शब्बीर अहमद, भोपाल। विश्वप्रसिद्ध महाकाल की नगरी उज्जैन के विधायक मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद वे अपने घर में पूरे पांच साल तक रात में रूक नहीं पाएंगे। वे प्रदेश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री होंगे जो अपने ही घर में पूरी रात नहीं रूक पाएंगे। बताया जाता है कि विश्व प्रसिद्ध महाकाल की नगरी उज्जैन का राजा बाबा महाकाल है। मान्यता है कि बाबा महाकाल की नगरी में दो राजा एक साथ नहीं रह पाते हैं। कोई कितना बड़ा ही आदमी क्यों न हो (राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री) उसे रात को महाकाल की नगरी उज्जैन छोड़ना ही पड़ता है।
सदियों पुरानी मान्यता है कि उज्जैन के राजा भगवान महाकालेश्वर यानी बाबा महाकाल से बड़ा शासक कोई नहीं है। पौराणिक कथाओं के अनुसार कोई भी राजा उज्जैन में रात्रि निवास/विश्राम नहीं कर सकता है। अगर कोई भी राजा या मंत्री यहां रात में ठहरता है, तो उसे इसकी सजा भुगतनी पड़ती है।
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बता दें कि उज्जैन के राजा विक्रमादित्य थे। विक्रमादित्य के राजा बनने से पहले उज्जैन पर शासन करने वालो की मृत्यु निश्चित हो जाती थी। साधु-संतों और ज्ञानियों की सलाह के बाद विक्रमादित्य ने राज्य की गद्दी को बाबा महाकाल के नाम से चलाने का फैसला किया। सच्ची घटनाओं में भारत के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई एक रात उज्जैन में रुके थे। इसके बाद दूसरे दिन ही कथित रूप से देसाई को अपने पद से हाथ धोना पड़ा था। इसी तरह कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने भी एक बार उज्जैन में रात्रि विश्राम करने का दुस्साहस किया था। इसके 20 दिन बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ गया था।
