भारत-चीन में सीमा पर जारी तनाव () के बीच भारत के सख्त रुख के बाद अब चीनी मीडिया ने पाकिस्तान और नेपाली सेना (Nepal Army) की धमकी दी है। चीन के सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स (Global Times) ने कहा कि भारत का चीन के साथ पाकिस्तान और नेपाल (Pakistan and Nepal) के साथ सीमा विवाद चल रहा है। भारतीय सेना को दो या तीन मोर्चो पर दबाव का सामना करना पड़ सकता है। चीनी समाचार पत्र ने इशारों ही इशारों में यह बताने की कोशिश की कि कभी भारत का करीबी रहा नेपाल अब चीन की गोद में चला गया है।
दरअसल, बुधवार को भारत के शीर्ष नेतृत्व की ओर से सख्त रुख के बाद अब चीनी मीडिया भारत को यह डराने की कोशिश में लग गया है कि अगर उसने संघर्ष को बढ़ाया तो पाकिस्तान और नेपाल की सेना उनके साथ आ सकती है। चीन के सरकारी अखबार ने चीनी विश्लेषकों के हवाले से दावा किया कि चीन भारत अगर संघर्ष को बढ़ाता है तो चीन पूरी तरह से तैयार है।
चीनी विश्लेषकों ने धमकी दी कि अगर भारत सीमा पर अपने सैनिकों को नियंत्रित नहीं करता है तो उसे कोरोना संकट के बीच इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। शंघाई अकादमी ऑफ सोशल साइंस के हू झियोंग ने कहा कि भारत का चीन, पाकिस्तान और नेपाल के साथ सीमा विवाद चल रहा है। पाकिस्तान चीन का एक भरोसेमंद सहयोगी है और नेपाल भी चीन के काफी करीब है। दोनों ही देश चीन के बेल्ट ऐंड रोड परियोजना के प्रमुख सहयोगी हैं।
‘तीन मोर्चों पर भारत को करना होगा सामना’
झियोंग ने कहा, ‘अगर भारत विवाद को बढ़ाता है तो उसे दो या तीन मोर्चो पर सैन्य चुनौती का सामना करना पड़ सकता है जो भारत की सैन्य क्षमता से बहुत ज्यादा है। इससे भारत की हार हो सकती है।’ झियोंग ने कहा कि भारत अपने देश में अमेरिका समर्थक लॉबी को रोके नहीं तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि पीएलए तिब्बत में कई युद्धाभ्यास किए हैं जिसका उद्देश्य किसी भी गंभीर स्थिति के लिए खुद को तैयार करना है।
इससे पहले गुरुवार को भारतीय विदेश मंत्री और चीनी विदेश मंत्री के बीच फोन पर बात हुई थी। इस दौरान भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने स्पष्ट कर दिया था कि भारत इसे स्थानीय स्तर पर अचानक पैदा हुई परिस्थिति नहीं मानता है, बल्कि इसके पीछे चीन की सोची-समझी साजिश साफ झलक रही है। भारत ने चीन के गलवान वैली को अपना बताने के दावे को भी खारिज कर दिया था।
चीन ने पूर्वनियोजित रणनीति से किया हमला: भारत
विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, ‘विवाद निपटने के रास्ते पर था कि चीनी सैनिकों ने में हमारे हिस्से की एलएसी पर ढांचा खड़ा करना चाहा। यह विवाद की जड़ बना और चीन ने पूरी तरह सोची-समझी और योजना बनाकर कार्रवाई की जिससे हिंसा हुई और दोनों ओर के सैनिक शहीद हुए।’ विदेश मंत्री ने अपने समकक्ष से साफ कहा, ‘इससे स्पष्ट होता है कि चीन यथास्थिति में परिवर्तन नहीं करने को लेकर हमारे बीच बनी सभी सहमतियों का उल्लंघन कर जमीनी हकीकत बदलने का इरादा रखता है।’
‘द्विपक्षीय संबंधों पर होगा गंभीर असर’
बयान में कहा गया है, ‘विदेश मंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि इस अनचाही गतिविधि का द्विपक्षीय संबंध पर गंभीर असर पड़ेगा। वक्त का तकाजा है कि चीन अपनी कार्रवाइयों पर फिर से विचार करे और सुधार की दिशा में कदम उठाए।’ बयान में कहा गया, ‘विदेश मंत्री ने गलवान घाटी में 15 जून को हुई खूनी झड़प के खिलाफ चीन के सामने बेहद कड़े शब्दों में प्रतिरोध दर्ज कराया है।’ इसमें कहा गया है कि वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के साथ मीटिंग में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर डी-एस्केलेशन के अजेंडे तय हुए थे जिन्हें लागू करने के लिए पिछले हफ्ते ग्राउंड कमांडरों के बीच लगातार बातचीत हुई। लेकिन, चीन ने इससे हटते हुए साजिश रच दी।