ऑनलाइन क्लास के लिए स्कूलों द्वारा पूरी फीस लिए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है। सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली के पैरेंट्स सहित देश भर के राज्यों के पैरेंट्स की ओर से अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि राज्यों से कहा जाए कि वह निर्देश जारी करें कि जब तक ऑनलाइन क्लास चलाई जा रही है तब तक प्राइवेट स्कूल फीस न ले। याचियों ने कहा है कि ऑनलाइन क्लास का खर्चा फिजिकल क्लास के खर्चे से काफी कम है। याचिका में गुहार लगाई गई है कि ऑनलाइन क्लास का जो खर्च आता है उसी अनुपात में फीस लिया जाए या फिर सिर्फ ट्यूशन फीस लिया जाए। सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, पंजाब व राजस्थान सहित कई राज्यों के पैरेंट्स ने अर्जी दाखिल कर भारत सरकार और राज्यों को प्रतिवादी बनाया है।
याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में कहा गया है ये मामला जीवन के अधिकार से जुड़ा मामला है। इसमें शिक्षा का अधिकार भी शामिल है और उससे बच्चे वंचित हो रहे हैं जिसे प्रोटेक्ट किया जाना जरूरी है। कोविड के कारण लोग वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं। इस कारण कई पैरेंट्स ने अपने बच्चों का नाम तक स्कूल से हटवा दिया है। देश में हुए लॉकडाउन के कारण लोग घरों में बंद हैं। लोग वित्तीय परेशानी में हैं। स्थिति ये है कि देश में लाखों, करोड़ों लोग सरकार की सहायता पर निर्भर हो गए हैं। लॉकडाउन के कारण वित्तीय गतिविधियां ठप्प हो गई हैं। तमाम सेक्टरों में उत्पादन जीरो हो चुका है। टूरिज्म, इंडस्ट्रीज, रेस्टोरेंट, फार्मिंग, जूलरी से लेकर अन्य बिजनेस में कारोबार ठप्प है। इस कारण लोग जबर्दस्त मानसिक, आर्थिक व भावनात्मक परेशानी से जूझ रहे हैं। इस दौरान कई स्कूलों द्वारा ऑनलाइन क्लास लिया जा रहा है। कई पैरेंट्स ऐसे हैं जिनके पास स्मार्ट फोन और लैपटप नहीं हैं। नेटवर्क के प्रॉब्लम से लोग पहले से परेशान हैं। पहले से लोगों के पास ऑनलाइन क्लास का कोई तजुर्बा भी नहीं था। ऑनलाइन क्लास के कारण बच्चे लगातार एक्सपोज हो रहे हैं इस कारण उन्हें आंखों और अन्य तरह की परेशानी से रूबरू होना पड़ रहा है। कई प्रैक्टिकल क्लास हैं जो ऑनलाइन नहीं हो सकते।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि फिजिकल क्लास का खर्चा ऑनलाइन से काफी ज्यादा होता है। फिजिकल क्लास में बिजली, पानी, इन्फ्रास्ट्रक्चर का खर्चा और रखरखाव का खर्च काफी ज्यादा है लेकिन ऑनलाइन क्लास में ये खर्चें नहीं है फिर भी पैरेंट्स से पूरी फीस वसूली जा रही है और उसके लिए दबाव डाला जा रहा है। ऐसे में राज्य सरकारों को निर्देश जारी किया जाना चाहिए कि वह तमाम सहायता और गैर सहायता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों को निर्देश दें कि वह लॉकडाउन के दौरान और जब तक ऑनलाइन क्लास चल रहा है तब तक स्टू़डेंट्स से कोई फीस न लें। या फिर निर्देश जारी किया जाए कि ऑनलाइन क्लास में जो खर्च होता है उसके अनुपात में फीस लिया जाए या फिर सिर्फ ट्यूशन फीस लिया जाए और कोई चार्ज न लिया जाए।