मजीठिया वेजबोर्ड केसः राजस्थान पत्रिका प्रबंधन ने रायपुर यूनिट हेड को दिखाया छत्तीसगढ़ से बाहर का रास्ता, भेजा अलवर

भिलाई/रायपुर। (खबर CG AAJ TAK) राजस्थान पत्रिका (प्रायवेट लिमिटेड) प्रबंधन को कर्मचारियों के मजीठिया वेजबोर्ड मामले में कोर्ट कचहरी का सामना करना पड़ा रहा है। देश के विभिन्न राज्यों के अलावा छत्तीसगढ़ में भी कर्मचारियों ने मजीठिया वेजबोर्ड के अनुसार वेतन की मांग को लेकर कोर्ट की शरण ली हैं। छत्तीसगढ़ में दुर्ग-भिलाई के अलावा जगदलपुर के कोर्ट में यह प्रकरण चल रहा है। इस मामले में पत्रिका प्रबंधन की ओर से कोर्ट में दमदारी के साथ पक्ष नहीं रखने के कारण छत्तीसगढ़ प्रबंधन दो कमर्चारियों को पहले ही बाहर का रास्ता दिखा चुका है। अब इस कड़ी में रायपुर के यूनिट हेड दिनेश कुमार जैन का नाम जुड़ गया है। उन्हें भी छत्तीसगढ़ से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। उन्हें छत्तीसगढ़ से अलवर (राजस्थान) भेज दिया गया है।

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इसके पहले रायपुर के ब्रांच मैनेजर अभिषेक चौधरी को नौकरी से निकाल दिया गया था। उसके बाद जगदलपुर के बीएम (ब्रांच मैनेजर) शब्द कुमार सोलंकी को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था। दोनों ने एएलसी और लेबर कोर्ट में पत्रिका प्रबंधन का पक्ष तर्क संगत से नहीं पाया जिससे प्रबंधन की न्यायालय में किरकिरी हुई थी, वहीं प्रकरण एएलसी और कमिश्नर के यहां से सीधे लेबर कोर्ट रेफर हो गया है। वहीं प्रबंधन के चहेते दिनेश कुमार जैन ने दुगर् एएलसी सहित कमिश्नर ऑफिस में प्रंबंधन का पक्ष नहीं रख पाया लिहाजा उन्हें भी छत्तीसगढ़ से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।इसके पहले रायपुर के ब्रांच मैनेजर (बीएम) अभिषेक चौधरी को नौकरी से निकाल दिया गया था। उसके बाद जगदलपुर के बीएम (ब्रांच मैनेजर) शब्द कुमार सोलंकी को न सिर्फ नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था बल्कि जेल भी भेज दिया गया था। दोनों लोगों ने एएलसी और लेबर कोर्ट में पत्रिका प्रबंधन का पक्ष तर्क संगत से नहीं रख पाया जिससे प्रबंधन की न्यायालय में किरकिरी हुई थी। वहीं प्रकरण एएलसी और कमिश्नर रायपुर के यहां से सीधे लेबर कोर्ट रेफर हो गया है। प्रबंधन के चहेते दिनेश कुमार जैन दुर्ग एएलसी सहित रायपुर कमिश्नर ऑफिस में प्रंबंधन का पक्ष नहीं रख पाया लिहाजा उन्हें भी छत्तीसगढ़ से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।

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बता दें कि दुर्ग एएलसी (असिस्टेंट लेबर कमिश्नर) के यहां कोरोना काल में पत्रिका से निकाले गए कर्मचारियों ने टर्मिनेशन का केस लगाया हुआ था। इस केस में दोनों पक्षों में समझौता नहीं होने के कारण मामला लेबर कोर्ट चला गया है। इस प्रकरण में दिनेश जैन की महत्वपूर्ण भूमिका थी। वे ही हर बार पेशी में आते और प्रबंधन का पक्ष रखते थे। उनकी लापरवाही के कारण मामला लेबर कोर्ट रेफर हो गया है। वहां भी प्रबंधन की ओर से वही पेशी में वे ही आते थे। वहीं कमिश्नर ढफिस रायपुर में भी मजीजिठया वेजबोर्ड प्रकरण में वे प्रबंधन का पक्ष ठीक ढंग से नहीं रख पाया। इस मामले में दो पेशी हो चुकी है और सिर्फ 2 कर्मचारियों का जवाब दिया गया है। शेष कर्मचारियों के जवाब के लिए पेशी तिथि बढ़ा ली गई थी। तीसरी पेशी हो पाती इसके पहले उनका स्थानांतरण कर दिया है।

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