एमपी की राजनीति में उपचुनाव की तैयारी तेज हो गई है। चुनावी तैयारियों में बीजेपी, कांग्रेस से आगे चल रही है। शिवराज ने उपचुनाव वाले क्षेत्रों में चुनावी कैंपेन शुरू कर दिया है। सोमवार को सीएम शिवराज सिंह चौहान रायसेन में सिंधिया समर्थक प्रभुराम चौधरी के लिए प्रचार किया किया है। हालांकि कांग्रेस अभी भोपाल से ही तैयारियों में जुटी है। इस उपचुनाव में न किसान और न समस्या, मुद्दा सिर्फ ही हैं। दोनों ही दल के नेता उपचुनाव की बात पर सिंधिया या फिर उनके समर्थकों की बात जरूर करते हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों के कांग्रेस छोड़ने के बाद एमपी में 24 सीटों पर उपचुनाव होने हैं। 24 में से 16 सीटों पर ज्योतिरादित्य सिंधिया का वर्चस्व है। ऐसे में उपचुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया ही बीजेपी और कांग्रेस के लिए मुद्दा हैं। उपचुनाव में बीजेपी ज्योतिरादित्य सिंधिया के सम्मान की बात करती है, तो कांग्रेस उनके धोखेबाजी को लेकर सवाल करती है। सम्मान और गद्दारी की लड़ाई में जनता के मुद्दे गौन हो गए हैं।
सिंधिया को सम्मान नहीं दिया
दरअसल, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस में रहते हुए अतिथि शिक्षकों को लेकर सड़क पर उतरने की बात कही थी। तत्कालीन सीएम कमलनाथ ने कहा था कि तो उतर जाएं। सिंधिया ने कांग्रेस ने छोड़ने के बाद भी इस बात का जिक्र किया था। शिवराज सिंह चौहान अपने पॉलिटिक्ल कार्यक्रमों में इस घटनाक्रम का जिक्र जरूर करते हैं। साथ ही कहते हैं कि कांग्रेस ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपमानित कर रही थी। शिवराज ने कई बार यह आरोप भी लगाया कि कांग्रेस विधायकों की कमलनाथ सुनते नहीं थे। सिंधिया के आने के बाद बीजेपी नेताओं के जो बयान अब तक आए हैं, उससे तो यहीं लगता है कि उपचुनाव में सिंधिया के सम्मान को बीजेपी मुद्दा बनाएगी।
धोखे की बात है मुद्दा
वहीं, सिंधिया और उनके समर्थकों के कांग्रेस छोड़ने के बाद एमपी में कमलनाथ की सरकार गिर गई है। सरकार गिरने के बाद कांग्रेस नेताओं ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए गद्दार जैसे शब्दों का प्रयोग किया। यहीं नहीं सिंधिया समर्थकों को कांग्रेस नेताओं ने बिकाऊ का उपमा भी दिया है। एमपी कांग्रेस के सभी ट्विटर हैंडल्स से सिंधिया और उनके समर्थकों पर लगातार हमला किया जा रहा है। कांग्रेस ने मंगलवार को भी ट्वीट किया था कि गद्दारों की एक टोली और लग गई मध्यप्रदेश की बोली।
सिंधिया ही हैं मुद्दा
दोनों दलों के अंदाज देख तो यहीं प्रतीत हो रहा है कि इस उपचुनाव में मुद्दा ज्योतिरादित्य सिंधिया ही होंगे। बीजेपी की तरफ से ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक यह लगातार मांग कर रहे हैं कि महाराज ही उपचुनाव में चेहरा होंगे। ग्वालियर-चंबल के सीटों पर कांग्रेस भी महाराज को ही मुद्दा बना रही है। दोनों दलों के रुख से यह तो साफ है कि उपचुनाव में इस बार जमीनी मुद्दे गौन रहेंगे।
स्वस्थ होकर घर लौट गए हैं सिंधिया
दरअसल, ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनकी मां कोरोना से संक्रमित हो गई थीं। मंगलवार को ज्योतिरादित्य सिंधिया ठीक होकर घर लौट गए हैं। उनकी मां अभी भी अस्पताल में ही हैं। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि वह स्वस्थ होने के बाद उपचुनाव में फिर से सक्रिय होंगे। सिंधिया राज्यसभा में बीजेपी की तरफ से उम्मीदवार भी हैं। राज्यसभा के लिए 19 जून को वोटिंग है।