की राजधानी इस्लामाबाद में पहला मंदिर बनाए जाने से पहले ही बवाल शुरू हो गया है। कई धार्मिक संस्थाओं ने सरकार के फैसले का विरोध करते हुए इसे इस्लाम विरोधी करार दिया। बता दें कि एक हफ्ते पहले ही इस मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी गई थी। जिसके लिए सरकार ने 10 करोड़ रुपये देने की घोषणा की थी।
मंदिर निर्माण के खिलाफ फतवा जारी
मजहबी शिक्षा देने वाले संस्थान जामिया अशर्फिया ने मुफ्ती जियाउद्दीन ने कहा कि गैर मुस्लिमों के लिए मंदिर या अन्य धार्मिक स्थल बनाने के लिए सरकारी धन खर्च नहीं किया जा सकता। इसी संस्था ने मंदिर निर्माण को लेकर फतवा जारी करते हुए कहा कि अल्पसंख्यकों (हिंदुओं) के लिए सरकारी धन से मंदिर निर्माण कई सवाल खड़े कर रहा है।
20 हजार वर्गफुट में बनाया जा रहा मंदिर
बता दें कि भगवान कृष्ण के इस मंदिर को इस्लामाबाद के H-9 इलाके में 20 हजार वर्गफुट के इलाके में बनाया जा रहा है। मंगलवार को पाकिस्तान के मानवाधिकारों के संसदीय सचिव लाल चंद्र माल्ही ने इस मंदिर की आधारशिला रखी। इस दौरान मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए माल्ही ने बताया कि वर्ष 1947 से पहले इस्लामाबाद और उससे सटे हुए इलाकों में कई हिंदू मंदिर थे। इसमें सैदपुर गांव और रावल झील के पास स्थित मंदिर शामिल है। हालांकि उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया और कभी इस्तेमाल नहीं किया गया।
पाक सरकार 10 करोड़ रुपये का खर्च वहन करेगी
धार्मिक मामलों के मंत्री पीर नूरुल हक कादरी ने कहा कि सरकार इस मंदिर के निर्माण पर आने वाला 10 करोड़ रुपये का खर्च वहन करेगी। उन्होंने कहा कि मंदिर के लिए विशेष सहायता देने की अपील प्रधानमंत्री इमरान खान से की गई है। इस्लामाबाद हिंदू पंचायत ने इस मंदिर का नाम श्रीकृष्ण मंदिर रखा है। इस मंदिर के लिए वर्ष 2017 में जमीन दी गई थी।
3 साल से अटका है प्रोजक्ट
हालांकि मंदिर के निर्माण का काम कुछ औपचारिकताओं की वजह से 3 साल लटक गया था। इस मंदिर परिसर में एक अंतिम संस्कार स्थल भी होगा। इसके अलावा अन्य हिंदू मान्यताओं के लिए अलग जगह बनाई जाएगी। बता दें कि मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि पाकिस्तान अल्पसंख्यकों के लिए नरक बन चुका है। यही नहीं आए दिन हिंदू समुदाय की बच्चियों का अपहरण करके उन्हें मुसलमान बना दिया जाता है।