पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी (Galwan Valley Map) में भारत और चीन सेना (India-China) के बीच जो झड़प हुई, उसको लेकर लोगों के जेहन में शहादत का आंकड़ा (20) घूम रहा है। चीनी सैनिकों को भारत के जांबाजों (Indian Army) ने करारी पटखनी दी लेकिन जनाजों का भार देश की हर आंख को नम कर गया है। पता है आपको, तेलंगाना के रहने वाले कर्नल संतोष बाबू से पिता ने 14 जून को एक बात पूछी थी कि सीमा पर क्या हाल है। संतोष बाबू का जवाब था- आपको मुझसे यह नहीं पूछना चाहिए। खैर, पिता का सवाल और बेटे का जवाब दोनों अपनी जगह पर सही था। एक फिक्रमंद था तो दूसरा कर्तव्य के लिए प्रेरित। चलिए देश के लिए जिंदगी कुर्बान करने वाले 20 अदम्य साहसी वीर सपूतों के बारे में सबकुछ जान लेते हैं…
तेलंगाना के रहने वाले कर्नल संतोष बाबू 16 बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग अफसर थे। कर्नल संतोष 18 महीने से लद्दाख में भारतीय सीमा की सुरक्षा में तैनात थे। कर्नल की पत्नी संतोषी 8 साल की बेटी और 3 साल के बेटे के साथ दिल्ली में रहती हैं।
मनदीप सिंह वर्ष 1997 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। उनका जन्म 28 मार्च 1981 को हुआ था। वह पंजाब के पटियाला जिले के रहने वाले थे।
तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले के रहने वाले शहीद जवान के पलानी 81 फील्ड रेजिमेंट के सदस्य थे। के पलानी के परिवार को चिट्ठी लिखते हुए राहुल गांधी ने उन्हें राष्ट्र नायक बताया है।
मेरठ में रहने वाले 35 साल के जांबाज हवलदार बिपुल रॉय गलवान घाटी में हुए संघर्ष में शहीद हो गए। 4 दिन पहले ही उन्होंने पत्नी और बेटी से आखिरी बार बात की थी और जल्दी छुट्टी लेकर घर आने का वादा किया था। बिपुल रॉय मूल रूप से वेस्ट बंगाल के अलीपुरद्वार जिले के रहने वाले थे। उन्होंने 2003 में भारतीय फौज जॉइन की थी। फिलहाल, वह 81 माउंट बिग्रेड सिग्नल कंपनी में लद्दाख की गलवान वैली में पोस्टेड थे। बिपुल राय की पत्नी और एक बच्ची पांच साल के साथ मेरठ के कंकरखेड़ा इलाके के कुंदन कुंज में रहते थे। लद्दाख से पहले वह मेरठ में तैनात थे। एडीएम सिटी मेरठ के मुताबिक फिलहाल घर पर पत्नी और बच्ची रहते हैं। बिपुल रॉय का पार्थिव शरीर उनके घर पर वेस्ट बंगाल ही ले जाया जाएगा।
(इनपुट: शादाब रिज़वी)
बिहार के भोजपुर के लाल कुंदन कुमार ओझा चीन के कायरतापूर्ण हमले में शहीद हो गए हैं। शहीद कुंदन कुमार ओझा मूल रूप से जिले के बिहिया थाना क्षेत्र के पहरपुर गांव के रहने वाले हैं। जबकि उनके किसान पिता रविशंकर ओझा करीब तीस साल पहले ही झारखंड में साहेबगंज जिले के हाजीपुर पश्चिम पंचायत के डिहारी गांव में पूरे परिवार के साथ रहने लगे थे। सिपाही कुंदन कुमार ओझा वर्ष 2012 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। उनका जन्म 1993 में हुआ था।
सिपाही अमन कुमार ने वर्ष 2014 में भारतीय सेना जॉइन की थी। उनका जन्म वर्ष 1993 में हुआ था। अमन बिहार के समस्तीपुर जिले के रहने वाले थे।
दीपक सिंह वर्ष 2012 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। दीपक मध्य प्रदेश के रीवा के रहने वाले थे। उनकी मां का नाम सरोज सिंह है। दीपक का जन्म 15 जुलाई 1989 को हुआ था।
सिपाही चंदन कुमार वर्ष 2017 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। वह बिहार के भोजपुर जिले के रहने वाले थे। उनकी मां का नाम धर्मा देवी है। देश के लिए बलिदान देने वाले चंदन कुमार की शादी पिछले मई महीने में होने वाली थी। लॉकडाउन की वजह से उनकी शादी को टाल दिया गया था। शहीद चंदन कुमार चार भाई और चार बहनों के बीच सबसे छोटे थे। चंदन के तीन बड़े भाई भी आर्मी में है, जो फिलहाल देश की रक्षा करने में लगे हुए हैं।
सिपाही राजेश ओरंग का जन्म 05 अप्रैल 1994 को हुआ था। वह 2015 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। राजेश ओरंग मूल रूप से पश्चिम बंगाल के सदरसुरी के रहने वाले थे।
सिपाही गणेश राम का जन्म 28 अप्रैल 1993 को हुआ था। वह मूल रूप से छत्तीसगढ़ के कांकेर के रहने वाले थे। गणेश वर्ष 2011 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे और उन्हें एक महीने पहले ही भारत-चीन सीमा पर तैनाती मिली थी। शहीद गणेश राम की मां का नाम जागेश्वरी बाई है।
सिपाही गुरतेज वर्ष 2018 में भारतीय सेना में शामिल हुए। वह मूल रूप से पंजाब के मानसा के रहने वाले थे। उनका जन्म 15 नवंबर 1997 को हुआ था। उनकी मां का नाम प्रकाश कौर है।
सिपाही अंकुश वर्ष 2018 में भारतीय सेना का हिस्सा बने। उनका जन्म वर्ष 1998 में हुआ था। अंकुश मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर के रहने वाले थे।
सिपाही गुरुविंदर 24 मार्च 2018 को देश सेवा के संकल्प के साथ भारतीय सेना का हिस्सा बने थे। वह मूल रूप से पंजाब के संगरूर जिले के रहने वाले थे। गुरुविंदर का जन्म 2 जून 1998 को हुआ था।
1979 को जन्मे सतनाम सिंह ने वर्ष 1995 में भारतीय सेना का हिस्सा बने। वह मूल रूप से पंजाब के गुरदासपुर के रहने वाले थे। उनकी पत्नी का नाम जसविंदर कौर है।
सिपाही गणेश हंसदा 16 सितंबर 2018 को भारतीय सेना का हिस्सा बने थे। वह मूलरूप से झारखंड के पूर्वी सिंहभूम के रहने वाले थे। उनका जन्म 12 अक्टूर 1999 को हुआ था।
बिहार के मूल निवासी सिपाही जय किशोर सिंह का जन्म 11 मई 1993 को हुआ था। वह वर्ष 2018 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। उनकी मां का नाम मंजू देवी है।
बिहार के सहरसा के मूल निवासी कुंदन कुमार भी गलवान घाटी में हुए संघर्ष में शहीद हो गए। वह 21 मार्च 2012 को भारतीय सेना का हिस्सा बने थे।