भिलाई/रायपुर, (CG AajTak)। छत्तीसगढ़ उच्च शिक्षा विभाग में दोहरे मापदंड अपनाने का मामला सामने आया है। मामला राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक पद से जुड़ा हुआ है। उच्च शिक्षा विभाग छत्तीसगढ़ शासन राज्य एनएसएस अधिकारी रायपुर की ओर से हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग में अंशकालिक कार्यक्रम समन्वयक ( राष्ट्रीय सेवा योजना ) के एक पद के लिए विज्ञापन निकाला गया है। इस पद के लिए अन्य योग्यताओं के साथ उम्र सीमा 50 साल निर्धारित है। वहीं इसी पद से संबंधित व्यक्ति डॉ आरपी अग्रवाल ( पूर्व प्राचार्य कल्याण स्नाकोत्तर महाविद्यालय भिलाई नगर, दुर्ग ) पूरे 65 साल तक हेमचंद यादव विश्वविद्यालय में समन्वयक राष्ट्रीय सेवा योजना के पद पर बने रहे। नियमतः 50 साल के बाद रिटायर्ड हो जाना चाहिए था, किंतु उन्हें समन्यक पद से हटाया नहीं गया। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर डॉ आरपी अग्रवाल किसकी मेहरबानी और छत्र छाया में पूरे 65 साल (रिटायर्डमेंट) तक इस पद पर बने रहे।
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रायपुर से लेकर दिल्ली तक शिकायत
बता दें डॉ आरपी अग्रवाल के नियम विरुद्ध समन्वयक के पद पर बने रहने और अवैधानिक तरीके से लिए गए मानदेय की रिकवरी के लिए (एकसाथ दो जगहों से वेतन लेने की) शिकायत की गई थी। छत्तीसगढ़ के राज्यपाल से लेकर उच्च शिक्षा सचिव, छत्तीसगढ़ शासन से की गई थी। इसके अलावा युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय भारत सरकार, नई दिल्ली से भी की गई थी। सबसे आश्चर्य वाली बात यह है कि उक्त जगहों पर शिकायत के बाद कार्रवाई तो दूर की बात है, संबंधित विभागों ने शिकायतकर्ता के पत्र का जवाब देना भी उचित नहीं समझा। डॉ आरपी अग्रवाल के खिलाफ लिखित शिकायत के बाद न तो उन्हें पद से हटाया गया न ही नियम विपरीत लिए मानदेय की रिकवरी की गई है। अब इस बात से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि उच्च शिक्षा विभाग में किस कदर भ्रष्टाचार व्याप्त है। यह भी अंदाजा लगा सकते हैं कि उच्च शिक्षा विभाग में इतनी शिकायत और लिखा पढ़ी के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई तो सरकार के अन्य शासकीय विभागों का क्या हाल होगा? क्या यही सीएम विष्णुदेव साय का सुशासन है?
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