पूर्वी लद्दाख में चीन से सटे बॉर्डर पर तनाव जल्द खत्म होता नजर नहीं आ रहा। सीनियर मिलिट्री लेवल कमांडर्स मीटिंग में डी-एस्केलेशन पर सहमति तो बनी है, मगर अभी लंबी बातचीत की जरूरत है। सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच करीब 12 घंटे की बैठक के बाद मिलिट्री और डिप्लोमेटिक लेवल पर और बैठकें होने की उम्मीद है। फिलहाल दोनों पक्ष इस बात पर राजी हैं कि सेनाएं पीछे हटनी चाहिए। यह सीनियर मिलिट्री कमांडर्स लेवल पर दोनों देशों के बीच हुई तीसरी बैठक थी। मकसद था सात हफ्ते से भी लंबे तनाव को दूर करना। सूत्रों के मुताबिक, LAC से डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया ‘जटिल’ है और ऐसे में अटकलों वाली और अपुष्ट रिपोर्ट्स से बचने की जरूरत है।
मीटिंग्स में उलझाकर रखे हुए है चीनचीन एक तरफ तो बातचीत के जरिए मसले सुलझाने की बात करता है, दूसरी तरफ LAC के पास फोर्स बढ़ाता जा रहा है। एक रिपोर्ट कहती है कि चीन ने एलएसी के ईस्टर्न लद्दाख सेक्टर में दो डिविजन तैनात कर दी हैं। एक डिविजन को पीछे शिनजियांग में रखा गया है। यह इलाका करीब 1 हजार किलोमीटर दूर है। लेकिन चीन की तरफ जमीन समतल है इसलिए ये जवान बस 48 घंटे में सीमा तक पहुंच सकते हैं। भारत और चीन के बीच तीसरी सीनियर मिलिट्री कमांडर्स लेवल मीटिंग इसी सेक्टर के चुशूल में हुई। मीटिंग में कोविड-19 के प्रोटोकॉल्स का ध्यान रखा गया।
एक्सपर्ट्स भी कह रहे, लगेंगे महीनोंकई दौर की मीटिंग्स के बावजूद, तनाव कम होने के बजाय बढ़ता ही गया है। हालात ऐसे नहीं दिख रहे जिसमें दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटें। कई एक्सपर्ट्स मानते हैं कि ऐसा दौर सितंबर-अक्टूबर तक जारी रह सकता है, उसके बाद जब झील जम जाएगी यानी ठंड होगी तब वहां सेनाओं की तैनाती में कमी आ सकती है। भारत और चीन के बीच पिछले 6 हफ्तों से बातचीत का दौर जारी है, लेकिन चीनी जवान पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।
गलवान और पैंगोंग त्सो में चीन ने बढ़ाई फोर्सगलवान घाटी के पास पैट्रोल पॉइंट 14 के अलावा पैंगोंग झील और फिंगर एरिया में भी चीन ने जवानों की संख्या बढ़ाई है। फिंगर 8 इलाके में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA)ने अपना प्रशासनिक बेस तैयार किया है। यहां पर कई भारी वाहन और बड़ी नावें भी हैं। सूत्रों के मुताबिक, जो रोड फिंगर 8 से बनाया गया है, उसकी मदद से चीन फिंगर 4 तक आसानी से पहुंच सकता है।
पहले पीछे हटने को तैयार था चीन…कॉर्प्स कमांडर स्तर पर पिछली दो बैठकें 6 जून और 22 जून को हुई थीं। पहले की दो बैठकें चीन की तरफ मोल्डो में हुई थी। 22 जून को भी बातचीत लगभग 11 घंटे तक चली और दोनों पक्षों के बीच एक आपसी सहमति भी बनी। भारतीय सेना ने कहा था कि पूर्वी लद्दाख में सभी विवादास्पद क्षेत्रों से पीछे हटने की बात पर चर्चा की गई थी। चीन पैंगोंग त्सो में वापस लौटने के लिए तैयार हो गया था, लेकिन वापसी हुई नहीं। चीनी फिंगर 4 और 5 प्वॉइंट एस के बीच बैठे हैं। डेपसांग और देमचोक में ऐसे ही तनावपूर्ण हालात हैं।