अगले बुधवार का इंतजार क्रिकेट-जगत को बेसब्री से है। इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच उस दिन से साउथैम्पटन में टेस्ट मैच खेला जाएगा। इस मैच के साथ ही तकरीबन 100 दिनों के बाद इंटरनैशनल क्रिकेट की वापसी होगी। अगर यह सफल रहा तो इसको दुनिया के हर देश में अपनाया जाएगा।
का आज जन्मदिन है। पेश है उनके साथ हुई एक्सक्लूसिव बातचीत।
पिछले कुछ महीने से दुनिया एक अलग ही संकट से गुजर रही है। क्या इस दौरान जीवन के प्रति आपके नजरिए में बदलाव आया?बहुत सी चीजें बदल गई हैं। निजी जीवन पूरा ही बदल गया है। सोच इंसानियत की तरफ झुक गई है। हम बहुत सी चीजों को टेकेन फॉर ग्रांटेड लेते थे। जैसे एक से दूसरी जगह जाना…दूसरी से तीसरी जगह जाना। लागातार ट्रेवल करना। इस दौरान आप फैमिली को टाइम नहीं दे पाते थे। इस दौरान आप फैमिली के साथ ज्यादा रहे। जिन लोगों से बहुत दिनों से संपर्क में नहीं थे उनके साथ फिर से जुड़े। पुरानी चीजें थोड़ी सी वापस आई हैं। इंसानियत वापस आई है। हम एक दूसरे की मदद करने के लिए भी आगे आए। मैंने भी जितना हो सका लोगों की मदद की।
जब मैंने देखता था कि लोग पैदल ही बीवी बच्चों के साथ चले जा रहे हैं तब दिल टूट जाता था। ऐसा नहीं हो सकता कि आपके पास सब कुछ हो और दूसरे लोग इतनी तकलीफ में हैं। जिंदगी की दौड़ में भागते रहने के दौरान आप बहुत सी बातों पर सोच नहीं पाते। लेकिन लॉकडाउन में इंसानियत और जागी है। कम से कम मेरे अंदर तो मैं कह सकता हूं कि इंसानियत और जागी है। पिछले तीन-चार महीनों में आपने बहुत कुछ हटकर नहीं किया लेकिन सीखने को बहुत कुछ मिला है। शायद भगवान का एक तरीका था हमें सिखाने का कि जिंदगी में हम उन चीजों के पीछे भागते रहते हैं जिनका शायद बहुत लाभ नहीं है।
कुछ नया सीखा आपने इस दौरान?कुकिंग। पहले कुछ आता ही नहीं था। एकाध बार किचन में गया था लेकिन बहुत रुचि नहीं थी। अब तो कोई ऐसी सब्जी नहीं, कोई दाल नहीं जो बना नहीं सकता। लॉकडाउन का यह भी एक फायदा हुआ। कह सकते हैं कि मेरी शख्सियत के साथ यह एक ‘दूसरा’पहलू जुड़ा।
इस बार का जन्मदिन कैसे मनाएंगे?घर में परिवार के साथ छोटी-मोटी कुछ प्रथा होगी वह कर लूंगा क्योंकि यह समय सेलिब्रेशंस का नहीं है। खुशियों वाला टाइम नहीं है। लोग जिस दौर से गुजर रहे हैं और जूझ रहे हैं उनके लिए दुआ करूंगा कि जल्द ही इस महामरी से बाहर आएं।
कोई यादगार जन्मदिन? जब टीम जीती हो या फिर आपने जबर्दस्त प्रदर्शन किया हो और उसके बाद धूमधाम से जन्मदिन मना हो?जन्मदिन तो मेरा स्पेशल तभी हुआ करता था जब मेरे पिता जी मेरे लिए केक लाया करते थे। उन दिनों हमारे पास खर्चा करने के लिए उतने पैसे नहीं थे। लेकिन परिस्थितियां कुछ भी हों कोई पिता अपने बच्चे के लिए हैसियत से ज्यादा करने की कोशिश करता है। मेरे पिता जी हमेशा मेरे लिए जन्मदिन पर केक लाते थे। मेरे गली मोहल्ले के बच्चे आते थे। हम सब मिलकर जिस तरह जन्मदिन मनाते थे वही मेरे दिल के काफी करीब है।
जुलाई के पहले 10 दिनों में चार बड़े भारतीय क्रिकेटरों का जन्मदिन आता है। आपका 3 को, 7 जुलाई को महेंद्र सिंह धोनी का, 8 को सौरभ गांगुली का और 10 जुलाई को सुनील गावसकर का। कभी ऐसा हुआ है कि एक साथ सभी किसी टूर पर रहे हों और हफ्ते भर तक जन्मदिन मनाने का सिलसिला चला हो?मुझे सबके साथ जन्मदिन मनाने का तो याद नहीं लेकिन हां धोनी के साथ जरूर ऐसा कई बार हुआ है। मेरा जन्मदिन मनता था और उसके चार दिन बाद उनका रहता था। ऐसे मौके कई आए हैं जब हम साथ रहे और हमने एक के बाद एक जन्मदिन मनाए हैं।
सौरभ गांगुली भविष्य में अगर आईसीसी को लीड करते हैं तो क्या वर्ल्ड क्रिकेट को इसका बहुत लाभ मिलेगा? खेल के लिए आगे बहुत चुनौतियां हैं।कोई भी क्रिकेटर अलग-अलग परिस्थितियों और चुनौतियों का सामना करते हुए ही आगे बढ़ता है तो वह इस पोजिशन पर रहकर बेहतर सोच सकता है। वह यह सोच सकता है कि क्रिकेट और खिलाड़ियों के लिए मौजूदा परिस्थितियों में क्या जरूरी है। सौरव शानदार कप्तान और खिलाड़ी रहे हैं। बहुतों के लिए रोल मॉडल रहे हैं। हममें से कितने खिलाड़ी उनकी तरह बनना चाहते थे। अब उनके पास यह दिखाने का समय है कि एक प्रशासक के तौर पर कैसे सही कामों को आगे रखते हुए आने वाली पीढ़ियों के लिए लेगेसी छोड़ जाते हैं। उन्होंने बहुतों को प्रेरित किया है और मुझे लगता है कि इन पदों पर भी रहकर प्रेरणा देने का काम जारी रखेंगे। मेरी तमाम शुभकामनाएं उनके साथ हैं।
आप 40 साल के हो गए। आगे क्या सोचा है?पिछले तीन-चार महीनों के दौरान मैंने अपनी बॉडी पर काफी वक्त दिया है। फिटनेस को लेकर काफी काम किया है। छह महीने पहले से तुलना करूं तो अब मैं ज्यादा फिट हूं। मैं ज्यादा एक्सरसाइज नहीं कर रहा था। फिटनेस को ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहा था। लॉकडाउन के दौरान मेरे पास समय ही समय था। देखता हूं कि आगे खेलने की कितनी लालसा रहती है। अगर लगता है कि मजा आ रहा है तो कड़ी मेहनत जारी रखूंगा और खेलूंगा नहीं तो कुछ और सोचूंगा। आगे जो कुछ भी होगा वह खेल से ही जुड़ा होगा। इस खेल ने मुझे सब कुछ दिया है। आगे मैं देखूंगा कि खेल को कैसे वापस कुछ दे सकूं। वह फिर चाहें एडमिनिस्ट्रेटिव रोल हो या फिर कोचिंग का रोल या फिर एडवाइजर का रोल हो। जब तक जीवन है तब तक इस खेल का शुक्रिया अदा करता रहूंगा। किसी ना किसी रोल में इसको कुछ योगदान देकर।
आपके करियर के सबसे यादगार लम्हे और वह क्षण जब आप बहुत हताश हुए हों?जिंदगी में सबसे ज्यादा निराश,हताश या दुखी हुआ हूं तो तब जब मेरे पिता जी मेरे साथ नहीं रहे। वह मेरे लिए बहुत मुश्किल समय था। मैं नहीं चाहूंगा कि ईश्वर ऐसा समय किसी को भी दिखाए। भगवान सबके पिता की उम्र लंबी करे यही दुआ करता हूं।
खेल के मैदान से जुडी बात करें तो 2007 वर्ल्ड कप की हार मेरे करियर की सबसे हताशा भरी थी। हम दो-तीन महीने बहुत ज्यादा डिप्रेशन में थे कि आखिर यह क्या हो गया हमारे साथ। इतनी अच्छी टीम थी लेकिन आगे नहीं बढ़ पाए। हम अपने आप को कोस रहे थे क्योंकि तब टीम का माहौल उतना अच्छा नहीं था। तब हम एक दूसरे के साथ मिलजुल कर खेल नहीं पाए। इसी वजह से पहले ही दो मैचों में बांग्लादेश और श्रीलंका से हारकर बाहर हो गए।
उपलब्धियों की बात करूं तो सबसे खुशी वाला पल वह था जब मैं पहली बार भारत के लिए सिलेक्ट हुआ था। दूसरी बार जब मैंने 2001 में एक सीरीज में 32 विकेट लिए और हैटट्रिक ली। फिर 2007 का टी20 वर्ल्ड कप और 2011 का वर्ल्ड कप जीतना भी मेरे दिल के काफी करीब है।
2007-08 की ऑस्ट्रेलिया की वह विवादित सीरीज कैसे याद करते हैं? तब आप एंड्रू साइमंड्स वाले मामले में गलत वजहों से सुर्खियों में थे। जो हुआ उसे जरूरत से ज्यादा हवा दी गई। मामला वहीं का वहीं ग्राउंड पर सुलझ सकता था। मैदान में सौ ऐसी चीजें होती हैं जो मैच रेफरी या मीडिया तक नहीं पहुंचती। मैदान पर खिलाड़ी एक-दूसरे को स्लेज करते हैं तो उसको मीडिया तक लेकर नहीं जाते। मगर उस मामले को ऐसा बना दिया गया था जैसे कि वर्ल्ड वॉर 3 हो। इतनी बड़ी बात थी नहीं। लेकिन जो भी हुआ वह सही तो नहीं था क्योंकि उस टूर को लोग गलत वजहों से याद रखते हैं। हम उस टूर की उपलब्धियों को ज्यादा याद नहीं करते। तब भारत ने पर्थ में टेस्ट मैच जीता था। हमारे दौर में पहली बार वहां वनडे की सीरीज जीती थी।
साइमंड्स, रिकी पॉन्टिंग और मैथ्यू हेडन से उस मामले में कभी बात हुई हो?हमने कई बार इस पर बात की है। हम सभी का मानना है कि चीजें तब की तब वहीं पर रोक देनी चाहिए थीं। हममें से कोई नहीं चाहता कि इस तरह की कॉन्ट्रोवर्सी हो जिस पर उम्र भर जवाब देना पड़े। आज मैं कह सकता हूं कि व्यक्तिगत तौर पर हममें से किसी को किसी के साथ समस्या ना थी और ना अब है। हां, मैदान पर जब आप देश का प्रतिनिधित्व करते हैं तो कई बार इस तरह की बहस और गरमा गरमी हो जाती है। आज हम सभी दोस्त हैं। हम यही सोचते हैं कि जिंदगी को एंजॉय करना चाहिए। मैं किसी के साथ ईर्ष्या नहीं रखता और मुझे लगता है कि इनमें से तीनों मेरे साथ ईर्ष्या नहीं रखते। उस घटना के बाद हम जब-जब मिले हैं बहुत हंसकर मिले हैं और अच्छा वक्त बिताया है।
8 जुलाई का इंतजार सबको है जब तकरीबन 100 दिनों के बाद इंटरनैशनल क्रिकट की मैदान पर वापसी होगी। रिटर्न ऑफ क्रिकेट किस तरह की रहेगी? बहुत कुछ बदला बदला होगा?बड़ा चैलेंज है। कैसे क्रिकेट होगा। ब्रॉडकास्टर कैसे प्रेजेंट करेंगे मैच, सबके सामने वह बड़ा चैलेंज है। क्रिकेट मैदान पर जैसा होता है वह तो हमें दिखेगा, लेकिन वह हमारे सामने प्रेजेंट कैसे हो रहा है, इसके पीछे जितने लोग लगे हैं उनके लिए क्या चुनौतिया हैं…कैसे काम कर रहे हैं वह, देखना होगा। बैट और बॉल की लड़ाई तो होगी लेकिन मैदान पर दर्शक आएंगे नहीं। एक नए तरीके की चीज है। नई सोच है। देखते हैं कि इसको किस तरीके से सफल बनाया जा सकता है। यह एक तरह का ट्रायल है। अगर सब कुछ सही रहा तो दूसरे देश भी इसको अपनाएंगे। इसी की कॉपी करेंगे। सब कुछ इस मैच की सफलता पर निर्भर करेगा।
लार के इस्तेमाल पर बैन होगा। स्पिनर्स को इसका क्या नुकसान होगा?चाहे वह फिंगर स्पिनर हो या फिर रिस्ट स्पिनर अगर गेंद के ऊपर चमक है तो फिर आपको हवा में ड्रिफ्ट मिलेगी। अगर वह नहीं है और बॉल के ऊपर या बॉल के दोनों तरफ से चमक चली गई है या पुरानी हो गई है तो समस्या तो होगी। बॉल जिस तरह हवा को काटती है वह उस तरह से काटेगी नहीं। शायद गेंद स्पिन उतना ही हो लेकिन आप स्पिनर के तौर पर बैट्समैन को जिस तरह गच्चा देते हैं वह नहीं हो पाएगा। स्पिनर बैट्समैन को एयर में या लूप में गच्चा देता है। लूप तो बनेगा लेकिन डिप नहीं मिलेगा। यह गेंद की चमक से मिलता है। एयर में थोड़ी-सी…हल्की-सी स्पिन देखने को नहीं मिलेगी। बल्लेबाज को चकमा देना आसान नहीं होगा। ऐसे में बैटिंग आसान हो जाएगी। बोलर्स के लिए चुनौतियां तो बढ़ेंगी ही। चाहे वह स्पिनर हों या फास्ट बोलर। आप नया बॉल 10-15 ओवर तक ही स्पिन करा सकते हैं।
आपके हिसाब से इसका समाधान क्या है?आपको अंपायर्स को कोई आर्टिफिशल चीज देनी पड़ेगी और उसकी मात्रा तय करनी पड़ेगी। इस बात की अनुमति हो कि आप मैच के दौरान उसका इस्तेमाल एक सीमित मात्रा में कर सकें। ऐसी चीज हो जिससे गेंद की चमक बरकरार रखी जा सके।
खिलाड़ियों के लिए इस दौरान कोई और समस्या देखते हैं?यह देखना होगा कि खिलाड़ी बचपन की अपनी आदत पर कैसे काबू पाते हैं। जब से खेलना शुरू करते हैं उनकी आदत बन जाती है मुंह के पास हाथ ले जाने की। वह लार से गेंद को चमकाते रहते हैं। खिलाड़ियों के लिए यह बड़ा चैलेंज होगा।