यूट्यूब के चैट शो क्रिक कास्ट पर पाकिस्तानी ब्रॉडकास्टर सवेरा पाशा से बातचीत के दौरान चोपड़ा ने कहा, ‘भारतीय क्रिकेट टीम 2008 में डीआरएस इस्तेमाल करने वाली पहली टीम बनी थी, तब धोनी नहीं बल्कि अनिल कुंबले टीम इंडिया के कप्तान थे। हमने उस सीरीज में कुछ बहुत ही बेकार डीआरएस लिए।’
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उन्होंने आगे कहा, ‘तब सबके लिए यह नई तकनीक थी और इसका खराब इस्तेमाल किया था। तब फैसला कर लिया गया था कि हमें यह नई तकनीक पसंद नहीं आई और हम इसका इस्तेमाल नहीं करेंगे।’
42 वर्षीय चोपड़ा ने कहा, ‘धोनी भी इसके कोई फैन नहीं थे, टीम के कप्तान होने पर आपकी सोच का फर्क पड़ता है। धोनी काफी समय इस बात को लेकर पक्के थे कि तकनीक फुल-प्रूफ नहीं हो सकती है बल्कि आज भी यह फुल-प्रूफ नहीं है। अब भी अंपायर्स कॉल को लेकर समस्याएं हैं लेकिन ज्यादा समस्याएं पहले थीं।’
करियर में 10 टेस्ट मैच खेलने वाले चोपड़ा ने साथ ही कहा, ‘मैं पहले दिन से डीआरएस का फैन रहा हूं। मेरा मानना है कि अगर आप तकनीक को अपनाएंगे नहीं तो इसे सुधारेंगे कैसे। विराट कोहली जब से कप्तान बने हैं चीजें बदल गई हैं। विराट डीआरएस के बड़े फैन हैं, वह हर मैच में डीआरएस चाहते हैं। फिर चाहे आईपीएल मैच हो या फिर रणजी मैच।’