3-4 दिन पहले दिल्ली पहुंचेगा मॉनसून
आईएमडी के क्षेत्रीय पूर्वानुमान केंद्र प्रमुख कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा कि 19-20 जून तक प. बंगाल और आसपास के राज्यों से चक्रवाती हवा दक्षिण-पश्चिम उत्तर प्रदेश पहुंचेगी। उन्होंने कहा, ‘इससे 22-24 जून तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के कुछ इलाकों, उत्तर पूर्वी राजस्थान और पूर्वी हरियाणा में मॉनसून आने में मदद मिलेगी।’ उन्होंने कहा, इसका मतलब है कि मॉनसून तीन-चार दिन पहले 22-23 जून तक दिल्ली पहुंच जाएगा। आईएमडी ने इस वर्ष देश के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में सामान्य बारिश (103%) होने की संभावना जताई है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में 18 और 19 जून को गर्मी बरकरार रहेगी। बुधवार को दिल्ली के ज्यादातर हिस्सों में 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान रिकॉर्ड किया गया।
उत्तर प्रदेश कई इलाकों में बारिश
वहीं, उत्तर प्रदेश में जोर पकड़ रहे मॉनसून की वजह से बुधवार को राज्य के अनेक पूर्वी हिस्सों को जमकर बारिश हुई। प्रदेश के खासकर पूर्वी हिस्सों में कई स्थानों पर सुबह से ही झमाझम बारिश का सिलसिला शुरू हो गया जो दोपहर बाद तक जारी रहा। इस बारिश की वजह से मौसम सुहावना हो गया और लोगों को पिछले कई दिनों से पड़ रही चिपचिपी गर्मी से राहत मिली। आंचलिक मौसम केंद्र की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के पूर्वी हिस्सों में मानसून पूरी तरह सक्रिय है।
हालांकि पश्चिमी भागों में इसने अभी रफ्तार नहीं पकड़ी है। राज्य के पूर्वी हिस्सों में कुछ स्थानों पर बुधवार को भारी से बहुत भारी वर्षा भी हुई। इस दौरान बस्ती में सबसे ज्यादा 33 सेंटीमीटर वर्षा रिकॉर्ड की गई। अगले 24 घंटों के दौरान प्रदेश के पूर्वी हिस्सों में अनेक स्थानों पर जबकि पश्चिमी भागों में कुछ जगहों पर बारिश होने अथवा गरज चमक के साथ छींटे पड़ने की संभावना है। कुछ स्थानों पर तेज हवा के साथ गरज-चमक की स्थितियां बन सकती हैं। उसके बाद मानसून और जोर पकड़ेगा। आगामी 19 और 20 जून को प्रदेश के कई इलाकों में बारिश हो सकती है।
उत्तराखंड के बाघ अभयारण्य में ‘आपरेशन मॉनसून’
वन और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए इस बार उत्तराखंड के दो बाघ अभयारण्य और दो वन वृत्तों में 25 जून से ‘ऑपरेशन मॉनसून’ चलाया जाएगा । वन अधिकारियों ने बताया कि इस अभियान में नेपाल सीमा और उत्तरप्रदेश से लगे उत्तराखंड का वन क्षेत्र भी शामिल है जिसमें करीब 1,500 नियमित और दैनिक वेतनभोगी वन श्रमिक भाग लेंगे। इसमें नई तकनीक के उपकरणों का भी प्रयोग कर उन स्थानों के वनों और वन्यजीवों पर निगरानी रखी जाएगी जहां अन्य किसी तरह से नहीं पहुंचा जा सकता।