भिलाई(सीजी आजतक न्यूज)। भिलाई इस्पात संयंत्र (बीएसपी) की बहुप्रतीक्षित परियोजना का पहला चरण लगभग पूर्णता पर है। परियोजना के तहत अंजरेल से उत्खनन किए गए लौह अयस्क के प्रथम रैक का तकनीक ट्रायल लेते हुए अंतागढ़ से भिलाई इस्पात संयंत्र लाया गया। संयंत्र परिसर में 11 सितम्बर, 2022 को सुबह संयंत्र के निदेशक प्रभारी, अनिर्बान दासगुप्ता ने अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में इस रैक का स्वागत किया।
इस अवसर पर दासगुप्ता ने कहा कि यह गर्व की बात है कि छत्तीसगढ़ की धरती से लौह अयस्क ब्लास्ट फर्नेस, स्टील मेल्टिंग शॉप तक पहुंचता है और विश्व स्तरीय उत्पादों जैसे हमारा रेल में परिवर्तित हो जाता है। कहा कि हम रावघाट में रामकृष्ण मिशन, बीएसएफ और डीएवी स्कूल से मिलकर कार्य कर रहें है। मुझे विश्वास है कि दल्ली-राजहरा रावघाट से अयस्क के लिए लाभकारी क्षेत्र के रूप में कार्य करेगा। रावघाट से लंबे समय से प्रतीक्षित अयस्क का खनन अब साकार हो रहा है। मुझे विश्वास है कि सेल-बीएसपी राज्य सरकार के सहयोग से प्रगति करेगी। उन्होंने अंजरेल के खोड़गांव ग्राम पंचायत के 27 प्रशिक्षु छात्रों का स्वागत कर उनसे बातचीत भी की। तपन सूत्रधर, ईडी (माइंस) ने इस ऐतिहासिक क्षण को लाने के लिए खनन बिरादरी को बधाई दी।
लौह अयस्क में 62 प्रतिशत तक आयरन की मात्रा
भिलाई इस्पात संयंत्र ने रावघाट क्षेत्र में 3 लाख टन प्रतिवर्ष लौह अयस्क के उत्खनन और निर्गमन की सभी आवश्यक अनुमति प्राप्त करने के बाद 10 सितम्बर, 2022 को अंतागढ़ से 21 वैगन की प्रथम रैक को लोड किया और भिलाई के लिए रवाना किया। अंजरेल से अंतागढ़ रेलवे स्टेशन तक 50 किलोमीटर सड़क मार्ग से और अंतागढ़ रेलवे स्टेशन से भिलाई इस्पात संयंत्र तक 150 किलोमीटर की यात्रा कर यह पहला रैक भिलाई पहुंचा। अंजरेल से प्राप्त लौह अयस्क में 62 प्रतिशत तक आयरन (एफई) की मात्रा है। इस लौह अयस्क से भिलाई इस्पात संयंत्र की इस्पात उत्पादन की लागत में कमी आयेगी और देश के विकास में और अधिक योगदान दे सकेगा। भिलाई ने अंजरेल में दिसम्बर 2021 में लौह अयस्क उत्खनन का कार्य प्रारंभ किया था।
आगामी दिनों में पूरा परिवहन रेलमार्ग से
रावघाट क्षेत्र से लौह अयस्क के उत्खनन और भिलाई तक लाने के लिए दल्ली राजहरा से नारायणपुर तक और नारायणपुर से जगदलपुर तक की रेललाइन परियोजना सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र और भारतीय रेलवे के माध्यम से जारी है। इस परियोजना के तहत दल्ली राजहरा से अंतागढ़ तक की 60 किलोमीटर लंबी रेललाइन का कार्य पूर्ण हो चुका है और इसके आगे का कार्य तेज गति से जारी है। अंतागढ़ में लौह अयस्क के परिवहन को ध्यान में रखते हुए स्टेशन के नजदीक एक वे ब्रिज और स्टाक यार्ड का निर्माण भी किया गया है। वर्तमान में अंजरेल से अंतागढ़ तक लौह अयस्क का परिवहन सड़क मार्ग से किया जा रहा है। नारायणपुर तक रेललाइन का कार्य पूर्ण हो जाने के बाद पूरा परिवहन रेलमार्ग से किया जाएगा।
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