नेपाल में अपनी ही सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी से इस्तीफे के मांग का सामना कर रहे प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए एक बड़ा दांव चला है। बजट सत्र के रद्द होने से न सिर्फ ओली अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने से बच गए हैं बल्कि अब वह एक अध्यादेश भी लगा सकते हैं। खास बात यह है कि इस वक्त अपनी कुर्सी बचाने के लिए ओली को अध्यादेश की जरूरत भी है और वह अध्यादेश ला भी सिर्फ तभी सकते थे जब संसद न चल रही हो। वहीं, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पीएम चुपके से अध्यादेश ले भी आए हैं।
पहले लाए थे अध्यादेश
दरअसल, अप्रैल में ओली एक अध्यादेश लाए थे जिसे लेकर काफी विवाद हुआ था। इसके तहत किसी भी पार्टी को विभाजित करना बेहद आसान हो जाता है। हालांकि, बुरी तरह आलोचना का सामना करने के बाद ओली ने इसे वापस ले लिया। माना जा रहा है कि ओली अब उसी अध्यादेश के वापस लाकर कम्युनिस्ट पार्टी को ही विभाजित कर सकते हैं।
ऐसे बचेगी सरकार?
अभी पार्टी को विभाजित करने के लिए 40% सांसदों और 40% पार्टी की केंद्रीय समिति के सदस्यों का समर्थन जरूरी होता है लेकिन अगर ओली अध्यादेश ले आए तो दोनों में से सिर्फ एक की ही जरूरत रह जाएगी। पार्टी के विभाजित होने के साथ ही संसद में अगर समर्थन की जरूरत होती है और दूसरे दलों में गठबंधन की सहमति नहीं बन पाती है तो कम से कम मध्यावधि चुनाव का मौका ओली के पास बना रहेगा।
ला चुके अध्यादेश?
बावजूद इसके ओली की मुसीबत पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। नेपाल के संविधान के आर्टिकल 93(3) के तहत अगर सदन का सत्र न भी चल रहा हो तो एक चौथाई सदस्य सिफारिश करके सत्र या बैठक का आयोजन कर सकते हैं। इसके बाद राष्ट्रपति को समय और तारीख तय करना होता है जिस पर सदस्य मिल सकते हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि पीएम गुरुवार को उनके निवास पर हुई बैठक में इस अध्यादेश पर मुहर लगवा चुके हैं। ओली ने यह भी ऐलान किया था कि वह देश के नाम संंबोधन देंगे। इसे लेकर अटकलें लगाई जा रही थीं कि क्या वह पद से इस्तीफा दे देंगे।