गलियों में सन्नाटा, ऐसा था विकास दुबे का आतंक

सुमित शर्मा, कानपुर
गैंगस्टर विकास दुबे () का अपने गांव बिकरू में आतंक था। गुरुवार रात के हत्याकांड के बाद गांव की गलियों में मातमी सन्नाटा पसरा है। 8 पुलिसकर्मियों की शहादत देखने वाले इस गांव में लोग अपने-अपने घरों में दुबके बैठे हैं। इससे पहले कानपुर () के बिकरू गांव का यह हाल कभी नहीं देखा गया था।

बड़ी तादाद में गांव के पुरुष घर छोड़कर भाग गए हैं। अधिकतर घरों में सिर्फ महिलाएं और बच्चे हैं। पुलिस ने विकास दुबे के घर के आसपास रहने वाले पुरुषों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। पूरा गांव छावनी में तब्दील हो गया है, चारों तरफ सिर्फ पुलिस ही पुलिस दिख रही है। इसके साथ ही गांव के आसपास के जंगलों में सर्च अभियान चलाया जा रहा है। जंगल की तरफ जाने वाले रास्तों को बंद कर दिया गया है।

गुरुवार देररात बिल्हौर के सीओ देवेंद्र मिश्रा के नेतृत्व में पुलिस की एक टीम बिकरू में के घर दबिश देने गई थी। यहां पहुंचकर पुलिस टीम संभल पाती, पहले से घात लगाए गैंगस्टर विकास दुबे ने अपने साथियों के साथ मिलकर पुलिस टीम पर फायरिंग कर दी। घटना में सीओ समेत हो गए। इस घटना के बाद पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया है। शुक्रवार सुबह पुलिस की जंगल में छिपे बदमाशों से मुठभेड़ हो गई, जिसमें पुलिस ने दो बदमाशों को मार गिराया है।

विकास दुबे की मर्जी के बिना पत्ता नहीं हिलता था
घटना के बाद बिकरू गांव में मातम छा गया है। सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह है कि एक भी ग्रामीण विकास दुबे के खिलाफ बोलने को तैयार नहीं है। कुछ ग्रामीणों का दबी जुबान में यही कहना था कि जो भी हुआ अच्छा नहीं हुआ। आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए, उनके साथ बहुत गलत हुआ। विकास दुबे जो कहता था, पूरा गांव वही करता था। उसकी मर्जी के खिलाफ यहां पत्ता भी नहीं हिलता था।

किलेनुमा घर पर लगता था दरबार
विकास दुबे के किलेनुमा घर पर जनता दरबार भी लगता था। अपराध की दुनिया से ताल्लुक रखने वाले विकास दुबे की राजनीतिक पकड़ भी मजबूत थी। पत्नी जिला पंचायत सदस्य थी। गांव के छोटे-छोटे झगड़े, भाइयों में खेती का बंटवारा, सड़क, नाली और खड़ंजे के विवाद विकास दुबे के किलेनुमा घर में लगने वाले दरबार में ही निपटा लिए जाते थे।

चुनाव के वक्त प्रत्याशी विकास के घर से शुरू करते थे अभियान
लोकसभा चुनाव हो या फिर विधानसभा या निकाय चुनाव, जिस भी पार्टी के प्रत्याशी को बिकरू गांव का वोट चाहिए होता था वह पहले विकास दुबे के किलेनुमा घर में दस्तक देता था। इसके बाद विकास दुबे जिस पार्टी को वोट देने के लिए ग्रामीणों को कहता था, ग्रामीण उसी ही पार्टी को वोट करते थे। राजनीतिक पार्टियों ने विकास दुबे के हाथों को सबसे ज्यादा मजबूत किया।

क्राइम करने के बाद विकास के घर छिपते थे अपराधी
जानकारी के मुताबिक, आसपास के जिलों में क्राइम करने के बाद बड़े-बड़े अपराधी विकास दुबे के घर पर या फिर उसके द्वारा बताए गई जगह पर छिपते थे। इस दौरान अपराधियों के खाने-रहने की व्यवस्था कराई जाती थी।

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