरिका और उइगर लोगों के लिए एक महान दिन है।’चीन का मानना है कि चीन के लिए खतरा हैं। चीन ने इनपर दाढ़ी बढ़ाने और नकाब पहनने के कारण भी ऐक्शन लिया है और उन्हें अज्ञात जगह पर हिरासत में भेज दिया गया है। हालिया जानकारी में उइगर मुसलमानों को ऐसे कारणों से भी हिरासत में लिया गया है जो उनके रोजमर्रा का काम है। खास बात ये है कि चीन इस मसले पर टिप्पणी तक से बचता रहा है।