असली हीरो: लॉकडाउन में जगा रहे शिक्षा की अलख

बारामूला (जम्मू और कश्मीर)
कोरोना महामारी के बीच घोषित देशव्यापी लॉकडाउन के चलते स्कूल और खेल संस्थान बंद हैं। सरकार ने यह फैसला बच्चों को के संक्रमण से बचाने और वायरस को फैलने से रोकने के लिए किया। ऐसे में जम्मू और कश्मीर के जिले में घाटी में शिक्षा की अलख जगा रहे हैं। वो अपने छात्रों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए स्वेच्छा से खुले में पढ़ा रहे हैं। इसके अलावा कश्मीर की पहली महिला वुशु चैंपियन भी स्थानीय बच्चों को ट्रेनिंग दे रही हैं।

लोलाब घाटी में चारकुट के रहने वाले मंजूर अहमद डार, मुस्लिम गुर्जर समुदाय के बच्चों को पढ़ा रहे हैं, जो गरीब किसान परिवार से हैं। डार की इस पहल के लिए क्षेत्र के लोग उनका सम्मान और प्रशंसा करते हैं। इसके अलावा बारामुला में जबेना अख्तर, जो कश्मीर की पहली महिला वुशु चैंपियन हैं, स्थानीय बच्चों को ट्रेनिंग दे रही हैं। जबेना बारामुला के तंगमार्ग जिले के काजीपोरा गांव की रहने वाली है, वह बारामूला जिले की लगभग 600 लड़कियों को वुशु की ट्रेनिंग दे रही हैं।

कश्मीर की पहली महिला वुशु चैंपियन हैं जबेना
बता दें कि आर्मेनिया 2017 में आयोजित वुशु इंटरनेशनल चैंपियनशिप में कांस्य पदक विजेता, जबेना मार्शल आर्ट के इस रूप में पहली कश्मीरी महिला चैंपियन हैं। वह भारत सरकार के ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की ब्रांड एंबेसडर भी हैं। जबेना ने 2007 में वुशू खेलना शुरू किया। वह पहलवान गीता फोगाट से प्रेरित है और चाहती है कि और लड़कियां वुशु की ट्रेनिंग लें।

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