भिलाई(सीजी आजतक न्यूज)। भारत में आस्था और भक्ति के अनेक रंग हैं। आस्था से जुड़ी कुछ ऐसी ही कहानी है मध्यप्रदेश के कटनी जिले के एक मंदिर की, जहां श्रीराम नाम मंत्र जाप और भक्ति की जड़ी-बूटी से भक्तों की टूटी हड्डियां जुड़ जाती है। पूरे देशभर से संकट मोचक भगवान हनुमान मंदिर में टूटे पैरों से आते हैं और ठीक होकर अपने पैरों पर चलकर वापस जाते हैं।
मध्यप्रदेश के कटनी से 30 किलामीटर दूर ग्राम मोहास में विराजे हनुमान जी को आर्थोपेडिक स्पेशलिस्ट भी कहते हैं। अस्थि रोग, फैक्चर आदि से पीड़ितों की यहां किसी आर्थोपेडिक सर्जन के दवाखाने की तरह कतार लगती है। मंगलवार और शनिवरा को मंदिर के विशाल परिसर पर पैर रखने की तक की जगह नहीं रहती है।
छोटे से गांव मोहास के इस संकट मोचन हनुमान मंदिर में दो दिन में टूटी हड्डियों का दर्द लिए लोगों की लंबी कतारें दिखाई देती हैं। इस मंदिर में टूटी हड्डियों का इलाज सरमन लाल पटेल नामक पंडा करते हैं। वे अपने हाथों से भक्तों को दवा खिलाते हैं, लेकिन दवा के साथ-साथ ये मान्यता है कि उनकी दवा का असर उन्हीं लोगों पर होता है, जो श्रीराम नाम का जाप तन और मन से करते हैं। जड़ी बूटी की डोज से ज्यादा जरूरी है आस्था और विश्वास की। भक्तों को बूटी खाने से पहले दालान में बैठकर भगवान श्रीराम का नाम जपना पड़ता है।
जानकारी के मुताबिक यहां बहुत पहले हनुमान जी की एक छोटी सी मढ़िया हुआ करती थी, उस समय से भक्त अपनी टूटी हड्डियों का इलाज करवाने यहां आते थे और मंदिर के पंडे ही इन्हें बूटी दिया करते थे। धीरे-धीरे समय के साथ जब इस मंदिर के चमत्कार के किस्से कटनी से बाहर फैलने लगे तो भक्तों ने मंढिया की जगह मंदिर बनवाया और आस्था के इसी विस्तार के साथ भक्तों की भीड़ भी बढ़ती गई। हालांकि मेडिकल साइंस के मुताबिक भक्तों को यहां दी जाने वाली बूटी असल में आयुर्वेदिक जड़ी है। इसके साथ ही आस्था से जुड़े मनोविज्ञान के कारण भक्त खुद को स्वस्थ महसूस करते हैं। इसमें दो राय नहीं कि इस तरह के प्रयोग को अंध-विश्वास की श्रेणी में रखा जा सकता है, लेकिन भक्तों की भीड़, उनकी आस्था और विश्वास के कारण तर्क का कोई काम नहीं है।