भिलाई(सीजी आजतक न्यूज)। हमेशा चर्चा में रहने वाला जिला शिक्षा विभाग दुर्ग का एक और कारनामा सामने आया है। मामला शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला फरीद नगर (अब स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम शाला) में प्रभारी प्राचार्य नौशाद खान की अनुशंसा का है। इस मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि (नौशाद खान) ने खुद ही जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) को अपनी प्रतिनियुक्ति के लिए पत्र लिखा और खुद ही सहमित प्रदान कर दी। जबकि होता यह (नियम) है कि विभाग (संस्था) प्रमुख डीईओ को लेटर लिखता है और डीईओ की अनुशंसा पर उनकी प्रतिनियुक्ति होती है किंतु इस मामले में ऐसा कुछ नहीं हुआ। इस मामले में सबसे बड़ी बात यह कि तात्कालीन प्रभारी मंत्री मोहम्मद अकबर ने भी विभागीय पत्र पर हस्ताक्षर किया है।
बता दें कि नौशाद खान व्याख्याता शासकीय हाई स्कूल तकिया पारा को मोहम्मद अकबर की अनुशंसा पर फरीद नगर में प्रभारी प्राचार्य के पद पर पदस्थ किया गया, जो भर्ती पदोन्नति नियम के विरुद्ध था। इस संबंध में लगभग दो दशक पहले ही शिक्षा विभाग ने प्राचार्य पदोन्नति प्रस्ताव से नाम विलोपित करने कहा था। इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी दुर्ग ने आयुक्त लोक शिक्षण संचालनाल को दिनांक 30/10/2012 को पत्र लिखा था। उस पत्र में नौशाद खान का भी नाम शामिल है। और उन्हें स्कूल शिक्षा विभाग के किसी भी स्कूल में काम करने का वैधानिक अधिकार नहीं था। इसके बाद भी जात बिरादरी के प्रभारी मंत्री के दबाव में नियम विरुद्ध उनकी पदोन्नति शासकीय हाई स्कूल तकिया पारा दुर्ग से स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम शाला फरीद नगर में की गई। जबकि इस शाला में कक्षा पहली से आठवीं ही संचालित और पूर्ण रूप से पूर्व माध्यमिक शाला थी। वहां पूर्णकालिक प्रधानपाठक पिछले अनके वर्षों से पदस्थ थे। ऐसी परिस्थिति में कभी भी व्याख्याता को किसी भी पद में पदस्थापना नहीं की जा सकती थी। यह क्षेत्र अल्पसंख्यक बाहुल्य था जहां प्रभारी प्राचार्य बनाकर भेजा गया। नौशाद खान का प्रवेश और वित्तीय संबंधी जांच की जाए तो कई चौंकाने वाले खुलासे होंगे। डीएम फंड से लेन देन भी जांच विषय है। अब देखना होगा कि शिक्षा विभाग उसके खिलाफ क्या एक्शन लेता है।
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बताया जाता है कि वहां के प्रधानपाठक सख्त और शासकीय नियमों से चलने वाले थे, जिससे लोगों के अनेक नियम विरुद्ध (गलत) कार्य नहीं हो रहे थे। ऐसी स्थिति में अल्पसंख्यक समाज को लाभ देने के लिए प्रभारी मंत्री का पत्र व्यवस्था के लिए नुकसानदायक साबित हुआ और जमात को लाभ भी मिला। नौशाद खान के आने के बाद उनकी जमाती गतिविधियां बढ़ी और आज भी लोग परेशान है।