क्‍या CM पर भारी पड़ने लगी है सौम्‍या चौरसिया? कैबिनेट ब्रीफिंग में मंत्री और अफसरों की क्लास लेती रही, सीएम ने एक भी शब्द बोलना उचित नहीं समझा

विजया पाठक, एडिटर, जगत विजन

भिलाई/रायपुर(खबर CG AajTak)। छत्तीसगढ़ में पिछले दिनों हुई आयकर विभाग के छापेमार कार्यवाही की आग अभी शांत भी नहीं हुई थी कि भूपेश बघेल की कैबिनेट में भूचाल आ गया। सूत्रों के हवाले से मालूम हुआ है कि इस बार भूचाल आयकर विभाग की वजह से नहीं बल्कि प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल की करीबी अफसर सौम्या चौरसिया के हस्तक्षेप के बाद आया है। यह वही सौम्या चौरसिया है जिनके ठिकानों पर पिछले दिनों आयकर विभाग ने छापेमार कार्यवाही के बाद वहां से करोड़ों रुपये के हेराफेरी और बेनामी संपत्तियों के दस्तावेज एकत्रित किये थे। सूत्रों के मुताबिक सौम्या चौरसिया एक बार तब फिर सुर्खियों में आई जब उन्होंने भूपेश बघेल की कैबिनेट के दौरान पीछे की कुर्सी से उठकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बगल में कुर्सी लगाई और मुख्यमंत्री को चुप कराकर खुद बोलना शुरू हो गईँ। सौम्या चौरसिया का यह रूप देख कैबिनेट के भीतर बैठे तमाम मंत्री, अफसर दंग रह गये और सभी एक-दूसरे के चेहरे की तरफ देख इस पूरे वाक्ये के तमाशबीन बने रहने पर मजबूर हुए।

भूपेश बघेल की कैबिनेट में सौम्या चौरसिया का यह रौद्र रूप देख कुछ देर तक सभी दंग रह गये। सभी के मन में एक ही सवाल था कि आखिर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ऊपर ऐसा क्या जादू कर दिया है कि भूपेश बघेल बैठे रह गये और पूरी कैबिनेट के दौरान सौम्या चौरसिया ने सभी मंत्रियों की क्लास ले ली। दरअसल कैबिनेट समापन के बाद जब मुख्यमंत्री ने अभी पड़े प्रदेश के आयकर छापों के बारे में बोलना शुरू किया था तो उनको सौम्‍या चौरसिया ने चुप करा दिया। सूत्रों के मुताबिक पूरी बातों का लब्बोलुबाब यह था कि इस बार के छापों में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चेतन बघेल बिट्टू को भी पूछताछ में बुलाया था। एक तरफ धमकी दी गई कि अब आपके परिवार वाले भी आयकर की रडार में आ सकते हैं, इसलिए हमारे साथ रहिए। चौरसिया ने धमकी भरे अंदाज में मंत्रियों को यह हिदायत दी कि पिछले दिनों आयकर की छापेमार कार्यवाही जो मेरे ऊपर हुई है वो किसी के ऊपर भी हो सकती है। अभी तक इसके दायरे में केवल मैं और मुख्यमंत्री के बेटे आए हैं। लेकिन वो दिन दूर नहीं जब आप सभी इसके दायरे में होंगे। सौम्या ने कहा कि सभी के लिए यह बेहतर होगा कि आप सब भी हमारे साथ इस कार्यवाही के विरोध में आये।

किसी ने भी नहीं दी कोई प्रतिक्रिया
सूत्रों के अनुसार कैबिनेट बैठक के दौरान मचे इस बवाल के बाद सौम्या चौरसिया की इस बात पर किसी मंत्री ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। सभी बगैर कुछ कहे ही कमरे के बाहर निकल गये। बाहर निकलकर जरूर आपस में बात करते दिखे की आज जो हुआ गलत हुआ, खास बात यह रही कि जिस समय सौम्या चौरसिया मीटिंग के दौरान मंत्रियों पर बरस रही थी, उस समय कमरे के बाहर खड़े अफसर उनकी इस तेवर को अच्छी तरह से सुन रहे थे। हर कोई एक उप सचिव रैंक की महिला अधिकारी की अफसरशाही को देख दंग था। हालांकि बैठक दौरान कई वरिष्ठ अफसर भी थे जो सौम्या चौरसिया से पद और अनुभव में सीनियर हैं, लेकिन मुख्यमंत्री की चुप्पी के आगे वे भी कुछ नहीं कह सके।

मुख्यमंत्री पद की उड़ा दी धज्जियां
जिस भूपेश बघेल को पूरे विश्वास के साथ राज्य की जनता ने मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया। वहीं भूपेश बघेल इतने नाकारा साबित होंगे यह किसी ने नहीं सोचा था। एक महिला अफसर के सामने प्रदेश का मुखिया केवल पुतले की तरह उनकी हावी होने वाले तेवर को पूरे कैबिनेट के साथ बर्दाश्त करते रहे। यह वाक्या देख पूरा प्रदेश अचंभित है। हर कोई यही कहता घूम रहा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पद की धज्जियां उड़ा दी हैं।

मेडम से पूछे बगैर फाइल भी नहीं ले जा सकते
छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की सरकार को लगभग चार साल होने जा रहे है। इन चार सालों में महिला अफसर की तूती ऐसी बोली कि कांग्रेस मंत्री व विधायक बगैर उनकी मर्जी के एक फाइल भी इधर से उधर नहीं ले जा सकते। हर फाइल मुख्यमंत्री के पास पहुंचने के पहले मेडम सौम्या चौरसिया के पास जाती है। मेडम महोदय की अगर इच्छा होगी तो फाइल आगे बढ़ेगी नहीं तो फाइल को वहीं डम्प कर दिया जाता है। यही वहीं सौम्‍या चौरसिया हैं जिनकी आव भगत में प्रदेश के पूर्व मुख्‍य सचिव छाता लगाते दिखे थे। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस विधायकों और मंत्रियों की बिल्कुल नहीं चलती। कुछ 2-3 मंत्रियों को छोड़कर किसी को फ्री हैंड नहीं दिया है। कहा जा रहा है कि भूपेश बघेल की सरकार को पांच-छह लोग मिलकर चला रहे है जिनकी चौकड़ी आज पूरे प्रदेश में कुख्यात है। इस चौकड़ी में 2 पत्रकार विनोद वर्मा, रूचिर गर्ग, एक प्रमोटी आईएएस अफसर अनिल टुटेजा, जो कि नान घोटाले का मुख्य आरोपी है (इनकी भी अपनी टीम है जिसमें एक महापौर एजाज ढेबर और उनके भाई हैं), लाईजनर सूर्यकांत तिवारी और इनमें मुख्यमंत्री की प्रियतम उप-सचिव है। यह वही उप-सचिव सौम्या चौरसिया है जिस पर अभी-अभी आयकर का छापा पड़ा है। प्रदेश के किसी भी स्तर का अधिकारी हो चाहे पुलिस मुखिया हो या प्रशासनिक मुखिया, जिले का कलेक्टर हो या एसपी सब मैडम की आज्ञा के बिना किसी मंत्री, संतरी या विधायक का काम नहीं करते हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा तो 2023 में भूपेश सरकार को वापस सत्ता में लौट पाना मुश्किल हो जायेगा। बल्कि कहीं ऐसा ना हो की उससे पहले ही सत्ता सुख चला जाए।

अब भी बनी हुई है आयकर की निगाहें
सूत्रों के अनुसार छत्तीसगढ़ में अभी भी ईडी और आयकर विभाग के अधिकारी वही बने हुए हैं। सभी की नजरे भूपेश बघेल की कैबिनेट मंत्रियों के ऊपर है। बताया जा रहा है कि ईडी के 8 अधिकारी दो चार्टर्ड प्लेन से आये। 4 अधिकारी पूरे समय मंत्रालय की गतिविधियों पर नजर रखे हुए है। वहीं, बाकी के अधिकारी इधर-उधर घूमकर जानकारियां एकत्रित कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार ईडी और आयकर विभाग के निशाने पर भूपेश बघेल के छह मंत्री हैं। इनमें नगरीय प्रशासन मंत्री शिव डहेरिया, खाद्य मंत्री अमरजीत भगत, आबकारी मंत्री कवासी लखमा, रविन्द्र चौबे, पर्यावरण मंत्री मो. अकबर, विधायक जितेन्द्र यादव, विकास उपाध्याय आदि हैं। आयकर और ईडी की छापेमार कार्यवाही में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके करीबियों के खिलाफ मिले दस्तावेज के बाद अब बघेल की सरकार पर खतरे के बादल मंडराना शुरू हो गये हैं। इस बात का खुलासा हाल ही में सूर्यकांत तिवारी ने एक वीडियो में किया जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि अगर आप हमारा साथ दोगे तो आपके छत्तीसगढ़ का एकनाथ शिंदे बना देंगे। गौर करने वाली बात यह है की सूर्यकांत भले ही शिंदे ना बन पाए पर उन्होंने यह वीडियो में मान ही लिया है की प्रदेश के 40 विधायक उनकी जेब में रहते है।

छत्तीसगढ प्रदेश की दुर्दशा का अंदाज इन सब बातों से हो जाता है। आज छत्तीसगढ़ में जो भूपेश और उनकी चौकड़ी ने हाहाकार मचाया हुआ है उससे उनकी पार्टी ही दुखी है। यह तो सबको दिख ही रहा है कि में इनका क्या होने वाला है, पर बहुत से मंत्री, विधायक और कांग्रेसी प्रदेश में इससे पहले ही इन सबसे पिंड छुटाना चाहते हैं। वहीं प्रदेश अध्‍यक्ष मोहन मरकाम और भूपेश बघेल के बीच संगठन की बैठक में किसी मुददे को काफी बहस हुई थी। कैबिनेट का यह पूरा वाक्‍या प्रदेश के एक वरिष्‍ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया था।

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