“आज हम अपने चारों तरफ वही देख रहे हैं जो 18वीं सदी में हुआ था… विस्तारवाद नजर आ रहा है। किसी देश में अतिक्रमण करना, कहीं समंदर में घुस जाना, कभी किसी देश के अंदर जा कर कब्जा करना… इन चीजों की प्रवृत्ति चल रही है। यह विस्तारवाद 21वीं सदी में मानवता के लिए फायदेमंद नहीं हो सकता।”
“विस्तारवाद की जिद किसी पर सवार हो जाती है तो उसने हमेशा विश्व शांति के सामने खतरा पैदा किया है। और यह न भूलें इतिहास गवाह है ऐसी ताकतें मिट गई हैं या मुड़ने को मजबूर हो गई है। विश्व का हमेशा यही अनुभव रहा है और इसी अनुभव के आधार पर अब इस बार फिर से पूरे विश्व ने विस्तारवाद के खिलाफ मन बना लिया है। आज विश्व विकासवाद को समर्पित है और विकासवाद की स्पर्धा का स्वागत कर रहा है।”
चीन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोदी के इन बयानों का अंतराल छह साल का है। पहला बयान तब का है जब मोदी 2014 में पहली बार पीएम बने थे और जापान दौरे पर थे। दूसरा बयान गलवान में 20 सैनिकों की शहादत के करीब 20 दिन बाद लेह में दिया गया। इन दोनों बयानों में कोई खास फर्क नहीं। प्रधानमंत्री जो 2014 में चीन को लेकर सोचते थे, चीन ने अपनी हरकतों से उसे सच साबित किया है।
मोदी को था अंदाजा, भरोसे के लायक नहीं चीन
पिछले साल अक्टूबर में जब चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत आए तो प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई थी कि भारत और चीन के रिश्ते और मजबूत होंगे। शुक्रवार को जब वह लेह में सैनिकों को संबोधित कर रहे थे, तो उन्होंने साफ तौर पर चीन के ‘विस्तारवादी’ रवैये का विरोध किया। 2019 में जिनपिंग से हाथ मिलाते समय पीएम मोदी को इस बात का भान था कि चीन भरोसे के लायक नहीं हैं।
लद्दाख में भी विस्तार vs विकास की बातलद्दाख के नीमू में सैनिकों के सामने प्रधानमंत्री मोदी ने 6 साल पुरानी वही बात दोहराई। उन्होंने चीन का नाम लिए बिना कहा कि ‘विस्तारवाद का युग समाप्त हो चुका है और अब विकासवाद का वक्त है।’ पीएम मोदी ने चीन को साफ शब्दों में चेतावनी देते हुए कहा कि अगर ‘किसी पर विस्तारवाद की जिद सवार हो तो वह हमेशा विश्व शांति के सामने खतरा है। इतिहास गवाह है कि ऐसी ताकतें मिट जाती हैं।’
चीन को साफ संदेश, हम भूले नहीं हैं…चीन ने भारतीय इलाके में घुसकर हिंसक झड़प को जन्म दिया जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए। चीन ने अब पूरी गलवान घाटी पर दावा ठोका है। लद्दाख में भारतीय सैनिकों से बात करते हुए पीएम मोदी ने चीन का नाम एक बार भी नहीं लिया है मगर गलवान घाटी में शहीदों का दो बार जिक्र किया। वह लेह के मिलिट्री अस्पताल भी गए जहां गलवान झड़प में घायल हुए कुछ सैनिक इलाज करा रहे हैं। पीएम मोदी ने चीन को साफ संदेश दिया कि हम अपने जवानों की शहादत भूले नहीं हैं, न ही हम चीन की तरह जवानों की शहादत छिपाने में यकीन रखते हैं। चीन ने गलवान घाटी में हुए संघर्ष में अपनी ओर के हताहतों पर कोई जानकारी नहीं दी है।
चीन की चाल अब नहीं होगी कामयाबभारत और चीन के बीच की सीमा तय नहीं है। इसी वजह से कई इलाकों में अक्सर दोनों तरफ के सैनिक टकरा जाते हैं। चीन ने लंबे वक्त तक बेहतर व्यापार संबंधों का हवाला देकर सीमा निर्धारण को टाले रखा। 1993 में जो समझौते हुए, उसमें क्लेम लाइन्स तक पैट्रोलिंग की बात पर रजामंदी हुई। बीच-बीच में चीन ने जिस तरह से घुसपैठ कर भारतीय जमीन कब्जानी चाही, उससे उसकी नीयत का पता चलता है। मगर अब पीएम मोदी ने लेह में जो कहा है, उससे पता चलता है कि भारत का रुख बदल गया है। अब द्विपक्षीय रिश्ते व्यापार पर नहीं, सीमा के सम्मान और उसके हल पर आधरित होगा।