भिलाई(CG AAJ TAK)। कल्याण स्नातकोत्तर महाविद्यालय से डॉ आरपी अग्रवाल के रिटायरमेंट के बाद उनके कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार परत-दर-परत खुल रही है। करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार के बाद अधिकार क्षेत्र के बाहर जाकर एमओयू करने का मामला सामने आया है। इस मामले में सबसे चौंकाने वाली बात है कि उनके कारगुजारियों की जानकारी छत्तीसगढ़ कल्याण समिति को भी नहीं है। उन्होंने समिति को अंधेरे में रख एवं मोटी रकम लेकर कॉलेज के खेल मैदान का एमओयू (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग) चौहान क्रिकेट अकादमी के साथ कर दिया है, जबकि उन्हें इसका अधिकार नहीं था। इसका खुलासा सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 (आरटीआई) के तहत छत्तीसगढ़ कल्याण समिति द्वारा दी गई जानकारी में हुआ है।
क्या भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन करेगा कार्रवाई?
भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन का इंफोर्समेंट विभाग (तोड़ूदस्ता) टाउनशिप के गरीब अवैध कब्जाधारी झोपड़ पट्टी, ठेलों, गुमिटयों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई में तत्परता दिखाने वाला विभाग इस मामले में स्वतः संज्ञान लेकर कार्रवाई करेगा या किसी जनप्रतिनिधि (पार्षद, विधायक, सांसद) की शिकायत के बाद करेगा, यह सबसे बड़ा सवाल है।
बता दें कि भिलाई इस्पात संयंत्र प्रंबधन द्वारा छत्तीसगढ़ कल्याण समिति को कॉलेज संचालन के लिए जमीन लीज पर दी है। कॉलेज प्रबंधन खुद लीजधारी है वह जमीन किसी को भी (तीसरे व्यक्ति को) लीज पर नहीं दे सकता है। इसे ऐसे समझ सकते है कि कोई व्यक्ति किसी से रकम उधार लिया है वो क्या वह किसी तीसरे व्यक्ति को उधार दे सकता है। मामले में चौंकाने वाली बात यह है कि यह अधिकार छत्तीसगढ़ कल्याण समिति को भी नही है। वहीं रिटायर्ड प्राचार्य डॉ आरपी अग्रवाल ने यह कारनामा कर दिखाया है। उन्होंने गोविंद चौहान के नाम पर करोड़ों की जमीन मुफ्त में लीज पर दे दी है। इसके लिए एमओयू किया गया है। एमओयू दिनांक 27/08/2022 को पांच साल के लिए कॉलेज के प्राचार्य और राजेश चौहान के बीच हुआ है। एमओयू में बतौर गवाही एचओडी केमिस्ट्री डिपार्टमेंट और असिस्टेंट प्रोफेसर एजुकेशन डिपार्टमेंट के हस्ताक्षर है।
कमाई का जरिया बना चौहान क्रिकेट अकादमी
चौहान क्रिकेट अकादमी बीते दो दशकों से कमाई का जरिया बना हुआ है। हर साल सैकड़ों खिलाड़ियों से लाखों रुपए फीस ली जाती है। इतने सालों में इस अकादमी से राष्ट्रीय स्तर तो छोड़ों राज्य या टी-20 के लिए भी एक भी खिलाड़ी नहीं निकले हैं। सवाल यह उठता है कि ऐसे अकादमी का क्या मतलब। यह अकादमी सिर्फ और सिर्फ व्यक्तिगत कमाई का जरिया बना हुआ है।
शहर के जनप्रितिनिधि खामोश
टाउनशिप के सबसे बड़े खेल मैदान को पूर्व प्राचार्य ने मनमानी तरीके से लीज पर दे दिया है और किसी भी जनप्रतिनिधि ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है। कॉलेज प्रबंधन की ओर से मनमानी तरीके से लीज में देने के खिलाफ किसी ने भी आवाज नहीं उठाई है। वर्तमान में खेल मैदान में खुदाई कर दी गई है। इसके लिए भी कॉलेज प्रबंधन या समिति द्वारा कोई अनुमति नहीं ली गई है। मतलब पूर्व प्राचार्य के कार्यकाल की तरह चौहान अकादमी की मनमानी और दादागिरी चल रही है। अकादमी के संचालक ये भूल गए है कि तत्कालीन प्राचार्य डॉ आरपी अग्रवाल अब रिटायर्ड हो चुके हैं।
20 साल से मुफ्त में पानी बिजली
बताया जाता है कि पहले भी चौहान अकादमी को खेल मैदान खिलाड़ियों के भविष्य संवारने के लिए मुफ्त में दिया गया था। 20 सालों से अकादमी मुफ्त में पानी और बिजली की सुविधा का लाभ उठा रहा है। अकादमी ने कॉलेज प्रबंधन को 20 साल में एक भी रुपए का भुगतान नहीं किया है। जबकि लाखों रुपए फीस खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने के नाम पर वसूला जा रहा है।
भ्रष्टाचार का मामला लंबित
बता दें कि डॉ आरपी अग्रावल के खिलाफ करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार का मामला लंबित है। उनके खिलाफ राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के विश्वविद्यालय समन्वयक के कार्यकाल के दौरान 15 सालों तक मानदेय लेने का मामला लंबित है। यूनिवर्सिटी के राष्ट्रीय समन्वयक की उम्र अधिकतम 50 साल निर्धारित है। उन्होंने पूरे 15 साल 50 से 65 की उम्र तक मानदेय लिया है। इसकी शिकायत कुलाधिपति (राज्यपाल) छत्तीसगढ़ शासन के सचिव उच्च शिक्षा विभाग से लेकर राष्ट्रीय समन्वयक दिल्ली तक की गई है। मामला अभी भी लंबित है और विभागों की मानें तो जांच जारी है।
