हॉन्ग कॉन्ग में चीन की करतूत देखिए

हॉन्ग कॉन्ग में जबरन राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने के बाद अब चीन वहां दमन पर उतर आया है। चीन के झंडे तले आने के 23 साल पूरे होने के विरोध में निकाली गई रैली पर चीन समर्थक पुलिस ने पेपर स्प्रे का छिड़काव किया।। इतना ही नहीं, आज से ही लागू हुए इस काले कानून के अंतर्गत पहली गिरफ्तारी भी गई। गिरफ्तार किया गया शख्स चीन विरोधी स्लोगन लेकर चल रहा था।

रिपोर्ट के अनुसार, हॉन्ग कॉन्ग की सड़कों पर ब्रिटिश शासन समाप्त होने और चीन के कब्जे में आने के 23वीं सालगिरह पर स्थानीय लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं ने विरोध रैली निकाली थी। जिसके बाद चीन समर्थक पुलिस ने न केवल आंदोलनकारी जनता बल्कि वहां मौजूद मीडियाकर्मियों को भी निशाना बनाया। इस दौरान मची भगदड़ की चपेट में आने से कई लोग घायल भी हो गए।

गिरफ्तार किए गए पहले शख्स को चीन के नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत सजा दी जाएगी। इस कानून के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने, विदेशी ताकतों के साथ अलगाव, तोड़फोड़, आतंकवाद के दोषी व्यक्ति को अधिकतम उम्रकैद की सजा सुनाई जा सकती है। चीन के नेशनल पीपुल्स कांग्रेस स्टैंडिंग कमेटी के 162 सदस्यों ने 30 जून को कानून को पेश किए जाने के 15 मिनट के अंदर सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी थी।

पेइचिंग हॉन्ग-कॉन्ग की राजनीतिक उठापटक को अपने हाथ में लेने की कोशिश कर रहा है। बता दें कि हॉन्ग-कॉन्ग ब्रिटिश शासन से चीन के हाथ 1997 में ‘एक देश, दो व्यवस्था’ के तहत आया और उसे खुद के भी कुछ अधिकार मिले हैं। इसमें अलग न्यायपालिका और नागरिकों के लिए आजादी के अधिकार शामिल हैं। यह व्यवस्था 2047 तक के लिए है।

1942 में हुए प्रथम अफीम युद्ध में चीन को हराकर ब्रिटिश सेना ने पहली बार हॉन्ग कॉन्ग पर कब्जा जमा लिया था। बाद में हुए दूसरे अफीम युद्ध में चीन को ब्रिटेन के हाथों और हार का सामना करना पड़ा। इस क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए 1898 में ब्रिटेन ने चीन से कुछ अतिरिक्त इलाकों को 99 साल की लीज पर लिया था। ब्रिटिश शासन में हॉन्ग कॉन्ग ने तेजी से प्रगति की।

1982 में ब्रिटेन ने हॉन्ग कॉन्ग को चीन को सौंपने की कार्रवाई शुरू कर दी जो 1997 में जाकर पूरी हुई। चीन ने एक देश दो व्यवस्था के तहत हॉन्ग कॉन्ग को स्वायत्तता देने का वादा किया था। चीन ने कहा था कि हॉन्ग कॉन्ग को अगले 50 सालों तक विदेश और रक्षा मामलों को छोड़कर सभी तरह की आजादी हासिल होगी। बाद में चीन ने एक समझौते के तहत इसे विशेष प्रशासनिक क्षेत्र बना दिया।

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