राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) का कहना है कि एजेंसी को के छात्रों को जारी करने के लिए अलगावादियों की तरफ से लिखी गई कई सिफारिशी चिट्ठियां मिली हैं जिनमें सुरक्षाबलों के खिलाफ विभिन्न विरोध प्रदर्शनों में उनकी भूमिकाओं के बारे में बताया गया है। NIA पहले ही जम्मू-कश्मीर के अलगाववादियों की सिफारिश पर पाकिस्तानी मेडिकल कॉलेजों में दाखिले को लाल झंडी दिखा चुका है और एजेंसी इसे आतंकवादी संगठनों के लिए धन जुटाने का ‘वैकल्पिक तरीका’ बताती है।
एजेंसी ने आतंकवादी समूहों को मिलने वाले धन के मामले की जांच 2017 में शुरू की और उसने अभी तक पाकिस्तान का समर्थन करने वाले नेता सैय्यद अली शाह गिलानी के दामाद अल्ताफ अहमद शाह ऊर्फ ‘फंटूश’सहित दर्जन भर से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया है। गौरतलब है कि गिलानी ने पिछले ही सप्ताह राजनीति से संन्यास ले लिया है। हुर्रियत कांफ्रेंस की पाकिस्तान संबंधित इकाई में 90 वर्षीय गिलानी के उत्तराधिकारी ने आरोप लगाया है कि संगठन का प्रतिद्वंद्वी धड़ा प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों की सीटें बेच रहा है। इस मामले में एनआईए की जांच के बाद पिछले साल अलगावादियों ने कश्मीर से किसी के भी दाखिले की सिफारिश नहीं की।
अधिकारी ने बताया कि वर्षों से जम्मू-कश्मीर से हर साल 100 से ज्यादा बच्चों को उच्च शिक्षा, खास तौर से एमबीबीएस के लिए पाकिस्तान भेजा जाता था और एनआईए ने छात्रों, पाकिस्तान उच्चायोग के अधिकारियों और घाटी के अलगाववादियों के बीच सांठगांठ का पर्दाफाश किया। उनका कहना है कि अलगाववादी नेता इसके लिए पैसे लेते थे और वह धन कश्मीर घाटी में आतंक फैलाने और अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ावा देने में इस्तेमाल होता था। एनआईए ने हवाला सहित धन के लेन-देन के सभी गैर-बैंकिंक मामलों की जांच की । एनआईए ने 2018 में दाखिल किए गए अपने आरोपपत्र में कहा है कि जांच के दौरान उसे पता चला कि छात्र वीजा पर पाकिस्तान जा रहे युवा या तो पूर्व आतंकवादियों के परिजन थे, या फिर ऐसे मौजूदा आतंकवादियों के रिश्तेदार या परिजन थे, जो गतिविधियों में जुटे हुए हैं और पाकिस्तान चले गए हैं या फिर से छात्र हुर्रियत नेताओं के जानकार थे।
अधिकारियों ने बताया कि आगे की जांच में एनआईए ने अलगावादियों की सिफारिशी चिट्ठयां जब्त की हैं जिनमें सोशल मीडिया के लिंक बताते हैं कि उक्त छात्र ने राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में हिस्सा लिया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि छात्रों का दाखिला घाटी में आतंकवादी समूहों के वित्त पोषण का वैकल्पिक जरिया बन गया। अधिकारी ने NIA के आरोपपत्र का हवाला देते हुए कहा कि एजेंसी पहले ही पाकिस्तान के दाखिले की योजनाओं को लाल झंडी दिखा चुकी है क्योंकि यह आतंकवादियों, हुर्रियत और पाकिस्तान प्रशासन की सांठगांठ है, कश्मीर घाटी में डॉक्टरों और टेक्नोक्रेट्स की ऐसी पीढ़ी विकसित करने का जिसके मन में पाकिस्तान के लिए नरम भाव हो। तमाम अलगाववादी नेताओं के अलावा एनआईए ने उद्योगपति जहूर अहमद वटाली को भी गिरफ्तार किया है। ये सभी पिछले करीब दो साल से जेल में बंद हैं क्योंकि इन्हें जमानत नहीं मिल रही है। वटाली को हालांकि दिल्ली उच्च न्यायालय से जमानत मिल गयी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में उसे फैसले को पलट दिया।