गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा श्रीलंका भारत को एक और झटका देने की तैयारी कर रहा है। कोलंबो पोर्ट पर बनने वाली भारत की (ईसीटी) परियोजना और (जेसीटी) की समीक्षा के लिए राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने एक समिति का गठन किया है। पांच सदस्यों वाली इस कमेटी के प्रमुख शिपिंग मंत्रालय के सचिव एमएमपीके मायाडुने हैं। माना जा रहा है कि श्रीलंका यह सब चीन के दबाव में कर रहा है क्योंकि आर्थिक संकट में फंसे देश को चीन 50 करोड़ डॉलर का कर्ज दे रहा है।
श्रमिकों के विरोध से झुकी सरकार
बता दें कि इस कंटेनर परियोजना को लेकर श्रीलंका के श्रमिक हड़ताल पर थे। देश के सबसे व्यस्ततम पोर्ट के कर्मियों के हड़ताल को लेकर प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने खुद दखल देकर हड़ताल खत्म करवाई थी। श्रमिकों की मांग थी कि ईस्ट कंटेनर टर्मिनल (ईसीटी) बनाने के लिए किसी विदेशी देश को मंजूरी न दी जाए।
चीन को मात देने के लिए भारत-जापान बना रहे थे टर्मिनल
पूर्ववर्ती सिरिसेना सरकार के कार्यकाल में ईस्ट कंटेनर टर्मिनल को विकसित करने के लिए भारत और जापान के साथ सहयोग ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए थे। इस परियोजना को भारत और जापान चीन की मदद से विकसित हुए कंटेनर टर्मिनल (सीआईसीटी) के पास बनाने जा रहे थे। बता दें कि ईसीटी परियोजना को लेकर अभी औपचारिक समझौते पर हस्ताक्षर नहीं हुआ था।
कर्ज चुकाने के लिए मोदी सरकार से मांगा समय
महिंदा राजपक्षे ने भारत से कहा है कि आर्थिक स्थिति सही न होने के कारण कर्ज चुकाने के लिए अतिरिक्त समय दिया जाए। बता दें कि भारत ने श्रीलंका को 96 करोड़ डॉलर का कर्ज दिया है। इस कर्ज को चुकाने को लेकर भारत और श्रीलंका के बीच बातचीत हो रही है। हालांकि भारत ने इसे लेकर अभी कोई आश्वासन नहीं दिया है।
भारत से मुद्रा अदला-बदली की मांग
श्रीलंका सरकार ने भारत के साथ मुद्रा अदला-बदली की मांग की है। वैश्विक स्तर पर श्रीलंका को 2.9 अरब डॉलर के कर्ज का भुगतान करना है इसलिए श्रीलंका की सरकार ने भारत के साथ मुद्रा की अदला-बदली को लेकर दो बार मांग की है। श्रीलंका के पीएम ऑफिस के बयान में कहा गया है कि सरकार ने सभी कर्जदाताओं से रकम की अदायगी की समयसीमा बढ़ाने का अनुरोध किया है।
50 करोड़ डॉलर का कर्ज देने को तैयार चीन
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के बीच मई में कर्ज को लेकर बाचतीच की गई थी। इसमें चीन ने श्रीलंका को तत्काल की जरूरतों को पूरा करने के लिए 50 करोड़ डॉलर का कर्ज देने की पेशकश की है। संभावना जताई जा रही है कि कर्ज की पहली किस्त कुछ ही दिन में श्रीलंका को दी जा सकती है।