भिलाई(सीजी आजतक न्यूज)। हमेशा चर्चा में रहने वाला जिला शिक्षा विभाग दुर्ग का एक और नया कारनामा सामने आया है। लाखों रुपए घूस लेकर भृत्य (चपरासी) को लिपिक (क्लर्क) बना दिया। मामला उजागर होने के बाद विभागीय जांच कमेटी बैठी। दो सदस्यीय जांच कमेटी की रिपोर्ट के बाद चपरासी का पदोन्नति आदेश रद्द कर दिया है।
दरअसल मामला शिक्षा विभाग के भृत्य रमेश कुमार कुर्रे से जुड़ा हुआ है। रमेश कुमार की पहली नियुक्ति शासकीय हाईस्कूल कोसमंदा विकासखंड भाठापारा जिला रायपुर में भृत्य के पद (कलेक्टर दर) पर हुई थी। कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी, शैक्षणिक जिला बलौदाबाजार के आदेश दिनांक 29/09/2011 आकस्मिक निधि भृत्य के नियमित पद पर आदेशित किया गया। संबंधित का स्थानांतरण छग स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय, महानदी भवन, नया रायपुर के आदेश दिनांक 15/07/2014/ सरल क्रमांक 09 के अनुसार जिला बलौदाबाजार से दुर्ग जिले के विद्यालय के लिए स्वयं के व्यय पर हुआ एवं संबंधित द्वारा दिनांक 08/08/2014 को दुर्ग जिला में आकस्मिक निधि भृत्य के पद पर कार्यभार ग्रहण किया।
कार्यालयीन आदेश क्रमांक/स्थापना 04/नियमितीकरण 2017/124 दुर्ग दिनांक 06/01/2017 के द्वारा रमेश कुमार कुर्रे को भृत्य के पद पर नियमित किया गया। जांच दल के प्रतिवेदन के अनुसार स्वयं के व्यय से स्थानांतरण होने के कारण जिला दुर्ग की शालाओं में कार्यभार ग्रहण दिनांक से वरिष्ठता का निर्धारण किया जाना है। संबंधित की वरिष्ठता दिनांक 06/01/2017 मानते हुए नियमित भृत्य पद से सहायक ग्रेड 03 के पद पर पदोन्नति प्रक्रिया पुनः निर्धारण कर पदोन्नति किया जाना चाहिए।
उक्त तथ्यों के परीक्षण और जांच प्रतिवेदन अवलोकन उपरांत संबंधित के पदोन्नति के लिए आदेश क्रमांक 2023/14241/दुर्ग दिनांक 05/10/2023 को निरस्त करते हुए रमेश कुमार कुर्रे को पदोन्नति पूर्व पद (भृत्य) एवं पदांकन संस्था शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हनोदा दुर्ग में सेवा देने आदेशित किया जाता है। परंतु पदोन्नित आदेशकर्ता अधिकारी और लिंक अधिकारी तथा कक्ष लिपिक के ऊपर कार्रवाई किया जाना था जो आजतक दिनांक तक नहीं हुई। पदोन्नित के विषय में सभी तथ्यों (जन्म तिथि, कार्यभार ग्रहण तिथि तथा वरिष्ठता सूची) को ध्यान रखकर पदोन्नति दी जाती है। यहां सभी तथ्यों को छिपाकर पदोन्नति देना आर्थिक उगाही या व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने की श्रेणी में आता है। इसका विभाग पर विपरीत असर और सही काम करने वालों को मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। अतः इस पूरे प्रकरण में लिप्त सभी अधिकारियों पर सिविल सेवा अधिनियम की धारा के तहत दंडित किया जाना था। जिला अधिकारी दुर्ग अभय कुमार जायसवाल ने निरस्त की प्रतिलिपि सभी अधिकारियों को भेजी है। ऐसे अधिकारियों का मौन अनेक संदेहों को जन्म देता है।