भोपाल, दो जुलाई :भाषा: मध्य प्रदेश में बृहस्पतिवार को शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा नीत सरकार की मंत्रिपरिषद का बहुप्रतीक्षित विस्तार किया गया, जिसमें 15 नए चेहरों और तीन महिलाओं सहित 28 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई। इन नए मंत्रियों में 12 ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक भी शामिल हैं, जिनके मार्च में कांग्रेस से इस्तीफे के बाद राज्य की कमलनाथ सरकार गिर गई थी। हालांकि, मुख्यमंत्री चौहान खुद अपने चार करीबी विधायकों को ही मंत्री बना सके और बाकी चार करीबी पूर्व मंत्रियों एवं वरिष्ठ विधायकों को इसमें जगह नहीं दे पाए। इससे पहले 21 अप्रैल को हुए पांच सदस्यीय मंत्रिपरिषद के गठन में भी चौहान अपने किसी करीबी को मंत्री नहीं बना सके थे। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने यहां राजभवन में मंत्रिपरिषद विस्तार को लेकर आयोजित समारोह में 20 कैबिनेट मंत्रियों और आठ राज्य मंत्रियों को शपथ दिलाई। मंत्रियों में तीन महिलाएं शामिल हैं। शपथग्रहण समारोह में कोविड-19 को लेकर दिशा-निर्देशों का पालन किया गया। सिंधिया समर्थक जिन नेताओं को मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया है, उनमें से कोई भी फिलहाल विधानसभा का सदस्य नहीं है। ये सभी मार्च माह में कांग्रेस से बागी होकर विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र देने के बाद भाजपा में शामिल हुए थे। इससे पहले, मुख्यमंत्री चौहान 21 अप्रैल को पांच सदस्यीय मंत्रिपरिषद के गठन के समय भी कांग्रेस छोड़ने के साथ—साथ अपने विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद भाजपा में आए सिंधिया खेमे के दो लोगों-तुलसी सिलावट और गोविन्द सिंह राजपूत को मंत्री बना चुके हैं। इसी के साथ कमलनाथ की पूर्व सरकार गिराने वाले 22 बागियों में से 14 बागियों को मंत्रिपरिषद में जगह मिल गई है। ये सभी 14 मंत्री वर्तमान में विधायक नहीं हैं। इनमें से अधिकतर सिंधिया समर्थित नेता हैं। देश में संभवत: पहली बार किसी प्रदेश के मंत्रिपरिषद में इतनी बड़ी तादाद में गैर विधायकों को शामिल किया गया है। इनके अलावा, सिंधिया की बुआ यशोधरा राजे सिंधिया (शिवपुरी विधानसभा सीट की भाजपा विधायक) और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरेन्द्र कुमार सकलेचा के बेटे ओमप्रकाश सकलेचा :जावद विधानसभा सीट से भाजपा विधायक: को भी इस मंत्रिपरिषद में जगह मिली है। सभी विधायकों ने हिंदी में पद और गोपनीयता की शपथ ली। चौहान की मंत्रिपरिषद में अधिकतर मंत्री ग्वालियर—चंबल और मालवा इलाके के हैं। संभवत: 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले आगामी उपचुनाव के मद्देनजर भाजपा ने ऐसा किया है, क्योंकि इन 24 सीटों में से 16 सीटें चंबल—ग्वालियर इलाके की हैं और पांच मालवा—निमाड क्षेत्र की हैं। जिन तीन महिला विधायकों को मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया है, उनमें यशोधरा राजे सिंधिया, इमरती देवी (डबरा विधानसभा सीट की पूर्व विधायक) एवं उषा ठाकुर :महू विधानसभा सीट: शामिल हैं। इसी के साथ चौहान की मंत्रिपरिषद में महिला मंत्रियों की संख्या चार हो गई है। कुमारी मीना सिंह पहले से ही आदिम कल्याण जाति मंत्री हैं। हालांकि, इस विस्तार में केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल के छोटे भाई जालम सिंह पटेल को भी जगह नहीं मिल पाई है। जालम सिंह नरसिंहपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं और पूर्व में मध्य प्रदेश के मंत्री रह चुके हैं। सिंधिया समर्थित जिन पूर्व विधायकों को मंत्री बनाया गया है, उनमें बिसाहूलाल सिंह, एदल सिंह कंषाना, इमरती देवी, डॉ. प्रभुराम चौधरी, महेन्द्र सिंह सिसोदिया, प्रद्युम्न सिंह तोमर, हरदीप सिंह डंग, राजवर्धन सिंह दत्तीगांव :सभी कैबिनेट मंत्री: और बृजेन्द्र सिंह यादव, गिर्राज डन्डौतिया, सुरेश धाकड़ और ओपीएस भदौरिया :सभी राज्यमंत्री: शामिल हैं। इनके अलावा, गोपाल भार्गव, विजय शाह, जगदीश देवड़ा, यशोधरा राजे सिंधिया, भूपेन्द्र सिंह, बृजेन्द्र प्रताप सिंह, विश्वास सारंग, प्रेम सिंह पटेल, ओमप्रकाश सकलेचा, उषा ठाकुर, अरविंद सिंह भदोरिया, मोहन यादव :सभी कैबिनेट मंत्री: और भारत सिंह कुशवाह, इंदर सिंह परमार, रामखेलावन पटेल और राम किशोर कांवरे :सभी को राज्यमंत्री: बनाया गया है। ये सभी भाजपा विधायक हैं। इनमें से भूपेन्द्र सिंह, विजय शाह, अरविन्द भदौरिया एवं विश्वास सारंग मुख्यमंत्री चौहान के करीबी हैं। वहीं, चौहान के कट्टर समर्थक वरिष्ठ विधायक रामपाल सिंह, राजेन्द्र शुक्ला, गौरीशंकर बिसेन एवं संजय पाठक को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। ये चारों पहले प्रदेश में मंत्री रह चुके हैं। मध्य प्रदेश भाजपा प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने बताया कि जिन 28 मंत्रियों ने आज शपथ ली है, उनमें से 13 विधायक पहले भी मध्य प्रदेश में मंत्री रह चुके हैं, जबकि 15 विधायक पहली बार मंत्री बने हैं। पहली बार मंत्री बनने वालों में प्रेम सिंह पटेल, ओमप्रकाश सकलेचा, उषा ठाकुर, अरविंद सिंह भदोरिया, मोहन यादव, हरदीप सिंह डंग एवं राजवर्धन सिंह दत्तीगांव :सभी कैबिनेट मंत्री: और बृजेन्द्र सिंह यादव, गिर्राज डन्डौतिया, सुरेश धाकड़, ओपीएस भदौरिया, भारत सिंह कुशवाह, इंदर सिंह परमार, रामखेलावन पटेल और राम किशोर कांवरे :सभी राज्यमंत्री: हैं। कुल 230 सदस्यीय मध्य प्रदेश विधानसभा में मंत्रिपरिषद में कुल 35 सदस्य हो सकते हैं। मुख्यमंत्री सहित 34 सदस्य इस मंत्रिपरिषद में शामिल हो चुके हैं। इस हिसाब से चौहान अपने मंत्रिपरिषद में अब केवल एक और मंत्री को रख सकते हैं। शपथग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया के अलावा केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, थावरचंद गहलोत और प्रहलाद पटेल समेत कई अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद थे। चौहान के साथ बेहद अच्छे रिश्ते रखने वाले भाजपा के एक वरिष्ठ विधायक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ”कुछ दिनों बाद सिंधिया मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बन जाएंगे।” जब उनसे सवाल किया गया कि सिंधिया को क्यों इतना अधिक महत्व दिया जा रहा है तो उन्होंने कहा, ”कांग्रेस नेता ने मध्य प्रदेश में सरकार बनाई है। इसलिए उसी ने मंत्रिपरिषद का गठन भी किया है।” मंत्रिपरिषद में जगह न मिलने पर इस विधायक ने कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए सिंधिया पर तंज कसते हुए कहा, ”सिंधिया जी नियमित रूप से एक या दो महीने में कैबिनेट की बैठक करेंगे।” मध्य प्रदेश कांग्रेस ने इस मंत्रिपरिषद विस्तार में गैर विधायकों को मंत्री बनाए जाने पर भाजपा पर तंज कसते हुए कहा, ”लोकतंत्र के इतिहास में पहली बार 12 ग़ैर-विधायकों को मंत्री बनाया गया..! संवैधानिक लोकतंत्र है-—जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा शासन..! शिवराज का लोकतंत्र- —ग़द्दारों का, सत्ताभूख मिटाने के लिए, ख़रीद-फ़रोख़्त द्वारा शासन..! पूरा देश लोकतंत्र के चीरहरण पर शर्मिंदा है।” वहीं, मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट किया, ”लोकतंत्र के इतिहास में मध्य प्रदेश की मंत्रिपरिषद ऐसी मंत्रिपरिषद है, जिसमें कुल 33 मंत्रियो में से 14 वर्तमान में विधायक ही नहीं है। यह संवैधानिक व्यवस्थाओं के साथ बड़ा खिलवाड़ है। प्रदेश की जनता के साथ मज़ाक है।” चौहान ने 23 मार्च को अकेले मुख्यमंत्री की शपथ ली थी और कोरोना वायरस महामारी तथा लॉकडाउन के बीच मुख्यमंत्री चौहान 29 दिन तक अकेले ही सरकार चलाते रहे। बाद में उन्होंने 21 अप्रैल को पांच सदस्यीय मंत्रिपरिषद का गठन किया था। मार्च में कांग्रेस के 22 विधायकों के राज्य विधानसभा से त्यागपत्र देने से कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस नीत सरकार 15 महीने में ही गिर गयी थी और चौहान के नेतृत्व में प्रदेश में भाजपा सरकार बनी थी। वे रिकॉर्ड चौथी बार प्रदेश के मुखिया बने हैं। कांग्रेस के अधिकतर बागी विधायक, जिन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था, सिंधिया के समर्थक माने जाते हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस मंत्रिपरिषद विस्तार को उचित बताते हुए मुख्यमंत्री चौहान की तारीफ करते हुए यहां मीडिया से कहा, ”उन्होंने :चौहान: कोरोना वायरस से लड़ने एवं किसानों के हित में निर्णय लिए। आज हमें ऐसा ही सेवक मध्य प्रदेश में चाहिए। ऐसा व्यक्ति नहीं चाहिए जो सिंहासन पर बैठे अपने आपको राजा—महाराजा समझे। हमें ऐसा चाहिए जो जनता का सेवक हो, शिवराज सिंह जी के रूप में।” उन्होंने कमलनाथ की 15 महीने की पूर्व सरकार पर अपने क्षेत्र एवं जनता की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन सबकी पूर्ति हम लोग कोशिश कर रहे हैं। सिंधिया ने कहा, ”शिवराज के नेतृत्व में हम आगे बढ़ेंगे। अब मध्य प्रदेश में विकास की गति तेज रफ्तार से चलेगी। मध्य प्रदेश की जनता के प्रति ये ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रण और संकल्प है।” मंत्रिपरिषद विस्तार पर प्रतिक्रिया देने के लिए कहने पर भाजपा की तेज तर्रार नेता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा, ”मैं अभी कुछ नहीं बोलूंगी।” कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए मंत्री बने एदल सिंह कंसाना एवं बिसाहूलाल सिंह ने कहा कि अब सिंधिया गुट या अन्य गुट वाली बात नहीं है। भाजपा संगठन वाली पार्टी है। अब सब एक हैं। अब कोई किसी का समर्थक नहीं हैं। सब भाजपा के समर्थक हैं। ग्वालियर—चंबल इलाके के जो लोग आज मंत्री बनाए गए हैं, उनमें सात सिंधिया के समर्थक हैं और तीन भाजपा विधायक यशोधरा, अरविन्द भदोरिया एवं भारत सिंह कुशवाह हैं। इन 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के परिणाम महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि विधानसभा में भाजपा और कांग्रेस के सदस्यों की वर्तमान संख्या को देखते हुए प्रदेश में इन दोनों दलों को ही सरकार बनाने का मौका ये परिणाम दे सकते हैं। वर्तमान में भाजपा के 107 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के 92, बसपा के दो, सपा का एक और चार निर्दलीय हैं। बाकी 24 सीट रिक्त हैं, जिनमें से 22 कांग्रेस के बागी विधायकों के कारण खाली हुई हैं, जबकि दो सीट भाजपा और कांग्रेस के एक—एक विधायक के निधन के कारण रिक्त हैं।