विज्ञान पर भारी आस्थाः संतान मेले में देशभर की निःसंतान महिलाएं संतान की चाह में पहुंची, प्रसाद खाने से सूनी गोद भरने की मान्यता

भिलाई(सीजी आजतक न्यूज)। मध्यप्रदेश के खरगोन जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर नागझिरी गांव में वर्ष में एक बार गोगा नवमी को लगने वाले संतान मेले में निःसंतान महिलाएं दूर-दूर से संतान की चाह में पहुंची और कच्चे आम का प्रसाद ग्रहण किया। संत बोंदरू बाबा की समाधि स्थल पर इस बार एमपी के अलावा छत्तीसगढ, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, जम्मू कश्मीर सहित अन्य प्रदेशों से दंपती पहुंचे। जहां समाधि स्थल के पुजारी द्वारा प्रसाद के रूप में उन्हें पान के बीडे़ में कपूर सहित कच्चे आम का प्रसाद खिलाया गया।
मान्यता है कि इस मौसम में कच्चे आम नहीं मिल पाते है लेकिन संत बोंदरू बाबा के चमत्कार के चलते बडी संख्या में श्रद्धालु कच्चे आम समाधि स्थल पर लेकर पहुंचते है। इसी कच्चे आम को निःंसंतान महिलाओं को प्रसाद के रूप में खिलाया जाता है। वहीं मन्नत पूरी होने और संतान की प्राप्ति के बाद बडी संख्या में लोग अपने अपने बच्चों को लेकर भी समाधि स्थल पर पहुंचते है। जहां उनका विभिन्न वस्तुओं से तुलादान कर मन्नत उतारी जाती है। संत बोंदरू बाबा की महिमा की ख्याति दूर दूर तक है इसी लिए यहां दूर प्रदेशों के दंपती एक दिन पूर्व ही नागझिरी पहुंच जाते है।


मान्यता है कि संत बोंदरूबाबा का जन्म सन् 1765 में हुआ था और 1790 को आज के ही दिन गोगानवमी पर बाबा ने समाधि ली थी। जिसके बाद से ही देश प्रदेश से सैकड़ों श्रद्धालु संतान की चाह में पहुंचते हैं। जहां बेमौसम में कच्चे आम मिलना मुश्किल होता है लेकिन बाबा के प्रताप के कारण ही यहां कच्चे आम आसानी से मिल जाते हैं। जिन्हें निःसंतान महिलाओं को प्रसाद के रूप में खिलाकर गोद भराई जाती है।
इस वर्ष करीब 400 से अधिक महिलाएं सुनी गोद भरने के लिए आस्था और श्रद्धा के साथ बोंदरू बाबा की समाधि स्थल पर पहुंची। बाबा की समाधि पर मत्था टेकने के बाद देर शाम को पान में कच्चे आम का प्रसाद वितरण किया गया।
महिला श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां पर प्रसाद लेने आए है। संतान नहीं है। जहां विज्ञान काम करना बंद कर देता वहां आस्था काम कर जाती है। इसीलिए यहां बडी संख्या में महिलाएं संतान की चाह में पहुंचती है। वहीं मेले में पहुंचे लोगों का कहना है कि लोगों की इस समाधि स्थल पर अटूट श्रद्धा है। इसी के चलते यहां दूर दूर से लोग संतान की चाह में पहुंचते है।

सजल जैन-महिला श्रद्धालु– दुर्ग छग-(हमारी शादी को पांच साल हो गए है लेकिन अब तक संतान नहीं हुई है। यहां बाबा की महिमा हमने बहुत सुनी थी इसीलिए यहां जो भी आता है उनकी गोद भर जाती है। इसीलिए हम यहां पर प्रसाद लेने आए है। मेडिकल इलाज भी करा लिया लेकिन कोई रिजल्ट नहीं मिला।

उज्जवल जैन दुर्ग छग– हम लोग दुर्ग छग से पहुंचे है इसके पूर्व भी छत्तीसगढ़ के कई लोग यहां आ चुके है। हम भी आस लेकर आए है कि यहां से सुनी गोद भरकर जाए।

प्रियंका अग्रवाल महाराष्ट्र- हम लोग महाराष्ट्र और गुजरात की सीमा से लगे नवापुर से पहुंचे है। हमें भी मालूम पड़ा कि बाबा की बहुत महिमा है। इसीलिए हम भी संतान की चाह में पहुंचे है। यहां तक कि हमने डॉक्टरों से इलाज भी कराया लेकिन अब तक संतान नहीं हुई है।

नंदनी दिल्ली – हम भी दिल्ली से संतान प्राप्ति के लिए समाधि स्थल पर पहुंचे है। हमारी शादी को पांच साल हो गए है। सभी जगह दिखाया लेकिन संतान प्राप्ति नहीं हुई है। अब थक हार कर बोंदुरू बाबा के यहां पहुंचे है।

Read More: स्वतंत्रता दिवस विशेषः कलेक्टर डॉ इलैया राजा टी का जज्बा, बारिश में बिना छतरी के ही पहुंचे बच्चों के बीच

Read More: विश्व हिंदू परिषद की दक्षिण कूचः मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने की मुहिम, VHP के प्रचारकों से संघ प्रमुख भागवत ने किया मंथन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *