लद्दाख में भारत और चीन सेना के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद भारत चीन से बातचीत करता रहा और ड्रैगन पर्दे के पीछे से अपनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी को लद्दाख में तैनात करता रहा। इसके बाद भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए पहले चीन के 59 ऐप बैन कर दिए और अब शुक्रवार को लद्दाख से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो-टूक सुनाई है। इससे चीन को बुरी तरह छटपटाहट हो रही है और वह ‘दोस्ती’ का राग अलाप रहा है। भारत में चीन के राजदूत जी रॉन्ग ने कहा है कि वह विस्तारवादी नहीं है।
‘दोस्ताना सहयोग बनाया है’
रॉन्ग ने ट्वीट किया है, ‘ चीन ने अपने 14 में से 12 पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण समझौतों से सीमांकन किया है और जमीन पर सीमा को दोस्ताना सहयोग में बदला है। ऐसा कहना कि चीन विस्तारवादी है, पड़ोसियों के साथ मनगढ़ंत तरीके से विवाद को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना आधारहीन है।’ दरअसल, चीन ने भारत के कई इलाकों पर अपना दावा पहले भी किया है और आज भी कर रहा है। इसी को ध्यान में रखकर पीएम मोदी ने ‘विस्तारवाद’ पर बोला। उन्होंने साफ कर दिया कि विस्तारवादी नीतियों अब नहीं चलेंगी।
सिर्फ भारत ने इन देशों से विवाद
दरअसल, जमीन को लेकर चीन का विवाद सिर्फ भारत से नहीं है। वह ताईवान पर भी अपना हक जमाता रहा है। वहीं, साउथ चाइना सी में भी चीन अपना शक्ति प्रदर्शन करने से बाज नहीं आता है जिसकी वजह से अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ भी उसके सैन्य संबंधों में तनाव रहता है। हाल ही में उसने ईस्ट चाइना सी में जापान को छेड़ना भी शुरू कर दिया है जहां सेंकाकू टापू पर चीन अपना दावा ठोंकता है। हॉन्ग-कॉन्ग में उसकी दमनकारी नीतियों के खिलाफ इस वक्त दुनिया की उस पर नजर है ही।
रूस के शहर पर भी दावा
हाल ही में चीन के सरकारी न्यूज चैनल सीजीटीएन के संपादक शेन सिवई ने दावा किया है कि रूस का
वर्ष 1860 से पहले चीन का हिस्सा था। उन्होंने कहा कि इस शहर को पहले हैशेनवाई के नाम से जाना जाता था और रूस से एकतरफा संधि के जरिए इसे छीन लिया गया था।रूस का व्लादिवोस्तोक शहर प्रशांत महासागर में तैनात उसके सैन्य बेड़े का प्रमुख बेस है। व्यापारिक और ऐतिहासिक रूप से व्लादिवोस्तोक रूस का सबसे अहम शहर है। रूस से होने वाले व्यापार का अधिकांश हिस्सा इसी पोर्ट से होकर जाता है। द्वितीय विश्व युद्ध में भी यहां जर्मनी और रूस की सेनाओं के बीच भीषण युद्ध लड़ा गया था।
लद्दाख में सैनिकों से मिले पीएम
वहीं, पीएम मोदी शुक्रवार सुबह लेह पहुंचे जहां नीमू में आर्मी के कैम्प में सीमा पर चीनी सेना की हरकत पर अपडेट लिया। उन्होंने सेना और आईटीबीपी के जवानों के साथ मुलाकात की और उनका हौसला बढ़ाया। इस दौरान पीएम मोदी के साथ सीडीएस बिपिन रावत और सेना प्रमुख भी मौजूद थे। इसके बाद पीएम मोदी ने लद्दाख पहुंचकर गलवान घाटी में चीन की सैनिकों के साथ लड़ाई में घायल हुए सैनिकों से मुलाकात की।