धर्म-कर्मः यहां भक्त डॉक्टर हनुमान जी के पास लगाते हैं अर्जी, असाध्य रोग दूर होने की मान्यता

भिलाई(सीजी आजतक न्यूज)। मध्यप्रदेश के भिंड जिले के प्राचीन दंदरौआ धाम में बुढ़वा मंगल पर हजारों भक्त दंदरौआ सरकार की झलक पाने के लिए पहुंचेंगे। हर बार की तरह इस बार भी बुढ़वा मंगल पर बड़ा मेला लगेगा। जगह जगह भंडारे और लंगर चलेंगे। इस बार यह पर्व प्लास्टिक फ्री होगा। आने वाले 6 सितम्बर को बुढ़वा मंगल पर्व मनाया जाएगा। पूरे देशभर के भक्त अपने आराध्य अंजनिपुत्र श्रीरामभक्त हनुमान जी के दर्शन के लिए पहुचेंगे।

बताया जाता है कि यहां भगवान हनुमान की प्रतिमा स्वयं-भू है। मंदिर और भगवान की मान्यता है कि यहां पर भगवान हनुमान का दर्शन और पूजन से दाद-खाज-खुजली फोड़ा फुंसी आदि बीमारी दूर हो जाती है। दंदरौआ धाम में डॉ हनुमान जी का मंदिर कई वर्षों पुराना है। यह मंदिर डॉ हनुमान जी के नाम से भी प्रसिद्ध है। यहां बीमार लोग दूर दूर से आते हैं और स्वस्थ्य होकर लौटते है। डॉ हनुमान जी परिक्रमा मात्र से उन्हें बीमारी से लाभ मिल जाने की मान्यता। यहां कई लोगों के असाध्य रोग बिल्कुल ठीक हुए हैं।

भिण्ड के मेहंगाव में स्थित प्राचीन दंदरौआ सरकार के दर्शन पाने के लिए भी हज़ारों भक्तों की भीड़ उमड़ेगी। जिसके लिए जिला प्रशासन और पुलिस ने तैयारी और व्यवस्था बनाना शुरू कर दी हैं। इस बार प्रशासन के साथ ही मंदिर ट्रस्ट और प्रबंधन ने भी प्रकृति और अध्यात्म को जोड़ने वाला एक नया कदम उठाया है। मंदिर के श्री श्री 1008 श्री रामदास महाराज ने इस साल बुढ़्वा मंगल पर्व से दंदरौआ धाम को प्लास्टिक फ्री बनाने का संकल्प लिया है।

महंत रामदास महाराज ने कहा कि, पर्यावरण को बचाना हम सभी की जिम्मेदारी ही नहीं बल्कि कर्तव्य भी है। उन्होंने बताया कि बुढ़्वा मंगल के दिन दंदरौआ धाम पर विशाल मेला लगता है। मंदिर के रास्ते में कई भक्तगण भंडारे और लंगर के स्टॉल लगाते हैं जिनमें वन टाइम यूज़्ड प्लास्टिक के ग्लास प्लेट में प्रसादी या पानी के पॉली पैक पाउच का वितरण करते हैं। बाद में उसका इस्तेमाल होने पर यही प्लास्टिक और पॉलिथीन कचरा चहुंओर बिखरा दिखाई देता है जो गंदगी फैलता है।

पर्यावरण और स्वच्छता के लिहाज से ठीक नहीं है। महंत रामदास महाराज ने मंदिर परिसर को वन टाइम यूज्ड प्लास्टिक फ्री करने और पर्यावरण को सुरक्षित रखने की सोच के साथ श्रद्धालुओं से भी अपील की है कि वे लंगर या स्टॉल संचालित करते समय किसी भी प्रकार की प्लास्टिक के डिस्पोजल आइटम ना रखे। पेयजल के लिए भी कागज के ग्लास का उपयोग करें। जिससे पर्यावरण और दंदरौआ धाम को स्वच्छ रखने में अपना योगदान दे सके।

इस बार मंदिर में प्रसादी गर्भ ग्रह तक ले जाने की भी अनुमति नहीं रहेगी। इसके पीछे भी बड़ी वजह यह बतायी गयी है कि अक्सर भीड़ में श्रद्धालु प्रसाद चढ़ाने के नाम पर भगवान के आगे फेंकने लगते हैं। जिसके वजह से भगवान को चढ़ा हुआ प्रसाद जमीन में गिरकर पैरों में जाता है, जिससे प्रसाद का अपमान होता है। ऐसे में इस बार एकपात्र मंदिर के बाहर रखा जाएगा। जहां से पुजारी भगवान को प्रसादी का भोग लगाएंगे और श्रद्धालुओं को वितरित करेंगे।

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