तीन साल पहले आज ही के दिन टीम इंडिया आईसीसी चैंपियंस ट्रोफी का फाइनल मैच अपने चिर-प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान से खेल रही थी। की कप्तानी में टीम इंडिया की यह पहली बड़ी परीक्षा थी। भारतीय टीम इस खिताब की प्रबल दावेदार मानी जा रही थी और इस टूर्नमेंट के लीग स्टेज में भी उसने पाकिस्तान को बुरी तरह से हराया था।
इस मैच से पहले आईसीसी टूर्नमेंट्स में पाकिस्तान भारत के खिलाफ रेकॉर्ड भी बहुत निराशाजनक था। लंदन के ओवल मैदान पर खेले गए इस मैच में सारा इतिहास धरा का धरा रह गया और की अपनी पहली बड़ी परीक्षा में फ्लॉप हो गए।
भारतीय टीम के कप्तान ने इस मैच में टॉस जीतकर पहले फील्डिंग का फैसला किया। लेकिन भारत की लचर गेंदबाजी के सामने पाकिस्तान ने फखर जमां (114) की उम्दा बल्लेबाजी की बदौलत भारत के सामने 339 रन का लक्ष्य रखा।
इस विशाल लक्ष्य और पाकिस्तान की घातक गेंदबाजी के सामने टीम इंडिया शुरुआत से ही दबाव में दिखी और सिर्फ 54 रन पर उसकी आधी टीम पविलियन लौट गई। रोहित शर्मा अपना खाता भी नहीं खोल पाए, जबकि कप्तान विराट कोहली एक जीवनदान मिलने के बावजूद सिर्फ 5 रन ही बना सके। भारत की पूरी टीम 158 रन बनाकर ऑलआउट हो गई और यह मैच और खिताब उसने 180 रन से गंवा दिया।
इस मैच में टीम इंडिया अगर 150 रन भी पार कर पाई थी, तो उसका श्रेय हार्दिक पंड्या की निडर बल्लेबाजी को जाता है। पंड्या ने इस मैच में दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से रन आउट होने से पहले 43 गेंदों पर चार चौकों और छह छक्कों की मदद से 76 रन बनाए थे।