केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि तबलीगी जमात की गतिविधियों में कथित रूप से संलिप्तता की वजह से 2500 से अधिक विदेशी नागरिकों को ब्लैक लिस्ट में रखने और उनके वीजा रद्द करने के प्रत्येक मामले में आदेश पारित किया गया है। केंद्र ने न्यायालय को सूचित किया कि उपलब्ध सूचना के अनुसार 11 राज्यों ने तबलीगी जमात के विदेशी सदस्यों के खिलाफ 205 प्राथमिकी दर्ज की हैं और अभी तक 2,765 विदेशियों को ब्लैक लिस्ट में शामिल किया गया है जबकि 2,679 विदेशियों के वीजा रद्द किये गये हैं।
शीर्ष अदालत में दायर हलफनामे में केंद्र ने यह भी कहा कि तबलीगी जमात के विदेशी सदस्यों की तलाश में 1,906 लुक आउट सर्कुलर जारी किए गए थे जबकि यह सर्कुलर जारी होने या फिर ब्लैक लिस्ट में शामिल किए जाने की कार्यवाही से पहले ही 227 विदेशी भारत से लौट गए थे। जस्टिस ए एम खानविलकर, दिनेश माहेश्वरी और संजीव खन्ना की पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से इस मामले की सुनवाई की।
सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि केंद्र ने एक हलफनामा दाखिल किया है जिसमे कहा गया है कि वीजा रद्द करने और ब्लैक लिस्ट में रखने के बारे में मामले दर मामले के आधार पर आदेश पारित किये गये हैं। मेहता ने कहा कि इन विदेशी नागरिकों को सिर्फ ब्लैक लिस्ट में ही नहीं शामिल किया गया है बल्कि इनके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं और उन पर विदेशी नागरिक कानून के तहत मुकदमे चलाए जायेंगे।
पीठ ने इस मामले में याचिकाकर्ताओं को केंद्र के हलफनामे का जवाब देने का निर्देश देते हुए इसकी सुनवाई 10 जुलाई के लिए स्थगित कर दी। पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि वापस भेजे जाने के बारे में वे सक्षम प्राधिकारी के समक्ष उचित आवेदन करें। तलबीगी जमात की गतिविधियों में शामिल हुए 35 देशों के इन नागरिकों ओर से वकील सी यू सिंह ने कहा कि अगर इन विदेशी नागरिकों ने किसी कानून का उल्लंघन किया था तो उन्हे उनके देश वापस भेजा जा सकता था। उन्होने कहा कि केंद्र का कहना है कि मामले दर मामले के आधार पर आदेश पारित किए गये जबकि करीब 1500 विदेशी नागरिकों के वीजा रद्द करने के बारे में उन्हें एक लाइन का ईमेल भेजा गया था लेकिन 10 साल के लिये भारत यात्रा पर प्रतिबंध लगाने के बारे में उन्हें कोई कारण बताओ नोटिस नहीं दिया गया।
इस पर पीठ ने सिंह से कहा कि वे केंद्र के प्रत्येक आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दे सकते हैं क्योंकि अदालत को ही यह देखना होगा कि आदेश तर्कसंगत तरीके से पारित किए गए हैं या इन्हें यांत्रिक तरीके से पास किया गया है। पीठ ने कहा कि इन नागरिकों को उनके देश वापस भेजने का सवाल तो उस समय उठेगा जब उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला लंबित नहीं होगा। पीठ ने केंद्र से कहा कि वीजा रद्द करने के बारे मे पारित आदेशें को न्यायालय में दाखिल किया जाये और इसे याचिकाकर्ताओं के वकीलों को भी दिया जाए। न्यायालय ने 29 जून को तबलीगी जमात की गतिविधियों में कथित रूप से संलिप्तता की वजह से ब्लैक लिस्ट में रखे गये 35 देशों के करीब 2500 विदेशी नागरिकों की वीजा स्थिति के बारे में सोमवार को गृह मंत्रालय को अपनी स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया था। सरकार के दो अप्रैल और चार जून के आदेश के खिलाफ थाईलैंड की सात माह की गर्भवती नागरिक सहित 34 व्यक्तियों ने चार याचिकाएं दायर की हैं।