भारत और चीन के बीच सीमा विवाद इस साल मई की शुरुआत से ही सुर्खियों में है। पूरा मसला पैन्गॉन्ग सो झील के पास लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल () पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प से शुरू हुआ। इस झील के उत्तरी किनारे पर पर्वत चोटियां हैं, जिन्हें फिंगर्स कहा जाता है। 8 फिंगर्स भारत की तरफ से शुरू होते हैं और चीन की तरफ खत्म होते हैं। लेकिन चीन चौथे फिंगर तक अपनी सीमा बताता है। पिछले महीने यहीं पर झड़प हुई थी। दूसरी घटना सिक्किम में नाकुला की है, जहां चीन, भारतीय क्षेत्र पर अपना दावा ठोकता है। इन दोनों घटनाओं के बाद गलवान घाटी की घटना हुई, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए।
इस बार जो हालात बने हैं, वह पिछले हर बार से अलग हैं। इस बार एक ही समय में अलग-अलग इलाकों में दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हो रही है। पहले एक बार में किसी एक जगह पर ही आपसी टकराव होता था। दूसरी बात यह है कि चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के सैनिक हर बार से कहीं अधिक संख्या में तैनात हैं। तीसरी बात चीन का रवैया पूरी LAC पर बहुत आक्रामक है। अंतिम बात कि अगर यह घटना अकेले की होती तो लोकल कमांडर द्वारा नियंत्रित कर ली जाती। अब जबकि स्थिति बिगड़ चुकी है, तो नई दिल्ली और पेइचिंग इसमें शामिल हो गए हैं।
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अब सवाल यह है कि यह घटनाएं क्यों अब हो रही हैं। प्रशिक्षण कार्यों की वजह से आसपास सैनिकों की मौजूदगी की वजह से चीन की सेना को पर्याप्त ताकत इकट्ठा करने की सुविधा मिल गई। दूसरी बात मौसम की। ठंड कम हो जाने की वजह से तापमान पहले से बेहतर हो गया है। भारत की तरफ इन्फ्रास्ट्र्क्चर डिवेलपमेंट की वजह से चीन में खलबली मची है।
15 जून से पहले किसी भी तरह की हिंसक झड़प नहीं हुई थी। जमीनी स्तर पर बातचीत और हायर मिलिट्री कमांडर लेवल पर वार्ता हो रही थी। विवाद को सुलझाने के लिए 6 जून को लेफ्टिनेंट जनरल स्तर पर बातचीत हुई थी, जिसमें कुछ मसलों पर सहमति भी बनी थी। आगे भी बातचीत की जानी थी। लेकिन 15 जून को चीनी सैनिकों ने भारतीय क्षेत्र में घुसकर सहमति का उल्लंघन किया। जिसका नतीजा यह हुआ कि 45 सालों में पहली बार सैनिकों की शहादत हुई।
दोनों देशों के सैनिकों की झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हुए। इनमें से कुछ ने बहुत ठंड की वजह से दम तोड़ दिया। चीनी सैनिकों के भी मरने की खबर है। हालांकि मीडिया में 16 से लेकर 43 सैनिकों तक के ढेर होने की अपुष्ट खबरें आ रही हैं। चीन ने 6 जून की सहमतियों का उल्लंघन किया, जिस वजह से आज भारत और चीन के बीच के संबंध के इतिहास में खराब दौर आ गया है।
अब ग्राउंड लेवल पर स्थिति गंभीर बन चुकी है। दोनों ही देशों के विदेश मंत्रालय इस स्थिति का दोष एक-दूसरे पर मढ़ रहे हैं। इस समय सरकारी स्तर, राजनयिक स्तर, ग्राउंड स्तर पर बातचीत जारी है। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 17 जून को अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ फोन पर बातचीत की। दोनों ही पक्षों ने मामले को जिम्मेदारी के साथ सुलझाकर सीमा पर शांति बरकरार रखने की बात की है। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि वर्तमान स्थिति को सुलझाने के लिए कोई नतीजा निकाला जाएगा। इस बीच अफवाह और अंदाजा लगाने का काम नहीं किया जाना चाहिए।
(लेखक लेफ्टिनेंट जनरल एस एल नरसिम्हन (रिटायर्ड) चीन मामलों के विशेषज्ञ हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाह बोर्ड के सदस्य भी हैं।)