पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (Ladakh LAC) पर भारतीय सेना से हिंसक झड़प करने के बाद भी न सिर्फ चीन इसका आरोप भारत पर मढ़ता रहा, बल्कि बातचीत के दौरान बनी सहमति का पालन करने की जगह अपनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के साथ सीमा पर डटा रहा। भारत ने आखिरकार कड़ा रुख अपनाते हुए सोमवार को चीन के 59 ऐप्स को बैन कर दिया। इस कदम से बौखलाए सरकारी मीडिया ने भारत पर न सिर्फ तंज बल्कि धमकी देना भी शुरू कर दिया है। चीन के प्रॉपगैंडा अखबार ग्लोबल टाइम्स ने भारत को आर्थिक जंग की धमकी दे डाली है और कहा है कि इसके परिणाम पहले से बदतर होंगे।
ग्लोबल टाइम्स के संपादक हू शिजिन ने ट्वीट किया, ‘अगर चीन के लोग भारत के प्रॉडक्ट्स बॉयकॉट करना भी चाहें तो उन्हें भारतीय प्रॉडक्ट्स मिलेंगे ही नहीं। भारतीय दोस्तों, आपको राष्ट्रवाद के अलावा ज्यादा अहम चीजों की भी जरूरत है।’ हालांकि, ग्लोबल टाइम्स का हमला सिर्फ तंज तक सीमित नहीं है। अलग-अलग लेखों में उसने भारत को इसके कारण होने वाले नुकसान गिनाए हैं।
‘पहले सबसे पसंदीदा मार्केट था भारत’
ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि एक साल पहले तक भारत चीनी निवेशकों का सबसे पसंदीदा मार्केट था। उसे ‘अगला वन बिलियन मार्केट’ कहा जाने लगा था जिससे चीन के मोबाइल इंटरनेट के लिए अहम माना जा रहा था। 2017 से 2020 तक भारत में चीनी निवेश 10 बिलियन डॉलर पहुंच गया था। लेकिन पहले कोरोना वायरस और फिर सीमा पर तनाव के बाद संबंध बदलने लगे।
‘चीन की अर्थव्यवस्था को नुकसान नहीं पहुंचा सकता भारत’
ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि भारत के ऐप बैन से चीन की संबंधित कंपनियों पर असर जरूर पड़ेगा लेकिन भारत ऐसी स्थिति में नहीं है कि चीन की बेहद ताकतवर अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा सके। अखबार ने दावा किया है कि लद्दाख में हुई घटना के बाद चीन शांति से भारत सरकार से द्विपक्षीय आर्थिक और व्यापारिक संबंधों की रक्षा की अपील कर रहा है लेकिन अब ‘मोदी सरकार राष्ट्रवाद की भावना के आगे फेल हो गई है और घरेलू दबाव के चलते यह कदम उठाया है।’
‘द्विपक्षीय संबंधों के खराब होने से आर्थिक टकराव होगा’
अखबार का कहना है कि भारत के इस कदम से नकारात्मक संकेत मिलते हैं जिससे चीन के बहिष्कार की मांग से खराब हुए द्विपक्षीय संबंधों के कारण आर्थिक टकराव होगा। उसका यह भी कहना है कि हाल के सालों में चीन और भारत के बीच सीमा पर विवाद कई बार हुआ है लेकिन दोनों देशों के लिए ‘आर्थिक युद्ध’ में उतरना आम बात नहीं है। अखबार ने यह चेतावनी तक दे डाली है कि भारत को चीन के साथ आर्थिक युद्ध के परिणामों को कमतर नहीं समझना चाहिए। चीन के कोई कदम नहीं उठाने पर भारत को चीनी बिजनस पर कार्रवाई करने का कारण नहीं बनाना चाहिए। उसका कहना है कि 2017 में डोकलाम विवाद के ज्यादा परिणाम देखने को नहीं मिले थे क्योंकि द्विपक्षीय संबंधों को फौरन सुधार लिया गया था।
‘डोकलाम से ज्यादा नुकसान उठाना पड़ेगा’
यही नहीं, अखबार ने चेतावनी दी है कि भारत ने जो किया है उससे चीनी निवेशकों और व्यापारियों के विश्वास को चोट पहुंची है और कोरोना वायरस से पहले से ही जूझ रही भारतीय अर्थव्यवस्था को लंबे वक्त तक इसके परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। ऐसे हालात में अगर भारत सरकार देश के राष्ट्रवाद को बढ़ावा देती है तो उसे डोकलाम से भी ज्यादा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। अखबार ने लिखा है, ‘हम उम्मीद करते हैं कि भारत सरकार हालात की सच्चाई को समझेगी और मौजूदा संकट को भकड़कती आग में तब्दील होने से रोक लेगी।’
‘भारत में निवेश का क्या करना है, तय नहीं कर पा रहीं कंपनियां’
अखबार ने आरोप लगाया है कि भारत ने सीमा बंद कर दी जिससे बिजनस एक्सचेंज मुश्किल हो गया और लॉकडाउन के चलते भारत के अंदर भी चीनी कंपनियों का काम करना मुश्किल हो गया। ग्लोबल टाइम्स ने यह आरोप भी लगाया है कि चीन को टार्गेट करने के लिए भारत सरकार ने जो कदम उठाए उनसे चीनी निवेशकों का विश्वास कम हो गया और उन्हें भारत निवेश के लिए अब सबसे सही देश नहीं लगता है। अखबार का यह भी कहना है कि भारत में कोरोवायरस के चलते खराब हुए हालात को देखते हुए चीनी नागरिक देश वापस लौटना चाहते हैं। इस साल या अगले निवेश पर आशंका होने के कारण चीनी कंपनियां और इन्वेस्टर भारत को लेकर क्या करना है, इस बारे में फैसला नहीं कर पा रहे हैं।
‘निवेश पर राजनीतिक, आर्थिक माहौल का पड़ेगा असर’
पहले भी भारत के मार्केट पर अपनी मजबूत पकड़ को लेकर सीना चौड़ा करते रहे चीन की एक कंपनी के अधिकारी के हवाले से ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि पहले भारत में 3 दर्ज नए स्टोर खोलने और 10 हजार स्थानीय लोगों को रोजगार देने का प्लान बनाया जा रहा था लेकिन अब वह कैंसल हो गया। अखबार का कहना है कि कंपनियां अब इस बात पर विचार कर रही हैं कि क्या राजनीतिक हालात और महामारी को देखते हुए उन्हें पूरी तरह से भारत से वापसी कर लेनी चाहिए। भारत में निवेश से जुड़े एक ऑफिशल के हवाले से ग्लोबल टाइम्स ने कहा है, ‘निवेश को लेकर कंपनियों का आगे के फैसले पर प्रतिकूल राजनीतिक और आर्थिक माहौल का असर पड़ेगा।’ इनका कहना है कि ऐसे में काम करने और रेवेन्यू जनरेट करने में मुश्किलें होंगी।